जीर्णोद्धार न होने से खंडहर हो रही प्राचीन धरोहर
कुलां : वैसे तो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में धरोहरों की कमी नहीं है। जबकि इ
संवाद सूत्र, कुलां : वैसे तो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में धरोहरों की कमी नहीं है। जबकि इन्हें सहेजने का कार्य वर्तमान में बंद हो चुका है। एक समय था जब ग्रामवासी स्वयं धरोहरों को सहेजने पर जोर दिया जाता था लेकिन आज ऐसा नहीं है। शेष बची धरोहर देखरेख के अभाव में अपनी पहचान खोती जा रही है। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कुलां के निकट स्थित है गांव धारसूल कलां। इतिहास के नजरिये में गांव अहम महत्व रखता है। गांव में रतिया ब्रांच नहर के तट पर बना प्राचीन गेस्ट हाउस प्राचीन सभ्यता का प्रतीक है। करीब 175 वर्ष पूर्व बना यह गेस्ट हाउस देखरेख के अभाव में आज बदहाली पर आंसू बहा रहा है। शासन की उपेक्षा के चलते देखरेख के अभाव में अथवा इसका जीर्णोद्धार न होने से प्राचीन धरोहर की पहचान लुप्त होती जा रही है। स्थिति यह है अनमोल धरोहर खंडहर में तब्दील होकर रह गई है। लोगों द्वारा मांग की है इस प्राचीन धरोहर को सरकार व पुरातत्व विभाग द्वारा जीर्णोद्धार कर विकसित किया जाना चाहिए।
अंग्रेज शासनकाल के दौरान वर्ष 1843 में अंग्रेज अधिकारियों के ठहराव के लिए यहां गेस्ट हाउस का निर्माण किया था। उस वक्त अंग्रेज अधिकारी अक्सर यहां आते जाते थे। आजादी के बाद यह स्थल पीडब्ल्यूडी की निगरानी के तहत था। जबकि देखरेख के अभाव में यह खंडहरनुमा इमारत बन गई। विगत वर्ष लोगों द्वारा इसके जीर्णोद्धार का मुद्दा उठाया है। इसे लेकर लोगों द्वारा पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा था। हालांकि पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा इस स्थल का निरीक्षण किया था।
निरीक्षण के पश्चात विभागीय अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार के आग्रह पर इसके जीर्णोंद्धार के लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार के पास भेजा है। जबकि पांच माह बीतने के बाद भी अभी तक प्रस्ताव प्रतीक्षा में है। यह है प्राचीन धरोहर के हालात
ग्राम धारसूल का प्राचीन गेस्ट हाउस देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खो चुका है। इसके चारों ओर जंगली झाड़ियां व खेत है। धीरे-धीरे यह धरोहर मिट्टी में तब्दील होती जा रहीं है। लाइब्रेरी बनाने की मांग
लोगों द्वारा इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कर लाइब्रेरी निर्माण करने की इच्छा जताई है। ग्रामवासियों में इसका जीर्णोद्धार होने का इतना उत्साह है। अमेरिका में रह रहे ग्राम निवासी अमरीक ¨सह द्वारा ऑफर किया है। यदि इस धरोहर को प्रगतिशील साहित्य के लिए लाइब्रेरी की जगह चयन किया जाता है। तो वह इसके लिए एक लाख रुपये सहयोग देंगे। पुरातत्व विभाग ने जताई सहमति
करीब पांच माह पूर्व पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा इस स्थल का निरीक्षण किया था। पुरातत्व विभाग के अधिकारी एसपी चलियां द्वारा भी इसके जीर्णोद्धार की मांग पर सहमति जताई है। निरीक्षण के बाद उनका कहना है कि जगह अच्छी है। उन्होंने इस स्थल का इतिहास करीब 250 वर्ष पुराना होने की बात कही है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस स्थल का पैनल बनाकर हरियाणा सरकार के पास भेजा गया है। सरकार की अनुमति मिलने के तत्काल बाद इस स्थल को पुरातत्व विभाग के अधीन कर यहां जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ किया जायेगा।