Alzheimer s Day: स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, अल्जाइमर से बचने चिकित्सकों की जरूरी सलाह
Alzheimer s Day यह बीमारी 60 व उससे अधिक आयु वाले लोगों को अधिक होती है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता के अभाव के चलते लोग इस बीमारी को स्वीकारते नहीं है। जिले में इस बीमारी के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं।
फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। Alzheimer s Day: अक्सर बात करते समय आप वह भूल जाते हैं, जो आप कहना चाहते हैं, जबकि वह बात हमारे दिमाग में तो होती है, लेकिन जुबान पर नहीं आ पाती। सामान्य तौर पर हम सभी ऐसी परेशानी का सामना करते हैं, लेकिन जब यह समस्या बढ़ जाए, तो एक बीमारी बन जाती है। इस बीमारी को अल्जाइमर कहा जाता है। उम्र के एक पड़ाव आने के बाद यानी बुढ़ापे में लोग अक्सर इस बीमारी का सामना करते हैं।
यह बीमारी 60 व उससे अधिक आयु वाले लोगों को अधिक होती है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता के अभाव के चलते लोग इस बीमारी को स्वीकारते नहीं है। जिले में इस बीमारी के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। चिकित्सकों की माने, तो लोग घर से किसी कार्य से निकलते हैं, लेकिन कार्य को भूल जाते हैं।
यह बीमारी बहुत स्मरण शक्ति को कमजोर बनाती है। अब यह बीमारी बुजुर्गों तक सीमित नहीं है। अब युवा भी चपेट आ रहे हैं। अस्पतालों में एक ऐसा युवा चिकित्सकीय परामर्श लेने के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें भूलने की बीमारी है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं खुद बनती और समाप्त होती हैं। यह रोग मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण बढ़ता है।
अल्जाइमर के लक्षण
नींद न आना, चिंता, परेशानी, सवालों का बार-बार दोहराना, रोजमर्रा के कामों को करने में दिक्कत महसूस होना, काम में मन न लगना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और स्वजन को न पहचानना अल्जामइर के लक्षण हैं।
विशेषज्ञों की सलाह
जीवनशैली में बदलाव करके इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम, पोषक तत्वों से भरपूर डायट, लोगों से मिलना जुलना चाहिए, सकारात्मक सोच, नशे से दूर, रक्तचाप व मधुमेह को नियंत्रण में रखकर इस बीमारी से बच सकते हैं।
यह रोग आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होती है। उम्र के साथ मस्तिष्क की कार्य क्षमता कम होने लगती है। मस्तिष्क की न्यूरान्स (तंत्रिका कोशिका) की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगती है। साथ ही इन कोशिकाओं की गुणवत्ता भी खराब होने लगती है।
- मस्तिष्क के अंदर कोशिकाओं के एक बार नष्ट होने के बाद दूसरे सेल्स बनने की शक्ति नहीं होती है। लोग इस बीमारी को बहुत सामान्य लेते हैं। इसे भूलने की आदत मानते हैं, जबकि वह एक बीमारी होती है। - डा.नजीब उर रहमान, मैरिंगो क्यूआरजी अस्पताल
- यदि किसी को भूलने की परेशानी है, तो वह उसे आदत न माने। यह एक बीमारी है। इस बीमारी का अभी कोई पूर्ण इलाज नहीं मिला है, लेकिन जांच के बाद दवा से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। लोगों से अपील है कि चीजों को समझने, याद रखने और भूलने की समस्या है, तो जांच अवश्य कराएं। - डा.रोहित गुप्ता, एकार्ड अस्पताल