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चार साल बाद प्रस्ताव को मिली मंजूरी, अब बड़ोपल के ग्रामीण की बुझेंगी प्यास

गांव बड़ोपल के जलघर में अब भाखड़ा नहर की फतेहाबाद ब्रांच

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 10:33 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:33 PM (IST)
चार साल बाद प्रस्ताव को मिली मंजूरी, अब बड़ोपल के ग्रामीण की बुझेंगी प्यास

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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गांव बड़ोपल के जलघर में अब भाखड़ा नहर की फतेहाबाद ब्रांच से नहरी पानी की सप्लाई होगी। इसकी मांग बड़ोपल की पंचायत पिछले चार सालों से कर रही थी। पंचायत की मांग को दैनिक जागरण ने भी कई बार प्रमुखता से प्रकाशित किया। गत 10 सितंबर के अंक में भी गांव बड़ोपल में पेयजल संकट का मुद्दा उठाया। आखिरकार यह मंजूरी पंचायत द्वारा ग्रिवेंस कमेटी की बैठक में अपनी शिकायत रखने के बाद मिली है। बैठक में गांव बड़ोपल की सरपंच शारद देवी व प्रतिनिधि जो¨गद्र पूनिया ने बताया कि उनके गांव में बड़ी नहर गुजरने के बाद भी ग्रामीणों को पेयजल की किल्लत है।

जलघर में खाराखेड़ी माइनर से पानी की सप्लाई होती है। उस माइनर में महीने में सिर्फ सात दिन ही पानी बहता है। ऐसे में जलघर में पानी का स्टॉक पूरा नहीं होता। उन्होंने बताया कि गांव से गुजरती फतेहाबाद ब्रांच नहर से पानी की सप्लाई जलघर में करने के लिए उन्होंने जन स्वास्थ्य विभाग को चार साल पहले प्रस्ताव भेजा था। वहीं बैठक में अपना पक्ष रखते हुए जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता ने बताया कि पंचायत की मांग पर नहर से लेकर जलघर तक का एस्टीमेंट बनाया है। जिस पर करीब 2 करोड़ 55 लाख रुपये खर्च होंगे। अब इसकी मंजूरी के लिए मुख्यालय फाइल भेजी जाएगी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने आश्वासन दिया कि बड़ोपल बड़ा गांव है। ऐसे में जल्द से जल्द इस पेयजल संकट की समस्या समाधान होना चाहिए। उन्होंने जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता को निर्देश दिए कि आगामी बैठक तक इस कार्य को मंजूरी मिल जानी चाहिए, अन्यथा संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए कि वो यहां से फाइल तैयार करवाकर ऊपर भेजे, उसके बाद इसे पास करवाने की जिम्मेदारी खुद मंत्री की होगी।

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मंत्री महिला सरपंच से बोले आप मनोहर सरकार की नीति से बनी सरपंच :

अपने गांव बड़ोपल की समस्या लेकर आई महिला सरपंच शारदा देवी को मंत्री कृष्ण बेदी ने बताया कि पढ़ी लिखी सरपंच मनोहर सरकार की नीतियों से बनी हैं। सरकार नीति न बनाती तो वह सरपंच नहीं बन पाती। मंत्री ने सरपंच से पूछा कि आप कितनी पढ़ी लिखी हो, तो सरपंच ने बताया कि वह संस्कृत से एमए है। सरकार शैक्षणिक योग्यता लागू न करती तो उसकी सासू मां सरपंच बनती। इस पर उपायुक्त ने कहा कि बड़ोपल की सरपंच शारदा बढि़या कार्य कर रही है।


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