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सरसों की खरीद न होने पर बिफरे किसान, हैफेड के अधिकारी पहुंचे

संवाद सूत्र भूना सरसों की फसल में नमी बताकर अधिकारियों द्वारा खरीद में बरती जा रही ला

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 11:37 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 06:40 AM (IST)
सरसों की खरीद न होने पर बिफरे किसान, हैफेड के अधिकारी पहुंचे
सरसों की खरीद न होने पर बिफरे किसान, हैफेड के अधिकारी पहुंचे

संवाद सूत्र, भूना :

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सरसों की फसल में नमी बताकर अधिकारियों द्वारा खरीद में बरती जा रही लापरवाही उपायुक्त के संज्ञान में आने के बाद हैफेड प्रबंधक दलीप सिंह, मार्केट कमेटी के सचिव शिव कुमार, नायब तहसीलदार मनोहर लाल किसानों के बीच पहुंचे और किसानों से गहनता से बातचीत की।

किसान तस्वीर सिंह ढिल्लो, धर्मबीर ढिल्लो, ओम प्रकाश, कर्मबीर गिल, मियां सिंह बेनीवाल, अनिल कुमार, संदीप कुमार, ओम प्रकाश नहला व कृष्ण गिल ने कहा कि भूना इलाके में नहला सर्वाधिक सरसों पैदा करने वाला गांव है। इसलिए नहला के किसानों की सप्ताह में तीन दिन सरसों खरीद की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह से किसान अनाज मंडी में सरसों बेचने के लिए भूखे प्यासे बैठे हुए थे, मगर हैफेड खरीद एजेंसी के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उनकी सरसों में न मी अधिक होने का हवाला देकर खरीदने से इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि मंडी में दो दर्जन से अधिक किसान पूरे दिन तक सरसों खरीदने वाले अधिकारियों को बार बार मौके पर बुलाकर नमी जांचने के लिए बुलाते रहे। लेकिन सायं तक उनकी खरीद नहीं की गई। किसानों का आरोप है कि सरकार व प्रशासनिक अधिकारी प्राइवेट फैक्टरियों के मालिकों के दबाव में हैं, इसलिए वे सरकारी खरीद की खानापूर्ति करके चले जाते हैं और किसान निजी लोगों को बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट व्यापारी किसान की सरसों 35 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 42 सौ रुपये प्रति क्विंटल है। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने किसानों को समझाया कि सरसों की फसल में नमी अधिक है, इसलिए खरीद नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि फसल को जमीन पर बिछाकर सुखाएं, तभी नमी कम होगी और निर्धारित नमीमुक्त होने पर खरीदी जाएगी।

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किसानों की सरसों की फसल हैफेड द्वारा लगातार खरीदी जा रही है। नहला में अधिक सरसों की पैदावार होने के कारण उन्हें शनिवार को दूसरी बार बुलाया गया था। जिनमें कई किसानों की ढेरियां खरीदी गई, परंतू कुछ ढेरियों में नमी अधिक थी, इसलिए रोक दी गई थी।

दलीप सिंह, प्रबंधक, हैफेड सहकारी विपणन समिति।


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