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Road Safety: फतेहाबाद में दस साल से ट्रामा सेंटर की दरकार, सड़कों पर नहीं एंबुलेंस की तैनाती

Road Safety फतेहाबाद में तीन साल में 7 सौ हादसों में 261 ने दम तोड़ा है। इसमें से 37 बच सकते थे लेकिन यहां हालात इतने खराब कि प्लास्टर की जरूरत पर भी मरीज तो रेफर करना पड़ता है। अस्पताल को हाईवे के नजदीक लाने में दस साल लग गए।

By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalPublished: Fri, 18 Nov 2022 08:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2022 08:45 PM (IST)
Road Safety: फतेहाबाद में दस साल से ट्रामा सेंटर की दरकार, सड़कों पर नहीं एंबुलेंस की तैनाती
फतेहाबाद सिविल अस्पताल में पांच साल से ना न्यूरो सर्जन और ना आर्थाे स्पेशलिस्ट।

फतेहाबाद, अमित रूखाया/विनोद कुमार। सडक़ हादसा होने की सूरत में घायल को सबसे पहले अस्पताल पहुंचाने की प्राथमिकता होती है। लेकिन सिर्फ महसूस करने का प्रयास कीजियेे, हादसास्थल के आसपास कोई अस्पताल ही ना हो, तो घायल के मन पर क्या बीतेगी। ये दर्द फतेहाबाद जिले में हादसों के घायल पिछले दस साल से महसूस कर रहे हैं, लेकिन ना अधिकारियों और ना ही नेताओं के कान पर एक जंू तक नहीं रेंगी।

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निर्माण में अभी दो साल और पेडिंग, कागजों में ही 50 से दो सौ बिस्तर का हुआ

ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में फतेहाबाद जिले में हुए हादसों में 261 ने जान गवां दी लेकिन दर्दनाक पहलु ये है कि इसमें से 37 घायल बचाए जा सकते थे, लेकिन समय पर उपचार ना मिलने से वो बच नहीं सके। अभी इसमें वो आंकड़ा अलग है जो फतेहाबाद से रेफर कर दिए गए, लेकिन अग्रोहा मेडिकल या हिसार जैसे हायर सेंटर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ गए। उधर आपातकालीन चिकित्सा सेवा के नाम पर फतेहाबाद नागरिक अस्पताल में प्लास्टर तक की सुविधा नहीं है। जिसके चलते नागरिक अस्पताल रेफरल सेंटर में तब्दील होकर रह गया है।

फतेहाबाद नागरिक अस्पताल को रेफरल सेंटर कहा जाने लगा

पांच साल से ना न्यूरो सर्जन और ना ही हड्डी रोग विशेषज्ञ, प्लास्टर के नाम पर भी रेफर होता है मरीज सडक़ हादसे की स्थिति में घायलों को हैड इंजरी या हड्डी से जुड़ी चोट लगने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में नागरिक अस्पताल में न्यूरो सर्जन और हड्डी रोग विशेषज्ञ का होना अनिवार्य है। लेकिन आपको पढक़र झटका लगेगा कि फतेहाबाद नागरिक अस्पताल में पिछले पांच साल से ये दोनों ही पद खाली पड़े हैं।

न्यूरो सर्जन तो फतेहाबाद अस्पताल में कभी आया ही नहीं और हड्डी रोग विशेषज्ञ को भी अस्पताल से गए हुए पांच साल से अधिक समय हो चुका है। अब हालात ये हैं कि मामूली फै्रक्चर की स्थिति में भी प्लास्टर तक नहीं हो सकता और इसके लिए मरीज को रेफर कर दिया जाता है। इस कारण से फतेहाबाद नागरिक अस्पताल को रेफरल सेंटर कहा जाने लगा है। जिला मुख्यालय पर ही ये हालात हैं तो बाकी सब स्टेशन पर अस्पतालों के क्या हालत होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

ट्रामा सेंटर फतेहाबाद की सबसे पुरानी मांगों में एक, आजतक किसी ने आवाज तक नहीं उठाई

