बिल्ली बचाने के लिए कुएं में लगाई थी छलांग, इलाज की दरकार में 14 साल से चारपाई पर पहलवान
पहलवान ने बिल्ली की जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी थी। 14 साल पहले हुए हादसे में बिल्ली तो बच गई, मगर रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से वो अब तक अपने पावों पर खड़े नहीं हो पाए
फतेहाबाद/रतिया[उपेंद्र गाेस्वामी] इंसान की जिंदगी बचानी हो तो भी हम कई बार बड़ी परेशानी को देख हालात से किनारा कर लेते हैं। मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें हर जान प्यारी होती है। इंसान ही नहीं जानवर की जिंदगी भी उनके लिए बेश किमती होती है। इन्हीं में से एक हैं फतेहाबाद रतिया के रघुबीर सिंह जिन्होंने बिल्ली की जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी थी। 14 साल पहले हुई इस घटना में बिल्ली तो बच गई, मगर रघुवीर सिंह की रीढ़ की हड्डी में ऐसी चोट लगी कि बीते 14 सालों से अपने पावों पर खड़ा नहीं हो पाया है। चारपाई पर लेटे रघुबीर को इलाज की दरकार है मगर उनके हौंसले की रीढ़ बेहद मजबूत है। उन्हें उम्मीद है कि अगर अच्छे अस्पताल से इलाज हो जाए तो वह ठीक हो जाएगा। जिंदगी से संघर्ष कर रहा रघुबीर गांव पिलछियां का रहने वाला है। अब उनकी उम्र 35 के करीब है। हादसे के वक्त 21 वर्ष का ही था।
वर्ष 2004 की घटना है। रघुबीर खुद अपनी आपबीती बताता है कि वह अपने खेत में काम कर रहा था। पास ही एक कुआं था। एक बिल्ली उस कुएं के पास से गुजर रही थी। अचानक वह कुएं में गिर गई। रघुबीर की नजर पड़ी तो वह तुरंत कुएं की तरफ दौड़ा। सोच ही रहा था कि बिल्ली को बाहर कैसे निकाला जाए। उसी दौरान वह कुएं में कूद गया। वहां आसपास कुछ और लोग भी काम कर रहे थे। रघुबीर के कुएं में गिरने की आवाज सुनाई दी तो वे दौड़े। उन्होंने बिल्ली और रघुबीर दोनों को ही बाहर निकाल लिया। बिल्ली तो ठीक हालत में थी, लेकिन रघुबीर उठ नहीं पा रहा था। उसे अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी एक नस रीढ़ की हड्डी में दब चुकी है, जिससे खून सप्लाई होता है। स्थानीय स्तर पर उस तकलीफ का इलाज संभव नहीं हो पाया।
पेट के बल लेटा रहता है रघुबीर
रघुबीर का दर्द असहनीय है। वह चौबीस घंटे चारपाई पर लेटा रहता है। सीधा भी नहीं लेट सकता, बल्कि पेट के बल लेटना पड़ता है। उसी हालत में खाना पीना होता है। बुजुर्ग माता-पिता ही उसकी सेवा करते हैं। पिता गोबिंद सिंह के चार लड़कियां व दो लड़के हैं। बाकी सभी शादीशुदा हैं। रघुबीर शादी से पहले ही इस हालत में पहुंच गया। रघुबीर के पिता गोविंद बताते कि उन्होंने रघुवीर के इलाज के लिए हरियाणा पंजाब के कई अस्पतालों के चक्कर काटे। लेकिन रघुबीर की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। लोग आर्थिक तंगी के चलते रघुबीर को घर ले आए। तब से रघुबीर चारपाई पर उलटा लेटे रहता है। रघुबीर की देखभाल व दवाइयों का खर्च बुजुर्ग माता पिता अपनी पेंशन से करते हैं।
कुश्ती का खिलाड़ी था रघुबीर
रघुबीर उस जमाने में कुश्ती खेला करता था। उसकी उम्र के खिलाड़ियों में उसका नाम था। आसपास गांवों के अपनी उम्र के बड़े-बड़े पहलवानों को भी चित कर देता था। गरीबी के चलते वह मजदूरी भी करता था। जब हादसा हुआ, तब भी वह किसी के खेत में मजदूरी करने गया था। मगर आज रघुबीर लाचार है।
मैं ठीक हो सकता हूं, बस कोई सहारा देदे
पीड़ित रघुबीर सिंह ने कहा कि आज मेरे माता पिता के पास इतनी राशि नहीं है कि वे किसी अच्छे अस्पताल से मेरा उपचार करा सकें। लेकिन मुझे उम्मीद है कि अगर सरकार आर्थिक सहायता देकर उपचार करवा दे तो मैं ठीक हो सकता हूं। मेरे बुजुर्ग माता पिता मेरी सेवा करते हैं। यह मुझसे देखा नहीं जाता। मैं चाहता हूं कि मैं ठीक हो जाऊं और अपने माता पिता की सेवा करूं।