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सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को हल्के में ले रहा प्रशासन

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद : दंगे जैसे हालातों में अक्सर भीड़ अपना गुस्सा सरकारी संपत्ति पर उत

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Aug 2017 12:44 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 12:44 AM (IST)
सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को हल्के में ले रहा प्रशासन
सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को हल्के में ले रहा प्रशासन

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद :

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दंगे जैसे हालातों में अक्सर भीड़ अपना गुस्सा सरकारी संपत्ति पर उतारती है। अतीत में हुई घटनाएं बताती हैं कि उग्र भीड़ ने हमेशा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। यही ¨चता बुधवार को उपायुक्त ने भी बैठक में जताई थी। मगर विडंबना है कि धरातल पर सरकारी सुरक्षा को लेकर कोई बंदोबस्त नजर नहीं आ रहा। शुक्रवार को डेरे के मामले में अदालत का फैसला आना है। इस फैसले के मद्देनजर तीन दिन पहले ही जगह जगह नाकेबंदी कर दी गई। मगर विडंबना है कि बृहस्पतिवार तक सरकारी कार्यालयों में सुरक्षा के नाम पर कोई बंदोबस्त नजर नहीं आया। दैनिक जागरण संवाददाता ने बृहस्पतिवार को विभिन्न सरकारी कार्यालयों का जायजा लिया। किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई सुरक्षा व्यवस्था नजर नहीं आई। सवाल यही है कि ऐसे में यदि असामाजिक तत्व सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं तो जिम्मेदार होगा कौन? क्योंकि पूर्व में हुई घटनाएं शहरवासियों को याद हैं। मगर समस्या ये है कि अधिकारी बदल जाते हैं और प्रशासन सबकुछ भूल जाता है।

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कहीं कोई सुरक्षा बंदोबस्त नहीं

सुबह 11:10 बजे: नगर परिषद कार्यालय खुला है। लोग आ जा रहे हैं। कर्मचारी काम लगे हुए हैं। लेकिन यहां पर कोई सुरक्षा बंदोबस्त नहीं। दोनों गेट खुले हैं। काफी संख्या में वाहन खड़े हैं। एक सुरक्षा कर्मी तक तैनात नहीं।

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दोपहर 11:30 बजे: भट्टूकलां रोड पर बिजली निगम का कार्यालय है। यहां पर भी रूटीन की तरह काम चल रहा है। यहां पर भी सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं दिखा। कर्मचारी अपने अपने काम लगे हुए हैं। लोगों का आवागमन चल रहा है। एक पुलिस कर्मी तक नहीं दिखा।

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दोपहर 11:50 बजे: भट्टूकलां रोड पर ही मार्केट कमेटी का कार्यालय है। यहां पर दर्जनों की संख्या में वाहन खड़े हैं। यह कार्यालय भी बस स्टैंड से थोड़ी ही दूरी पर है। लेकिन इसमें भी कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं हैं।

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दोपहर 12:10 बजे: अनाज मंडी के पास ही जनस्वास्थ्य विभाग का कार्यालय है। यहां पर अधिकारियों की गाड़ियां खड़ी हैं। इसके अलावा कर्मचारियों के निजी वाहन खड़े हैं। कार्यालय के अंदर कंप्यूटर सिस्टम, फर्नीचर व सरकारी रिकॉर्ड रखा हुआ है। यहां पर भी सुरक्षा शून्य ही नजर आई।

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दोपहर 12:40 बजे: बीघड़ पर रोड लोक निर्माण विभाग का कार्यालय है। यहां पर एक्सईएन के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी बैठते हैं। काफी संख्या में वाहन खड़े हैं। इस जगह पर भी सुरक्षा का अभाव दिखा। या कहें कि सुरक्षा राम भरोसे ही थी।

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बैंकों के बाहर स्पेशल सुरक्षा नहीं

अराजकता की स्थिति में बैंकों को सबसे बड़ा खतरा रहता है। बैंकों में लूटपाट व डकैती जैसी वारदात हो सकती हैं। शरारती तत्व बैंकों में तोड़फोड़ व आगजनी कर सकते हैं। लेकिन बैंकों के बाहर बृहस्पतिवार शाम तक कोई स्पेशल सुरक्षा नहीं थी। सिर्फ बैंकों के अपने सुरक्षा गार्ड खड़े नजर आए। प्रशासन की तरफ से न तो पुलिस कर्मचारियों की तैनाती की गई है और नहीं अर्धसैनिक बलों को लगाया गया है। जरूरी नहीं कि डेरा प्रेमी ही नुकसान पहुंचाए। ऐसे माहौल में बाहरी तत्व भी तो शरारत कर सकते हैं। लेकिन फिक्र किसी को नहीं।

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इन घटनाओं को न भूले प्रशासन

-2002 में डेरा प्रेमियों ने अखबार के दफ्तर में तोड़फोड़ की थी।

-2007 में डेरा प्रेमी व सिख विवाद में तोड़फोड़ की गई।

-2010 में अज्ञात लोगों ने बस स्टैंड में आग लगाई।

-2010 में उसी दिन बिजली कार्यालय में आग लगाई।

-2016 के जाट आंदोलन में भूना के तहसील कार्यालय में आगजनी।

-2016 में ही गोरखपुर के सहकारी बैंक में आग लगाई गई।

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अफसर बदलते ही प्रशासन अनजान

यह व्यवस्था की सबसे बड़ी खामी है कि अफसर बदलते ही अतीत में हुई घटनाएं भुला दी जाती हैं। प्रशासनिक अधिकारी साल दर साल बदलते रहते हैं। हर नया अधिकारी अपने अंदाज में सोचता है। यह बात निचले स्तर के कर्मचारियों को याद रहती है कि जिले में कब क्या हुआ था और क्यों हुआ था। मगर कर्मचारियों को वही करना पड़ता है, जो अधिकारियों के आदेश मिलते हैं। अब भी प्रशासन यह भूल रहा है कि यदि इससे पहले सरकारी संपत्तियों को क्षति पहुंची है तो अब भी ऐसी घटना दोबारा हो सकती है।

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उपायुक्त ने भी जताई है ¨चता

उपायुक्त हरदीप ¨सह ने बुधवार को ही जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवि एवं गणमान्य लोगों की बैठक ली थी। बैठक में कहा था कि जिला में कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें और लोगों को समझाए कि सरकारी संपत्तियां उनकी खुद की संपत्तियां होती है। इसी प्रकार से सार्वजनिक परिवहन के वाहन भी उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। इसलिए सरकारी संपत्तियों और वाहनों में तोड़फोड़ से जनता को ही नुकसान है।

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वर्जन

पुलिस जिले की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर है। जिले की सीमाओं पर नाकेबंदी की गई है और वाहनों की चे¨कग चल रही है। सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर भी पुलिस चौकस है। पुलिस की गाड़ी लगातार गश्त कर रही हैं। सरकारी कार्यालयों की सुरक्षा को हल्के में नहीं लिया जाएगा।

-कुलदीप ¨सह, पुलिस अधीक्षक।

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