फतेहाबाद जैसे स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़े इलाकों में ट्रामा सेंटर की बहुत आवश्यकता है। फतेहाबाद शहर की ये सबसे पुरानी मांगों में एक है। लेकिन इसके बावजूद ना तो किसी अधिकारी ने और ना ही किसी नेता ने इसे लेकर कोई कदम आगे बढ़ाया। पहले सैक्टर तीन में स्थित पालीक्लिनिक को ट्रामा सेंटर बनाने को लेकर सोचा गया था, लेकिन ऐन मौके पर इस प्लान को ड्राप कर दिया गया और इसकी जगह पर पालीक्लिनिक बना दिया गया। अब ये सिविल सर्जन कार्यालय के रूप में ज्यादा इस्तेमाल होता है।

नेशनल हाईवे पर तीन जगह होनी चाहिए एंबुलेंस, फतेहाबाद जिले में एक एंबुलेंस भी तैनात नहीं

नियम बताते हैं कि जिले से गुजर रहे नेशनल हाईवे पर तीन जगह पर एंबुलेंस की तैनाती होनी चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति में घायलों तक प्राथमिक चिकित्सा तुरंत पहुंच सके। अधितर जिलों में टोल नाकों पर एंबुलेंस की तैनाती की जाती है। लेकिन फतेहाबाद जिले में एक भी एंबुलेंस सडक़ों पर तैनात नहीं है। किसी भी आपात स्थिति में 108 पर फोन करने के बाद ही नागरिक अस्पताल मुख्यालय से ही एंबुलेंस घटनास्थल पर भेजी जाती है।

फतेहाबाद जिले में तीन जगह एंबुलेंस खड़ी करने की जगह निर्धारित की गई हैं। इसमें हिसार रोड पर गांव खाराखेड़ी के पास बकायदा एक शैड लगाकर रखा गया है। सिरसा रोड पर गांव दरियापुर में पुलिस चौकी के पास एवं फतेहाबाद शहर में पुराने बस स्टैंड के पास एंबुलेंस स्टैंड बनाया गया है। लेकिन नेशनल हाईवे पर दोनों प्वाइंट्स को हाईवे पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया जाता है और फतेहाबाद शहर के अंदर का एंबुलेंस स्टैंड आजतक हमेशा ही खाली पड़ा रहता है।

कागजों में ही 50 से दो सौ बिस्तर का हो गया अस्पताल, दस साल लगे नई बिल्डिंग का काम शुरू होने में

मौजूदा नागरिक अस्पताल फतेहाबाद के माडल टाउन में स्थित है। किसी भी हादसे की सूरत में एंबुलेंस अक्सर शहर के ट्रैफिक में फंस जाती है। लालफीताशाही के चलते ये अस्पताल कागजों में ही 50 बिस्तर से दो सौ बिस्तर का बना दिया गया। तकरीबन दस साल तक सीएम घोषणा में शामिल रहने के बाद अब जाकर शहर की भीड़भाड़ से दूर नेशनल हाईवे के नजदीक अस्पताल की नई बिल्डिंग बननी शुरू हुई है। इसका निर्माण पूरा होने में अभी भी दो साल लग जाएंगे। लेकिन अगर समय रहते ये नई बिल्डिंग और स्टाफ भी पूरा हो जाए तो भी भविष्य में हादसों में घायल होने वाले अपनी जान तो बचा सकेंगे।

हाईवे पुलिस के पास प्राथमिक उपचार की ना पर्याप्त ट्रेनिंग, ना संसाधन

फतेहाबाद से होकर गुजर रहे नेशनल हाईवे की बात की जाए तो स्वास्थ्य विभाग के अलावा हाईवे पेट्रेाल पुलिस भी सडक़ हादसों में घायल लोगों को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने का प्रयास करती है। फतेहाबाद जिले में इस समय दो हाईवे पेट्रेाल पुलिस टीमें कार्यरत हैं। लेकिन उनमें से एक टीम के पास लगभग कंडम हो चुकी गाड़ी है। इसके अलावा हाईवे पुलिस की टीम में सामान्य पुलिसकर्मी ही शामिल कर दिए जाते हैं। उन्हें ना तो प्राथमिक उपचार देने की पर्याप्त ट्रेनिंग मिली होती है और ना ही इनके पास संसाधन होते हैं। ऐसी स्थिति में इनके पास घायल को गाड़ी में डालकर अस्पताल पहुंचाने के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं बचता। पिछले दो सालों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुलिस के जवानों को प्राथमिक उपचार की बुनियादी ट्रेनिंग आदि देने के लिए भी कोई सेमीनार या कैंप आदि का आयोजन नहीं किया गया है।

