नप हर महीने नंदीशाला को दे रहा डेढ़ लाख रुपये, सड़कों पर फिर भी आ रहे नजर बेसहारा पशु
जागरण संवाददाता फतेहाबाद शहर में रहने वाले लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात मिले इ
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद:
शहर में रहने वाले लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात मिले इसके लिए नगरपरिषद हर माह डेढ़ लाख रुपये नंदीशाला को दे रहा है। शहरवासियों का रुपये जाने के बाद भी बेसहारा पशुओं से मुक्ति आज तक नहीं मिली है। शहर के हर कोने में पशु नजर आ जाएंगे। हालांकि नंदीशाला प्रशासन का कहना है कि वे पशुओं को पकड़ते है। लेकिन लोग फिर छोड़ जाते है। जो ग्रांट अन्य लोगों द्वारा आती थी वो भी अब बंद हो गई है। चाहे जो भी जब तक सिस्टम में सुधार नहीं होगा तब तक इन बेसहारा पशुओं से निजात किसी को मिलने वाली नहीं है।
करीब तीन साल पहले नगरपरिषद की हाउस मीटिग हुई। इस मीटिग में एक प्रस्ताव पेश किया गया है कि नगरपरिषद हर महीने डेढ़ लाख रुपये नंदीशाला को मुहैया करवाएगा। वही एक शर्त भी रखी गई थी कि रुपये देने के साथ ही शहर में घूमने वाले बेसहारा पशुओं को भी नंदीशाला प्रशासन पकड़कर अपने यहां रखेगा। दोनों में सहमति बनने के बाद आज तक यह राशि हर महीने जारी हो रही है। लेकिन जो शर्त पशुओं को पकड़ने की थी वो धूमिल होती जा रही है। आम शहरवासी को क्या मतलब कि किसकी जिम्मेदारी है। लेकिन बेसहारा पशुओं से तो निजात शहरवासी को मिले।
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जगह-जगह बैठे रहते है बेसहारा पशु
शहर के नेशनल हाईवे का जिक्र करे तो हर दस कदम के साथ ही बेसहारा पशु नजर आ जाएगा। जिला प्रशासन की हर मीटिग में इन पशुओं को पकड़ने की बात उठती है। अधिकारी हां भरकर कार्यालय भी आ जाते है। लेकिन उसके बाद कुछ नहीं होता। अगली बैठक में फिर मुद्दा उठता है तो नप अधिकारी बहाना बनाकर इस मुद्दे को दरकिनार कर देते हैं। ये पशु हादसों का सबब भी बन रहे हैं।
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टैग लगी हुई गाय भी आ रही नजर
जिला प्रशासन को पता है कि शहर में बाहर से पशु आ रहे है। पुलिस विभाग को सूचना देने के बाद भी आज तक इस पर अंकुश नहीं लग पाया है। रात के अंधेरे में बाहर के लोग इन पशुओं को शहर की सीमा में छोड़ जाते है और ये शहर के अंदर आकर उत्पात मचाते है। पिछले कुछ दिनों से शहर में करीब 150 से अधिक गाय घूम रही हैं। इन गायों के कान पर टैग भी लगा हुआ है। लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस टैग की जांच करवाने की हिम्मत तक नहीं दिखाई है। टैग की जांच करने के बाद पता चल जाएगा कि यह गाय कहां से आई है।
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पंचायत विभाग व पुलिस ने भी ग्रांट देनी की बंद
करीब एक साल पहले नंदीशाला पर बजट को लेकर संकट आ गया था। तभी पुलिस विभाग व पंचायत विभाग के अधिकारियों ने अपनी जेब से प्रति माह 500 रुपये देने की बात कही थी। करीब छह महीने तक तो राशि आई है। लेकिन उसके बाद सभी ने रुपये देने बंद कर दिए। अब बिना ग्रांट के ही नंदीशाला चल रही है। नंदीशाला संचालकों ने कहा कि बजट न होने के कारण अब नंदीशाला चलाने में दिक्कत आ रही है।
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नगरपरिषद हमें प्रति माह डेढ़ लाख रुपये दे रही है। पहले पुलिस विभाग व पंचायत विभाग से रुपये आते थे वो भी बंद हो गए है। हम हर महीने कुछ पशु पकड़ते है। लेकिन कर्मचारी व संसाधन कम होने के कारण हम ज्यादा नहीं पकड़ पा रहे है। वहीं शहर के अंदर टैग लगे हुए पशु भी घूम रहे है। जिला प्रशासन को जांच करवानी चाहिए कि ये पशु कौन सी गोशाला के है। जांच के बाद जुर्माना भी लगाना चाहिए।
::विनोद तायल
प्रधान नंदीशाला फतेहाबाद।
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हम तो हर बार नंदीशाला संचालकों को कह रहे है कि शहर में बेसहारा पशु नजर नहीं आना चाहिए। लेकिन ये पशु पकड़ते नहीं। जल्द ही बैठक बुलाकर कहा जाएगा कि एक बार पूरे शहर में अभियान चलाए और इन बेसहारा पशुओं को पकड़े। वे संचालक से इस बारे में बात करेंगे।
दर्शन नागपाल,
प्रधान, नगरपरिषद, फतेहाबाद।