एसडीएम की जांच रिपोर्ट में बैंक घोटाले की पुष्टि
दी फतेहाबाद सहकारी समिति बैंक घोटाले में आए दिन नए खुलासे हो र
राजेश भादू, फतेहाबाद
दी फतेहाबाद सहकारी समिति बैंक घोटाले में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। उसी कड़ी में अब एसडीएम सतबीर जांगू की रिपोर्ट भी सामने आ गई है, जिसमें कहा गया है कि बैंक अधिकारियों ने कॉमर्शियल ऋण देते समय स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री फीस की चोरी की है। बैंक अधिकारियों व तहसीलदार कार्यालय ने मिलकर कॉमर्शियल ऋण को एग्रीकल्चर ऋण दिखा दिया। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। विदित रहे कि उपायुक्त डा. जेके आभीर ने ग्रिवेंस कमेटी की बैठक में राज्यमंत्री कृष्ण बेदी के सामने एक शिकायत पर अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा था कि बैंक अधिकारियों ने किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की। एसडीएम की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद दी फतेहाबाद सहकारी समिति बैंक के महाप्रबंधक नरसीराम गोदारा की मुश्किल बढ़ रही है। इससे पहले भी कराधान विभाग की रिपोर्ट में करोड़ों रुपये की गड़बड़ी मानी है। इसके अलावा हरको बैंक की जांच में भी बैंक अधिकारियों की गड़बड़ी के आधार पर जीएम नरसीराम गोदारा को चार्जशीट किया हुआ है।
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18 में से 5 बैंकों की जांच की
अब एसडीएम कार्यालय से हुई जांच में साफ हो गया है कि बैंक के अधिकारियों ने ऋण देते समय बड़े स्तर पर घोटाला किया है। तहसील कार्यालय के अधिकारियों के साथ मिलकर बैंक अधिकारियों ने स्टांप ड्यूटी के साथ रजिस्ट्री फीस की चोरी की हैं। जो करोड़ों रुपये बनती है। बैंक की 18 शाखाएं जिले में कार्यरत हैं, जिनमें से एसडीएम ने 5 बैंकों की जांच की। उन पांच शाखाओं ने करीब 11 लाख रुपये की स्टांप ड्यूटी व रजिस्ट्री फीस चोरी सामने आई है।
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ये है मामला
पूर्व बार प्रधान सुशील बिश्नोई ने दी सहकारी समिति बैंक के अधिकारियों के खिलाफ गत वर्ष अक्टूबर में उपायुक्त को शिकायत दी। उनकी शिकायत पर एसडीएम सतबीर जांगू ने जांच की। करीब छह महीने चली जांच के बाद उन्होंने अपनी फाइनल रिपोर्ट मई में उपायुक्त कार्यालय में भेज दी। जिसमें उन्होंने पाया कि गैर कृषि कार्य ऋण यानी कॉमर्शियल लोन देते समय रजिस्ट्री फीस के साथ स्टांप ड्यूटी में चोरी हुई। यह बैंक घोटाला अप्रैल 2016 से लेकर दिसंबर 2017 के बीच हुआ। उस समय जिले में 500 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया। नियमानुसार कॉमर्शिलय ऋण पर डेढ़ फीसद स्टांप लगती है। इसके साथ प्रत्येक ऋण पर रजिस्ट्री फीस भी 5 हजार रुपये देनी होती है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि सबसे ज्यादा गड़बड़ी फतेहाबाद की शाखा द्वारा की गई। जिसकी जांच अभी तक नहीं हुई।
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मैंने गत वर्ष उपायुक्त को शिकायत दी थी, जिसकी जांच एसडीएम ने की है। अब मैंने मेरी शिकायत पर हुई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा, जिसमें मुझे जो दस्तावेज दिए है उसमें सामने आया है कि एसडीएम की जांच में भी गड़बड़ी उजागर हुई है। अधिकारियों ने ऋण देते समय गड़बड़ी के साथ जालसाजी भी की है। कॉमर्शियल लोन को एग्रीकल्चर लोन दिखाकर रजिस्ट्री फीस व स्टांप फीस की चोरी की। ऐसे में इनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए।
-सुशील बिश्नोई, पूर्व बार प्रधान एवं शिकायतकर्ता।
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तत्कालीन उपायुक्त डा. हरदीप ¨सह ने मेरे पास शिकायत को जांच के लिए भेजा था। उसके बाद मैंने जांच करते हुए उसकी रिपोर्ट उपायुक्त को वापस भेज दी थी। जिसमें सामने आया था कि बैंकों ने कामर्शियल ऋण देते समय रजिस्ट्री व स्टांप ड्यूटी की फीस ठीक से नहीं भरी। इतना ही नहीं उन्होंने कामर्शियल ऋण को भी एग्रीकल्चर में दिखाते हुए रजिस्ट्री करवाई। जो नियमानुसार गलत है।
-सतबीर ¨सह जांगू, एसडीएम
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लोन और स्टांप चोरी के मामले
बैंक शाखा कामर्शियल ऋण किरयाणा स्टोर शेट¨रग स्टोर स्टांप व रजिस्ट्री फीस चोरी
झलनिया 48 14 34 40
बड़ोपल 7 2 5 3
कुकड़ावाली 13 6 7 13
अयाल्की 4 0 4 3
बीघड़ 2 0 2 2
नोट: उपरोक्त आंकड़े विभिन्न ऋणों की संख्या के हैं।