बस अड्डे में खड़ी रहती हैं रोडवेज की बसें, हाईवे पर दौड़ रही निजी बसे, दो को पकड़ा
रोडवेज की बसें डिपो में खड़ी धुल फांक रही है, वहीं निजी
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
रोडवेज की बसें डिपो में खड़ी धुल फांक रही है, वहीं निजी बसें बिना परमिट हाइवे पर दौड़ती रहती है। दो बसें तो खुद रोडवेज विभाग के अधिकारियों ने आरटीओ से पकड़वाई। रोडवेज की बसें अब प्रतिदिन 12 हजार किलोमीटर की दूरी कम तय करती हैं। इससे रोडवेज को प्रतिदिन 5 लाख रुपये तक का घाटा लगने लगा है। लंबे रूटों पर बसें नहीं चल रहीं। इसका फायदा अब निजी बस आपरेटर उठा रहे हैं। इन्होंने आरटीओ कार्यालयों के साथ मिलीभगत करते हुए हिसार व सिरसा रूट पर कई निजी बसें चला दी है। मंगलवार को रोडवेज के टीएम एवं लेखाकार सुभाष मोंगा ने हिसार-सिरसा रूट पर चल रही दो निजी बसें पकड़ कर आरटीए कार्यालय के अधिकारियों के सुपुर्द की। पकड़ी गई बसें अवैध तरीके से हिसार से सिरसा रूट पर चल रही थी।
विदित रहे कि प्रदेश सरकार ने ओवरटाइम नीति को पूरी तरह बंद करने के आदेश जारी कर दिए। अपने आदेश को लागू करवाने के लिए उच्चाधिकारी जिला स्तर के अधिकारियों पर दबाव बना रहे है। उनके दवाब के चक्कर में डिपो की बसें दिल्ली व चंडीगढ़ जैसे रूटों पर कम चलने लगी है। पिछले एक महीने के दौरान फतेहाबाद डिपो में 12 हजार किलोमीटर प्रतिदिन कम तय करने लगी है। जो बसें पहले प्रतिदिन 58 हजार किलोमीटर सफर तय करती थी, जो अब घटकर 46 हजार किलोमीटर ही रह गया। हालांकि प्रतिदिन रोडवेज की बसें 12 हजार किलोमीटर का सफर ही कम किया है, इस कारण पांच लाख रुपये कम मिलने लगे है। इसकी वजह से लंबे रूट प्रभावित हुई है। जिससे रोडवेज की आय एक तिहाई कम हो गई।
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टायर के बिना डिपो में खड़ी हैं बसें
फतेहाबाद डिपो में बसों के लिए पिछले तीन महीनों से टायर नहीं आ रहे है। प्रत्येक महीने 60 से अधिक टायरों की जरूरत होती हैं। अब टायर न आने के कारण फतेहाबाद डिपो में बसें खड़ी रहने लगी है। इससे यात्रियों की परेशानी और अधिक बढ़ गई है। रोडवेज यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने रोडवेज का बेड़ागर्क कर दिया हैं। अब डिपो में टायर के अभाव डिपो में करीब 10 बसें रूटों पर नहीं जा रही। इससे रोडवेज को घाटा लग रहा है।
------------------------हमारी बसें सही चल रही है। सरकार के निर्देशानुसार ओवरटाइम कम कर दिया है। आगामी शुक्रवार तक सौ फीसद ओवरटाइम कम कर दिया जाएगा। इसका असर दूरी पर तो पड़ा ही है। अब डिपो की बसें पहले के मुकाबले काफी कम दूरी तय कर रही है।
- सुभाष मोंगा, टीएम, रोडवेज।