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सीएमओ के सचिव सहायक नितिन को एसडीएम ने माना दोषी

जागरण संवाददाता फतेहाबाद सरकारी नौकरी के साथ जेबीटी का कोर्स करना स्वास्थ्य विभाग के

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:30 AM (IST)
सीएमओ के सचिव सहायक नितिन को एसडीएम ने माना दोषी
सीएमओ के सचिव सहायक नितिन को एसडीएम ने माना दोषी

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : सरकारी नौकरी के साथ जेबीटी का कोर्स करना स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ कार्यालय में कार्यरत एसए यानी सचिव सहायक नितिन बतरा को महंगा पड़ा है। उनके खिलाफ आई शिकायत पर जांच करते हुए एसडीएम ने नितिन को दोषी माना है। आगामी कार्रवाई के एसडीएम संजय बिश्नोई ने उपायुक्त को पत्र भेजा है। 30 जुलाई को भेजे पत्र में एसडीएम संजय बिश्नोई ने बताया कि शिकायतकर्ता गांव बीसला राजकुमार, आरोपित नीतिन बतरा, सीएमओ मनीष बंसल के साथ डाइट प्रिसिपल को बुलाकर रिकार्ड की जांच की। जिसमें सामने आया कि नितिन बतरा ने वर्ष 2017-19 सत्र के लिए जेबीटी डिग में दाखिला लिया। इस दौरान नितिन ने वहां लगातार हाजिरी लगी हुई का रिकार्ड भी प्रिसिपल ने प्रस्तुत किया। इतना ही नहीं नितिन ने सत्यापित पत्र भी दिया था कि वह पढ़ाई के दौरान कहीं नौकरी नहीं करेगा। लेकिन सीएमओ के सहायक सचिव के पद पर रहते हुए नितिन ने वेतन भी लिया और डाईट डिग में हाजिरी भी लगाई। एक व्यक्ति ऐसे कैसे कर सकता है। ऐसे में एसए नितिन पूर्णतया: दोषी है।

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ये है मामला :

स्वास्थ्य विभाग के हटाए गए कर्मचारी राजकुमार बीसला ने नितिन के खिलाफ गत 13 फरवरी को उपायुक्त को शिकायत दी थी। उपायुक्त ने पूरे मामले की जांच करने के लिए एसडीएम फतेहाबाद को निर्देश दिए। एसडीएम ने करीब 5 महीने बाद अपनी रिपोर्ट में कर्मचारी नितिन को दोषी माना।

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रिपोर्ट में सीएमओ ने अपने सहायक का किया बचाव

एसडीएम की रिपोर्ट में सीएमओ मनीष बंसल का बयान है। जिसमें सीएमओ ने बताया कि नितिन ने एसए यानी का पदभार 8 अगस्त 2018 में ग्रहण किया। जिसके बाद उसकी ड्यूटी दोपहर बाद की शिफ्ट में लगी। यह ड्यूटी उसने 3 मार्च 2019 तक की। इतना ही नहीं कर्मचारी का व्यवहार सदैव संतोषजनक रहा। वहीं सचिव ने अपने बयानों में बताया कि वह पहले सीएमओ कार्यालय के डीपीए के पद पर कार्यरत था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पद को 2017 में खत्म कर दिया। ऐसे में उसकी नौकरी चली गई तो उज्जवल भविष्य के लिए जेबीटी का कोर्स शुरू किया, लेकिन उसने जेबीटी की न तो वार्षिक परीक्षा दी। ऐसे में उसे भविष्य में लाभ नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं उसकी हाजिरी भी वहां के स्टाफ ने उसकी आयु अधिक होने के चलते संवेदनाओं के आधार पर लगा दी।


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