राष्ट्रीय लोक अदालत में 562 मामलों का निपटान
हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के निर्देशानुसार शनिवार को जिला व उपमंडल स्तर पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के निर्देशानुसार शनिवार को जिला व उपमंडल स्तर पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रामावतार पारीक ने बताया कि जिला स्तर पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय हेम राज मितल, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ईश्वर दत्त, उपमंडल रतिया में एसडीजेएम पवन कुमार तथा उपमंडल टोहाना में एसडीजेएम सुनील कुमार की अदालतों में मामलों की सुनवाई की गई। शनिवार को आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने वाहन दुर्घटना मुआवजा, मजदूरी विवाद, बैंक ऋण, राजस्व, नौकरी से संबंधित मामले, बच्चों व पत्नी के लिए भरण पोषण आदि से संबंधित लंबित विवाद, वैवाहिक मामले, जमीन अधिग्रहण मुआवजा, बाढ़-पीड़ित, बिजली, पानी बिल, बैंक बाउंस मामले व राजीनामा योग्य फौजदारी मामलों के केसों की सुनवाई की।
न्यायाधीशों ने लोक अदालत में 1065 मामलों की सुनवाई करते हुए 562 मामलों का निपटारा आपसी सहमति किया जबकि 1 करोड़ 2 लाख 4 हजार 133 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। सीजेएम ने बताया कि प्री-लिटिगेशन के मामलों में 320 में से 97 मामलों का निपटारा किया गया जबकि 98 हजार 621 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। इसी प्रकार से कोर्ट में लंबित मामलों के 745 मामलों में से 465 मामलों का निपटारा किया गया जबकि 1 करोड़ 1 लाख 5 हजार 512 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। सीजेएम ने बताया एमएसीटी के 60 मामलों में से 13 मामलों का निपटारा किया गया, जिनमें 81 लाख 33 हजार रुपये की राशि का मुआवजा पास किया गया। इसी प्रकार से वैवाहिक मामलों से संबंधित 121 में से 83 मामलों का निपटारा किया गया।
सीजेएम रामावतार पारीक ने कहा कि लोक अदालत की यही पुकार, न किसी की जीत न किसी की हार को ध्यान में रखकर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मामलों का निपटान किया जाता है। मामलों का निपटान दोनों पक्षों की आपसी सहमति से होता है, इसलिए फैसले को अन्य किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
सीजेएम ने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपने मामलों का समाधान लोक अदालत के माध्यम से करवाए, ताकि उनके समय व धन की बचत हो सके। इसके अलावा उन्होंने पैनल अधिवक्ताओं से भी कहा कि वे प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित किए जाने वाले जागरूकता शिविरों के माध्यम से नागरिकों को उनके कोर्ट में लंबित मामलों का निपटान लोक अदालत से करवाने बारे ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें।