नवविवाहिताएं बोलीं- उफ कैसी ये परीक्षा, कैसे उतारें सुहाग का चूड़ा
शिक्षक पात्रता परीक्षा में इतनी सख्ती बरती गई कि महिलाओं को अपने आभूषण भी परीक्षा केंद्र के बाहर ही उतारने पड़े। इसके कारण महिलाएं परेशान रहीं।
फतेहाबाद [मुकेश खुराना]। हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा केंद्र पर भावी शिक्षकों की भीड़ जमा थी। हर परीक्षार्थी को अपनी सीट तक जाने की बेताबी थी। इनमें शामिल थीं रानियां की अलीशा और मंडी डबवाली की हरप्रीत। इन दोनों के प्रवेश की बारी आई तो चेकिंग स्टाफ ने रोक दिया। यह कहते हुए कि पहले आप अपना चूड़ा उतारो। यह सुनते ही अजीब दुविधा दोनों के चेहरे पर उतर आई।
जुबां पर ये शब्द कि उफ, ये कैसी परीक्षा है? एक तरफ भविष्य तो दूसरी तरफ सुहाग। कैसे उतारूं वैवाहिक जीवन की परंपरा में शामिल सुहाग की निशानी चूड़ा? यह सोच दोनों ही नवविवाहित महिला परीक्षार्थी चूड़ा न उतारने पर अड़ गईं। राजकीय महिला महाविद्यालय विद्यालय के इस केंद्र पर काफी देर तक हंगामा होता रहा। आखिर उपायुक्त डा. हरदीप ङ्क्षसह ने हस्तक्षेप किया।
उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिये कि शिक्षा बोर्ड के उच्चाधिकारी से बात करो। वहां बात हुई तो पूरी तरह चेक करने के बाद परीक्षा देने की इजाजत मिली। इस तरह, सुहाग का चूड़ा न उतारने की परंपरा की जीत हुई। ऐसी ही घटना क्रिसेंट कॉलेज आफ एजुकेशन के बाहर भी देखने को मिली।
नवविवाहित परीक्षार्थी व सिरसा के रानियां निवासी अलीशा ने बताया कि उसकी ढाई महीने पहले शादी हुई है। एचटेट लेवल तीन की जब परीक्षा देने के लिए आई तो हाथों में पहना चूड़ा उतारने के लिए कहा जा रहा है, जबकि रीति-रिवाज के अनुसार इसे नहीं उतार सकते। ससुराल के लोगों से भी बात हुई है उन्होंने चूड़ा उतारने से मना कर दिया है। मंडी डबवाली से आई हरप्रीत ने कहा कि उसकी एक महीना पहले शादी हुई है। चूड़ा उतारने के लिए दबाव डाला जा रहा है जबकि रिवाज के अनुसार तय समय से पहले नहीं उतार सकते। ससुराल के लोगों ने कहा है कि पेपर छोड़ दो और वापस आ जाओ।
डीईओ दयानंद सिहाग का कहना है कि हमारी मजबूरी थी। हालांकि मामला जब सामने आया तो उपायुक्त के निर्देश पर हमने बोर्ड के डिप्टी सेक्रेटरी बलवान ङ्क्षसह से बात की। उन्होंने अन्य जांच के उपरांत परीक्षा देने की अनुमति दे दी।
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