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शिक्षा के मंदिरों में सरोकार के सारथी हैं ये शिक्षक

हरियाणा में सरकारी स्कूलों के शिक्षक शिक्षा के मंदिरों में स्वच्छता की अलख जगाकर माहौल में बदलाव लाकर बच्चों के भविष्य की नींव रख रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 29 Dec 2017 06:31 PM (IST)Updated: Fri, 29 Dec 2017 06:33 PM (IST)
शिक्षा के मंदिरों में सरोकार के सारथी हैं ये शिक्षक
शिक्षा के मंदिरों में सरोकार के सारथी हैं ये शिक्षक

फतेहाबाद [मणिकांत मयंक]। आमतौर पर सरकारी स्कूलों का नाम सुनते ही नकारात्मक छवि उभरती है। लेकिन सरकारी स्कूलों के कुछ शिक्षकों की चेतना में भी सामाजिक सरोकारों की गमक वाला सौंदर्य-बोध भी है। संवेदनाओं को साथ लिये स्थायी सेवा अथवा स्थानांतरण के दौरान भी मानो इनके कानों में दुष्यंत कुमार के शब्द-एक आदत सी बन गई है तू, और आदत कभी नहीं जाती- गूंज रहे होते हैं।

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यह है गांव हिजरावां कलां का राजकीय प्राथमिक विद्यालय। प्रवेश द्वार के साथ ही अंकित है-लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबंध करो। स्वच्छ भारत मिशन को समर्पित ये शब्द यहां महज स्लोगन नहीं हैं। स्कूल परिसर में लड़के व लड़कियों के लिए अलग-अलग हैं शौचालय। थोड़ा-सा आगे बढऩे पर एक और स्लोगन। सुन ले चाची सुन ले ताई, सबसे पहले करो सफाई। यहां रंजीत कौर, कर्मो बाई, देबो बाई व नरेंद्र कौर नौनिहालों के लिए दोपहर का भोजन बना रही हैं। कतई साफ-सुथरा प्रांगण। 317 बच्चों तथा 12 शिक्षकों वाले इस स्कूल के दूसरे छोर पर जल ही जीवन का संदेश। यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। जल संरक्षण के लिए।

इस स्कूल का चौकीदार श्रीराम कहता है कि कुछ ही समय पहले यहां भेड़-बकरियां चरा करती थीं। एक अन्य शिक्षक अंकित शर्मा के मुताबिक यहां तो खुला मैदान था। एक बास्केटबॉल के सिवाय और था ही क्या? अब तो प्रेयर के लिए कोरीडोर भी है। जब से गुरुजी देवेंद्र सिंह दहिया आए हैं स्कूल की काया ही पलट गई। इससे पहले जब वह हिजरावां खुर्द में थे तो वर्ष 2012 में स्कूल को ब्लॉक स्तर पर मुख्यमंत्री स्कूल सुंदरीकरण का पुरस्कार मिला। उन्हें खुद वर्ष 2010 में सर्वश्रेष्ठ राज्य शिक्षक का सम्मान मिला।

अब हम लिये चलते हैं जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर राजकीय उच्च विद्यालय भड़ोलां वाली। यहां स्वच्छता का ख्याल इतना कि कचरा मुझे दो लिखे पांच डस्टबिन रखे हुए हैं। साढ़े तीन एकड़ में फैले स्कूल में क्लोज सर्किट कैमरे लगे हैं। पेड़ों से आच्छादित परिसर में 130 गमले पर्यावरण संरक्षक्षण के संदेश देते हैं।

साथ लगते प्राइमरी स्कूल के हेड टीचर गुरमीत सिंह कहते हैं कि देखादेखी उन्होंने भी स्कूल के सुंदरीकरण की दिशा में कदम बढ़ा दिये हैं। उनका कहना है कि दो माह बीते हैं। जब से हरमिंदर सिंह ने डीडी पॉवर संभला है, इस स्कूल का कायाकल्प हो गया है।

बता दें कि यह वही हरमिंदर सिंह हैं जिन्होंने बतौर प्रिंसिपल हिजरावां खुर्द के सीनियर सेकेंडरी स्कूल को जिला स्तर पर मुख्यमंत्री सुंदरीकरण पुरस्कार दिलाया था। इसके बाद वर्ष 2014 में फतेहाबाद गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल को। अब यह तीसरा स्कूल है जो उनकी देखरेख में सरोकारों का गुलशन बनने के पथ पर है।

अनुकरणीय पहल

भड़ोलां वाली के सरपंच बलदेव सिंह का कहना है कि सारा बदलाव हरमिंदर सिंह के आने के बाद ही हुआ है। स्टॉफ की कमी होने के बावजूद उन्होंने जो स्कूल का स्वरूप बदला है, अनुकरणीय है। उनके ही कहने पर मैंने 8-10 लाख रुपये खर्च कर दिए।

छुट्टी के दिन भी जुटे रहे हैं

राजकील उच्च विद्यालय भड़ोलां वाली के हेडमास्टर गौरीशंकर का कहना है कि ऐसे शख्स बहुत कम मिलते हैं। छुट्टी वाले दिन भी जुटे रहना प्रेरित करता है। हरमिंदर सिंह प्राइवेट स्कूलों के साथ प्रतिस्पर्धा की चुनौती स्वीकार करते हैं और स्कूलों में शिक्षा को नया आयाम देते हैं।

वातावरण स्वच्छ होगा तो बनेगा शिक्षा माहौल

राज्य पुरस्कार प्राप्त हरमिंदर सिंह व देवेंद्र सिंह का कहना है कि बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक है कि स्कूल का माहौल भी स्वच्छ  हो। आसपास का माहौल बेहतर होगा तो शिक्षा का माहौल बनेगा।
बस यही लक्ष्य है कि सरकारी स्कूलाें के बच्चों  को बेहतर माहौल मिले।

यह एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा

डीईओ दयानंद सिहाग का कहना है कि मुख्यमंत्री सौंदर्यीकरण योजना को आगे बढ़ाने में ऐसे शिक्षकों का अहम योगदान है। इन्हें संदेश दिया गया है कि स्कूल का आउटलुक महत्वपूर्ण होता है। वातावरण बढ़िया होगा तभी बच्चे तथा उनके अभिभावक आकर्षित होंगे। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है।

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