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जागरण संवाददाता, कानपुर : अब आइआइटी कानपुर देश के साथ ही इटली की यूनिवर्सिटी और संस्थानों के साथ मिलकर स्मारकों को प्रदूषण के खतरे से बचाएगा। उनके रखरखाव, प्रबंधन और भविष्य में आने वाली समस्याओं पर मंथन करके बेहतरी का रास्ता भी तैयार किया जाएगा। सोमवार शाम को आइआइटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), इटली की का-फास्कैरी यूनिवर्सिटी ऑफ वेनिस और बेले आर्टि-ई-पेसगासियो संस्थान के बीच ई-एमओयू साइन किया गया। इसके तहत भारत के विशेषज्ञ इटली जाएंगे, जबकि वहां के विशेषज्ञ भारत आएंगे।
आइआइटी कानपुर की ओर से इस काम की जिम्मेदारी सिविल इंजीनियरिग के प्रो. मुकेश शर्मा को मिली है। प्रो. शर्मा ने बताया कि भारत के 38 और इटली के 55 स्मारकों पर शोध किया जाएगा। उनके भविष्य के प्रबंधन पर काम होगा। वायु प्रदूषण की वजह से स्मारकों पर काले धब्बे पड़ने लगे हैं। उन्हें रोकने के लिए उचित कदम उठाने पर मंथन होगा। इटली में इस पर काफी काम हुआ है। उसका लाभ भारतीय स्मारकों को मिल सकेगा। यह कार्य कई चरणों में होगा।
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इन बिंदुओं पर काम
- भारत और इटली के स्मारकों की शैली, बनावट, नींव संरचना, बीम, वेंटीलेशन, पत्थर की बनावट, छतों के आकार की इंजीनियरिग पर जानकारी जुटाएंगे।
- स्मारकों पर मौसम के असर, फफूंदी और काई की काट ढूंढी जाएगी।
- दोनों देशों में स्मारकों के रखरखाव के तरीके साझा होंगे।
- जिन जगहों पर स्मारक स्थापित हैं, वहां भविष्य के खतरों पर शोध।
- स्मारकों को सुधारने के लिए आंशिक परिवर्तन हो सकते हैं या नहीं।
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ये स्मारक शामिल
भारत के ताजमहल, खजुराहो, बोध गया, अजंता एलोरा की गुफाएं, हंपी, सन टेंपल और इटली के सेंट पीटर्स बेसेलिका, वेटिकन म्यूजियम, विक्टर इमैनुअल मॉन्यूमेंट्स, फ्लोरेंस कैथिडिरल, ट्रैजंस कॉलम समेत अन्य स्मारक।