फतेहाबाद जिले में पिछले तीन साल में हुए सडक़ हादसों में घायलों और मृतकों का ब्यौरा

साल सडक़ हादसे घायल मौतें

2020 191 174 86

2021 323 193 97

2022 184 167 78

कुल 698 534 261

स्वास्थ्य विभाग के पास कुल 25 एंबुलेंस, मुख्यालय पर 8 तो रतिया-टोहाना में दो-दो एंबुलेंस

फतेहाबाद जिले में कुल एंबुलेंस : 25

फतेहाबाद नागरिक अस्पताल : 8

छह सीएचसी सेंटर पर एंबुलेंस : 6

जिलेभर में डिलिवरी हट पर एंबुलेंस : 11

विशेष मेडिकल मोबाइल यूनिट : 3

हाईवे पेट्रेाल के पास भी दो एंबुलेंस

केस स्टडी एक

ट्रामा सेंटर ना होने से बड़ोपल से फतेहाबाद भेजा गया हादसे में घायल किसान, वहां से वापिस अग्रोहा रेफर किया, रास्ते में मौत

इसी साल मई-जून में गांव चबरवाल के पास किसान विनोद खिचड़ किसी काम से बड़ोपल आए थे। यहां पर उनकी गाड़ी दूसरी कार से भिड़ गई और उनके सिर पर चोट लगी। आसपास ट्रामा सेंटर ना होने के चलते एंबुलेंस उन्हें घायलावस्था में पहले फतेहाबाद नागरिक अस्पताल लेकर गई। लेकिन वहां ना तो न्यूरो सर्जन मिला और ना हड्डी रोग विशेषज्ञ। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें अग्रोहा मेडिकल रेफर कर दिया। गंभीर रूप से घायल हुए विनोद खिचड़ 35 किलोमीटर का सफर तय करके वापिस अग्रोहा मेडिकल रेफर किए गए, लेकिन वापिसी अपने घटनास्थल से थोड़ा आगे जाते ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

केस स्टडी दो

हांसपुर चौक पर हादसे में पति-पत्नी की कार दुर्घटनाग्रस्त, हैड इंजरी में न्यूरो सर्जन नहीं मिला, हायर सेंटर पहुंचने से पहले पत्नी ने दम तोड़ा

फतेहाबाद में मौत के चौक नाम से मशहूर हो चुके हांसपुर चौक पर कुछ समय पहले एक परिवार की कार दूसरी कार से टकरा गई। इस हादसे में पति रामकुमार कोमा में चले गए। पत्नी कमलेश के सिर में चोट आई। पहले नागरिक अस्पताल लाया गया, लेकिन हैड इंजरी की जांच के लिए न्यूरो सर्जन नहीं मिले। इसके बाद रेफर किया गया, लेकिन अग्रोहा मेडिकल पहुंचने से पहले कमलेश ने दम तोड़ दिया। इस हादसे के बाद कोमा में गए रामकुमार ने भी एक साल बाद कोमा में ही दम तोड़ दिया।

जिला अधिकारी के अनुसार

फतेहाबाद अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ और न्यूरो सर्जन की नियुक्ति के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है। पिछले दिनों हुई नियुक्तियों में फतेहाबाद नागरिक अस्पताल के लिए एक हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति हुई थी, लेकिन उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया। अब दोबारा उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर हड्डी रोग विशेषज्ञ की मांग की है। ’

----डा. सपना गहलावत, सिविल सर्जन, फतेहाबाद ।


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