गेहूं चेपा की चपेट में, किसान ¨चतित
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: फरवरी माह शुरू होते ही मौसम दिन प्रतिदिन बदल रहा है। यहीं
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद:
फरवरी माह शुरू होते ही मौसम दिन प्रतिदिन बदल रहा है। यहीं कारण है कि गेहूं की फसल चेपा की चपेट में आ गई है। अगर बरसात हो गई तो यह बीमारी अपने आप दूर हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो किसानों को कीटनाशक का छिड़काव करना होगा। वही कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी फसलों की देखभाल करें। अगर बीमारी ज्यादा है तो वैज्ञानिकों की सलाह से कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।
जिले में गेहूं की फसल को चेपा नामक बीमारी आ गई है। किसानों का मानना है कि इस बीमारी से गेहूं की पूरी फसल भी नष्ट हो सकती है। हालांकि अभी यह शुरूआत है। मौसम में बादल होने के कारण इस बीमारी का प्रकोप होता है। अगर किसान थोड़ा सा ध्यान रखे तो इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है।
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यह कहना है किसानों का
गांव धांगड़ के किसान भूप ¨सह, सुरेश कुमार, अनिल कुमार, सुरजीत ¨सह ने बताया कि फरवरी माह मे गेहूं की फसल में बालियां आनी शुरू हो जाती है। इस दौरान यह चेपा बीमारी अटैक करती है। पिछले 20 दिनों से मौसम परिवर्तनशील रह रहा है। कभी धूप तो कभी बादल छा जाते है। यही कारण है कि चेपा धीरे धीरे बढ़ना शुरू हो गया है। हालांकि यह बीमारी हर साल आती है। अगर थोड़ा सा भी ध्यान किसान रखे तो इस बीमारी से पार पाया जा सकता है। अगर किसान इस बीमारी को दूर करने के लिए कीटनाशक का प्रयोग नहीं करेगा तो फसल पर 50 फीसद इसका असर पड़ेगा।
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यह है चेपा
चेपा दो प्रकार का होता है। एक हरे रंग का तो एक काले रंग का। जब यह गेहूं के पत्ते पर बैठता है तो लार छोड़ देता है। जिससे पत्ता चिपचिपा हो जाता है। अगर समय पर इस पर अंकुश नहीं लगता है तो पूरे पत्ते को खराब कर देता है। जिससे उत्पादन पर इसका असर देखने को मिला है।
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चेपा रोकथाम के लिए इन कीटनाशकों का करे प्रयोग
चेपा से प्रभावित गेहूं की फसल में किसान 400 एमएल मेलाथिन, 50 प्रतिशत इसी दवा का छिड़काव प्रति एकड़ 250 लीटर पानी के घोल में मिला कर करें तो इसका असर अधिक देखने को मिल सकता है। इसके अलावा कन्फूयडोर कीटनाशक का प्रयोग भी किसान कर सकता है। अगर इससे भी इस बीमारी से निजात नहीं मिलती तो कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले।
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अभी तक चेपे की बीमारी की सूचना नहीं है। हालांकि यह समय होता है इस बीमारी का। किसान अगर अपनी फसल का ध्यान रखेंगे तो एक या दो छिड़काव से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। गेहूं में जब बालियां आती है तो यह बीमारी अधिक अटैक करती है। वहीं मौसम भी बदल रहा है। अगर बरसात हो गई तो यह बीमारी अपने आप ही खत्म हो जाएगी।
::डा. बलवंत सहारण,
उपकृषि निदेशक फतेहाबाद