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जिलास्तर पर पदक जीतकर ग्रुप डी के तहत लगे युवाओं की नौकरी पर संकट

जागरण संवाददाता फतेहाबाद सरकार की नीति को सीधा जन मानस पर प्रभाव पड़ता है। सरकार

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 07:45 AM (IST)
जिलास्तर पर पदक जीतकर ग्रुप डी के तहत लगे युवाओं की नौकरी पर संकट
जिलास्तर पर पदक जीतकर ग्रुप डी के तहत लगे युवाओं की नौकरी पर संकट

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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सरकार की नीति को सीधा जन मानस पर प्रभाव पड़ता है। सरकार अपनी नीति कब बदल दे। इसका किसी को कोई पता नहीं होता। कभी सरकार की नीति होती थी जिसमें जिला स्तर पर विजेता खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाते थे। जनवरी 2018 में ग्रुप डी की भर्ती हुई तो जिले के 857 खिलाड़ी नौकरी लगे। जिसमें से स्पो‌र्ट्स कोटे से 103 युवा नौकरी लगे। इनमें से कुछ युवा ऐसे हैं जिन्होंने पुरानी खेल नीति के अनुसार ग्रेडेशन बनाया हुआ था। जिला स्तर पर विजेता खिलाड़ियों को खेल विभाग ग्रेडेशन सर्टिफिकेट जारी कर देता था। अब ऐसे ही खिलाड़ियों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे युवा बड़ी संख्या में है। अकेले फतेहाबाद में इनकी संख्या काफी है।

हालांकि सरकार ने इनको राहत देने के लिए 25 नवंबर तक नई नीति के तहत ग्रेडेशन बनाने की छूट दी है। इतना ही नहीं जो ग्रुप डी में कर्मचारी लगे हुए हैं वे 25 मई 2018 की पॉलिसी के अनुसार अपना ग्रेडेशन बना सकते है। इसमें प्रावधान है कि स्कूली प्रतियोगिता में स्टेट विजेता खिलाड़ी का ग्रेडेशन बन सकता है। सरकार ने यह स्पेशल छूट ग्रुप डी के कर्मचारियों की नौकरी को बचाने के लिए दी है। बुधवार को जिला खेल स्टेडियम में कुछ युवा अपना ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाने के लिए आए। जिनके खेल विभाग के कर्मचारियों ने दस्तावेज देंगे। खेल विभाग इनके 25 दिसंबर तक ये ग्रेडेशन सर्टिफिकेट जारी करेगा।

खेल विभाग के कर्मचारियों का कहना हैं कि जिले में 103 युवा स्पो कोटे से ग्रुप डी की भर्ती में लगे थे। जिसमें से 60 युवा पहले ही अपना ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाकर ले गए। वहीं बचे हुए युवा अब आ रहे हैं। उनका बस 25 नवंबर तक ही छूट है। हालांकि अब बिना नौकरी लगे हुआ कोई भी युवा स्कूली स्टेट प्रतियोगिता के आधार पर सर्टिफिकेट बनाना चाहते तो उसका नहीं बनेगा। इसकी वजह है कि सरकार ने उसी वर्ष नई एक और पॉलिसी लागू कर दी। जिसमें अब स्टेट प्रतियोगिता विजेता खिलाड़ी का ही ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनेगा।

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पुरानी नीति की वजह से प्रभावित हुआ युवाओं का कॅरियर :

खेल विभाग के अनुसार पहले खिलाडियों के लिए ग्रेडेशन बनाने के लिए वर्ष 1993 की नीति थी। जिसके अनुसार जिला स्तर पर विजेता खिलाड़ी का ग्रेडेशन बना दिया जाता था। इसके बाद खेल विभाग के अतिरिक्त प्रधान सचिव रहे अशोक खेमका ने बदलाव किया। उन्होंने वर्ष 2018 ग्रेडेशन के लिए नई खेल नीति बनाई। 15 मई 2018 लागू की गई। इसमें जिला स्तर पर विजेता खिलाड़ियों के बनने वाले ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बंद कर दिए। हालांकि उसमें स्कूली स्टेट प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ियों के ग्रेडेशन का बनाने का प्रावधान कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने उसी वर्ष 15 नवंबर 2018 को नई नीति बनाई। इसमें स्कूली स्टेट विजेता का ग्रेडेशन भी खत्म कर दिया।

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ओलंपिक में शामिल गेम की बनती है ग्रेडेशन :

खेल विभाग के अनुसार ग्रेडेशन सिर्फ उन खेलों की बनती है जो ओलंपिक में शामिल है। अब नई नीति के तहत उन्हीं खिलाड़ियों के ग्रेडेशन बन रहे है जिन्होंने ग्रेडेशन में शामिल खेलों में भाग लेते हुए प्रदेश स्तर पर पदक जीता हो। वह भी खेल विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता या खेल विभाग से मान्यता प्राप्त संघ से आयोजित प्रतियोगिता में। बिना किसी मान्यता प्राप्त एसोसिएशन में भाग लेकर पदक जीतने वालों खिलाड़ियों का ग्रेडेशन नहीं बन सकते।

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ग्रुड डी में जो युवा स्पो‌र्ट्स कोर्ट से लगे हैं। जिन्होंने अभी तक अपना नई नीति के तहत अपना ग्रेडेशन नहीं बनाया है। उनको ग्रेडेशन बनाने के लिए सरकार ने 25 नवंबर तक अंतिम मौका दिया है। ये युवा 25 मई 2018 की नीति के अनुसार ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बना सकते हैं। ऐसे में सरकार की छूट का फायदा उठाते हुए ग्रुप डी में लगे युवा निर्धारित समय में अपना ग्रेडेशन बनाए। इसके बाद 15 नवंबर 2018 की नीति के अनुसार सर्टिफिकेट बनेंगे।

- राजेंद्र सिंह बेरवाल, जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी।

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