अवकाश के दिन भी चेकिग जारी, पराली जलाने वाले किसानों पर की कार्रवाई
संवाद सूत्र कुलां प्रशासन के आदेशों की धरतीपुत्र परवाह नहीं कर रहे हैं। प्रतिबंध के
संवाद सूत्र, कुलां :
प्रशासन के आदेशों की धरतीपुत्र परवाह नहीं कर रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद फसल अवशेष जलाने का सिलसिला निरंतर जारी है। फसल अवशेष जलाने से यहां वायु प्रदूषण फैल रहा है, वहीं आमजन को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशासन की सख्त कार्यवाही के बाद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। रविवार को भी क्षेत्र में किसानों द्वारा कई जगहों पर धान अवशेषों को आग लगाई गई। इसपर प्रशासनिक टीम द्वारा सेटेलाइट से पराली जलाने के चित्रों के आधार पर मौके पर पहुंचकर अग्निशमन वाहन से आग को बुझाया गया। अधिकारियों मुताबिक पराली जलाने वाले किसानों की पहचान कर उनके खिलाफ नजदीकी पुलिस चौकी या थाना में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। वहीं इसकी रिपोर्ट तैयारकर जिला प्रशासन को प्रस्तुत की जाएगी। जिसके बाद संबंधित किसानों पर जुर्माना व दंडात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
उपायुक्त के आदेशों को मुख्य रख तहसील स्तरीय अधिकारी व कर्मचारियों की टीम ने खेतों में धान अवशेषों को आग लगाने वाले किसानों के खेतों में रविवार को भी चेकिग अभियान जारी रखा। विभागीय टीम ने कृषि विकास अधिकारी के नेतृत्व में उन जगहों पर छापेमारी की, यहां उन्हें पराली जलाने की सूचना मिली थी। एडीओ सुरेश यादव ने बताया कि जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार उनकी गठित टीम द्वारा क्षेत्र में किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही इससे होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराया जा रहा है। इसके बावजूद किसान पर्यावरण के दुश्मन बने हुए हैं।
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इन जगहों पर जलाई गई पराली
धारसूल अग्निशमन कर्मियों ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की सूचना पर रविवार को क्षेत्र में तीन जगहों पर उनकी गाड़ी आग बुझाने गईं थीं। गांव सलेमपुरी के पास किसानों द्वारा करीब पांच एकड़ भूमि में धान की पराली को आग लगाई गई थी। जिसे मौके पर बुझाया गया। कुलां- टोहाना रोड़ पर गांव अकांवाली के पास सड़क किनारे खेतों में भी किसानों द्वारा पांच एकड़ से अधिक भूमि में धान अवशेष जलाए जा रहे थे। इसके अलावा गांव जापताखेड़ा में भी मुख्य सड़क के किनारे किसानों ने कई एकड़ में नाड़ जलाई जा रही थी, जिसे मौके पर जाकर बुझाया गया।
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पराली को लगाई आग से जली तूड़ी
रविवार को गांव जापताखेड़ा में किसानों ने खेतों में धान अवशेषों को आग लगाई गई। जिससे आग हवा से फैलकर वहां खेतों में पड़े तूड़ी के कूपों को पकड़ गईं। बताया गया है कि वहां तीन कूप तूड़ी पड़ी थी। आग लगते ही किसानों ने थोड़ी देर में आग पर काबू पा लिया। परंतु इससे एक कूप तूड़ी जलकर खाक हो गई।