पराली न जलाएं किसान, घटती है भूमि की उर्वरा शक्ति
जागरण संवाददता फतेहाबाद पराली न जले इसके लिए किसान प्रयासरत है। कुछ किसान ऐसे भी है
जागरण संवाददता, फतेहाबाद :
पराली न जले इसके लिए किसान प्रयासरत है। कुछ किसान ऐसे भी है जो पराली कभी नहीं जला रहे है। ऐसा ही किसान है गांव भीवां बस्ती का किसान हन्नी नारंग। किसान के खेत में दैनिक जागरण द्वारा प्रदर्शन का आयोजन किया गया। जिसमें अन्य किसानों का भी आमंत्रित किया गया। वही कृषि विभाग से एडीओ ने भी भाग लिया। किसान ने अपने खेत की लगभग 18 एकड़ के धान के अवशेषों की स्ट्रा बेलर द्वारा गांठे बनाकर धान की पराली का समुचित प्रबंधन किया है। वहीं किसान हन्नी नारंग ने बताया की वह पिछले चार सालों से पराली जलाने की बजाय उसे मिट्टी मे मिलाकर व स्ट्रा बेलर द्वारा गांठे बनवाकर गेहूं की बिजाई करता है। युवा किसान द्वारा किए जा रहे प्रयास को दूसरे किसानों तक पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण द्वारा उसके खेत में फसल प्रबंधन को बताने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
---------------------
हन्नी नारंग जैसे किसानों की सही सोच के कारण ही हमारा वातावरण प्रदूषित होने से बचा है। इसलिए हमें ऐसे किसानों का हर समय उत्साह बढ़ाते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि धान के अवशेषों मे आग लगाने से जमीन मे मित्र कीट मर जाते है और इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। ऐसे में लगातार फसल के अवशेष जलाने वाले किसानों की जमीन बंजर हो रही है।
- डा. जयकुमार भोरिया, एडीओ।
---------------------
शुरुआत में धान के अवशेष प्रबंधन में परेशानी आई। अब ऐसा नहीं है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ गई। मैं पिछले चार साल से धान व गेहूं के अवशेष नहीं जला रहा। इस बार तो कुछ एकड़ की गांठे बना कर फसल प्रबंधन किया तो कुछ एकड़ में धान के अवशेष जमीन में मिला दिए। दैनिक जागरण जो प्रयास कर रहा वो भी काबिले तारीफ है। हम जैसे किसानों को आगे लाने में जागरण का बहुत योगदान है।
- हन्नी नारंग, किसान।
-------------------
हन्नी नारंग को देखकर इस बार उन्होंने भी फसल अवशेष प्रबंधन कर शुरू कर दिया है। गेहूं का लगाव अच्छा हुआ है। ऐसे में मेरा आग्रह है कि किसान फसलों के अवशेष जलाने की बजाए उसे मिट्टी में मिलाए, ताकि उनकी जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ सके।
- हेमंत मेहता, किसान।
--------------------
किसान तभी जागरूक होंगे, जब उन्हें इस तरह की प्रदर्शनी लगाकर जानकारी दी जाएगी। दैनिक जागरण का प्रयास से किसानों को बहुत मदद मिली। इस बार जागरूकता से अनेक किसानों ने फसल अवशेष का प्रबंधन किया। सरकार से आग्रह है कि वे अधिक से अधिक किसानों को स्ट्राबेलर खरीदने के लिए अनुदान दे, ताकि धुएं की समस्या से राहत मिल सके।
पंकज मक्कड़, किसान
---------------------
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित फसल प्रबंधन के लिए प्रदर्शनी से मुझे बहुत जानकारी मिली। ऐसा प्रयास सभी को करना चाहिए। वैसे फसल अवशेष प्रबंधन करना प्रत्येक किसान अपनी जिम्मेदारी समझे। आलू उत्पादक किसानों के लिए तो फसल अवशेष बहुत फायदेमंद है।
अमनदीप सिंह, किसान