बुझे चिरागों के बीच ज्ञान का दीपक जला रहे युवा
संवाद सूत्र जाखल जब इच्छाशक्ति ही समाजसेवा की हो तो वहां धन-दौलत मायने नहीं रखती। फतेहा
संवाद सूत्र, जाखल :
जब इच्छाशक्ति ही समाजसेवा की हो, तो वहां धन-दौलत मायने नहीं रखती। फतेहाबाद के कस्बा जाखल में सामाजिक संस्था से जुड़े युवा इस कथन को चरितार्थ सिद्ध कर रहे हैं, जो दो वर्षो से शिक्षा की ज्योति जला, आर्थिक रूप से असक्षम झुग्गी-झोपड़ियों के निरक्षर नौनिहालों का भविष्य संवार रहें हैं। बात कर रहें है शहर की श्याम जूता सेवादल संस्था की, जो उन गरीब बच्चों के लिए मसीहा बनी है, जो शिक्षा के प्रकाश से दूर थे। संस्था के युवाओं का एकमात्र उद्देश्य है कि शहर में झुग्गी बस्ती का प्रत्येक बच्चा शिक्षा ग्रहण करें, एवं उसे पेटभर खाना मिले। इस उद्देश्य को लेकर युवाओं द्वारा दो वर्ष पूर्व शहर में झुग्गी बस्ती के समीप स्थित एक किराए के भवन में स्कूल स्थापित किया गया था, जहां इन झुग्गी-बस्ती के बच्चों को हर रोज शाम के वक्त दो घंटे, नियमित रूप से शिक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। शहर में वैसे तो बहुत से बड़े शिक्षण संस्थान हैं, लेकिन ये गुरुकुल इन सब से भिन्न है, जहां शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे भी अलग हैं, अथवा गुरुजन भी स्वयं संस्था के सदस्यगण है। संस्था के महज तीन युवा शंटी बंसल, नवीन कुमार व प्रदीप कुमार स्कूल का पूरा तंत्र स्वयं के बूते चला रहें है। जहां झुग्गी बस्ती के लगभग तीन दर्जन गरीब नौनिहालों को निश्शुल्क शिक्षा का ज्ञान बांटा जा रहा है, साथ ही बच्चों के खाने की व्यवस्था भी संस्था द्वारा की जाती है। ये तमाम कार्य बिना किसी बाहरी आर्थिक मदद के संस्था सदस्य स्वयं के खर्च से कर रहे हैं। ये सामाजिक संस्था कुछ युवाओं का समूह है, जो सेवाभाव मन से, स्वयं के खर्च पर गरीब बच्चों के जीवन सुधार हेतु कार्य कर रहें हैं।
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बच्चों को नहीं नहीं मिल रही थी शिक्षा
श्याम जूता सेवादल संस्था के युवा शंटी बंसल बताते है कि अन्य झुग्गी बस्ती की भांति ही यहां के बच्चे भी शिक्षा से दूर थे। संस्था युवाओं ने जहां की झुग्गी बस्ती के बच्चों को नगर में कूड़ा बीनते एवं भीख मांगते देखा तो उन्होंने अपने स्तर पर इन बच्चों का भविष्य संवारने की ठानी। उन्होंने बच्चो के परिजनों से बातचीत की तो उन्होंने अपने बच्चों को उनके जहां शिक्षा दिलाने को सहमति जताई। उसके बाद से ही वह इन बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे है। संस्था की ओर से आरंभ किए गए इस स्कूल में वर्तमान में 35 बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, जिन्हें संस्था के युवाओं द्वारा न केवल किताबी ज्ञान दिया जा रहा हैं, बल्कि उनमें अच्छे संस्कारों का प्रदान करने के साथ साथ खेलों में निपुण बनाया जा रहा हैं। युवाओं की अथक परिश्रम का परिणाम है कि, जो बच्चे थोड़ा वक्त पहले तक, मात्र कूड़ा बीनने व भीख मांगने को ही अपना भविष्य मान चल रहे थे, आज ये बच्चे भी अन्य छात्रों की प्रकार अफसर बनने का सपना संजोने लगे हैं।
----------------------------------- इन युवाओं के इस कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। आमतौर पर झुग्गी झोपड़ी में निवास करते लोग घरेलू स्थिति से असक्षम होने के चलते, अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने की अपेक्षा बालउम्र में ही अपने साथ श्रम में लगाने को तरजीह देते हैं। नतीजन इससे इन नौनिहालों का भविष्य उज्ज्वल नहीं होता। संस्था द्वारा पहल कर स्कूल की शुरुआत की गईं हैं तो ये बच्चे वहां जाकर शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं। इससे उनका भविष्य सुनहरा होगा। युवाओं का ये कदम बड़ी मिसाल है।
प्रदीप कुंडू,
जिला बाद संरक्षण अधिकारी, फतेहाबाद।