बिनैण खाप ने पहली बार सुनाया ऐसा फैसला
संवाद सूत्र, समैन : हरियाणा में बिनैण खाप की जड़ें काफी गहरी हैं। विभिन्न ऐतिहासिक फैस
संवाद सूत्र, समैन : हरियाणा में बिनैण खाप की जड़ें काफी गहरी हैं। विभिन्न ऐतिहासिक फैसलों में बिनैण खाप ने अपनी एक अलग तरह की पहचान भी बनाई। किसी भी बड़े सामाजिक मसले पर बिनैण खाप का क्या रूख होगा, यह समूचे हरियाणा में यह एक चर्चा का विषय रहता है। लेकिन बिनैण खाप के इतिहास में ऐसी परिस्थिति नहीं बनी कि खाप से जुड़े 52 गांवों ने एक साथ किसी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार करने जैसा कड़ा फैसला लिया हो। लेकिन रविवार को गांव कन्हड़ी में आयोजित बिनैण खाप के 52 गांवों ने एक साथ यह फैसला लिया। खाप का यह ऐतिहासिक फैसला भी खाप से ही जुड़े व्यक्ति के खिलाफ दिया गया।
बिनैण खाप से जुड़े गांव कन्हड़ी के मौजिज रघुबीर ¨सह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में ऐलनाबाद से लेकर होडल तक 6 खापों को अपना-अपना एक रूतबा रहा है, जिसमें बिनैण खाप सबसे बड़ी खाप मानी जाती है। बिनैण, श्योकन्द, रेडू, दहिया, मलिक खाप का अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव है। बिनैण खाप से जुड़े फैसलों के इतिहास में सामाजिक सरोकार सर्वोपरी रहे हैं। जिसमें नशाखोरी, दहेज-प्रथा, विवाह-पार्टियों में डीजे बजाने पर पांबदी व कन्या भ्रूण हत्या जैसे मुद्दे शामिल हैं। रघुबीर ¨सह के अनुसार मौजूदा समय में खापों के पास सामाजिक बहिष्कार करना ही सबसे कड़ा फैसला है। इसे सामाजिक धब्बा कह सकते हैं। एक व्यक्ति के लिए सामाजिक तौर पर इससे बड़ी सजा नहीं हो सकती। मौजिज महाराज ¨सह कहते हैं कि एक समय तक समाज में सामाजिक बहिष्कार सबसे कड़ी व बड़ी सजा मानी जाती है। वर्तमान में परिस्थितियां काफी बदल गई है। एक साथ 52 गांवों के लोग इस तरह का फैसला लेते है तो वह एक बड़ी बात है। सामाजिक बहिष्कार का मतलब जो व्यक्ति समाज के विरूद्ध कार्य करता है, उससे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक सहित सभी तरह के संबंध तोड़ लेना। महाराज ¨सह के अनुसार ऐसा नहीं होता कि खाप किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई भी कड़ा फैसला ले, उसे कम से कम सात दिनों तक अपना पक्ष रखने का समय दिया जाता है। इस दौरान वह खाप के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रख सकता है। खाप उस पर विचार करती है।