अब जेसी बोस यूनिवर्सिटी कहिए जनाब
औद्योगिक नगरी के तकनीकी विश्वविद्यालय वाईएमसीए का नाम बदलने का विधेयक विधानसभा में पास होने के साथ ही प्रबंधन ने भी अपने स्तर पर बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। 49 साल बाद वाईएमसीए विश्वविद्यालय को अपनी खुद की पहचान मिलेगी। इस क्रम में विश्वविद्यालय के प्रवेश पर बन रहे नए द्वार का कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। अब इस द्वार पर डॉ.जेसी बोस यूनिवर्सिटी अंकित होगा। साल 2009 में वाईएमसीए इंजीनियर संस्थान को यूनिवर्सिटी में दर्जा मिला था, लेकिन यूनिवर्सिटी की पहचान वाईएमसीए (यंगमैन क्रिश्चन एसोसिएशन) के नाम से ही थी। यूनिवर्सिटी को अपनी पहचान दिलाने के लिए प्रबंधन ने अपने स्तर पर काफी मंथन किया गया और इसका नाम बदलने का फैसला लिया गया। पिछले साल 26 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विश्वविद्यालय के नाम बदलाव की घोषणा की थी।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : औद्योगिक नगरी के तकनीकी विश्वविद्यालय वाईएमसीए का नाम बदलने का विधेयक विधानसभा में पास होने के साथ ही प्रबंधन ने भी अपने स्तर पर बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। 49 साल बाद वाईएमसीए विश्वविद्यालय को अपनी खुद की पहचान मिलेगी। इस क्रम में विश्वविद्यालय के प्रवेश पर बन रहे नए द्वार का कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। अब इस द्वार पर डॉ.जेसी बोस यूनिवर्सिटी अंकित होगा।
साल 2009 में वाईएमसीए इंजीनियर संस्थान को यूनिवर्सिटी में दर्जा मिला था, लेकिन यूनिवर्सिटी की पहचान वाईएमसीए (यंगमैन क्रिश्चन एसोसिएशन) के नाम से ही थी। यूनिवर्सिटी को अपनी पहचान दिलाने के लिए प्रबंधन ने अपने स्तर पर काफी मंथन किया गया और इसका नाम बदलने का फैसला लिया गया। पिछले साल 26 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विश्वविद्यालय के नाम बदलाव की घोषणा की थी।
इंडो जर्मन परियोजना के तहत शुरू हुआ था संस्थान
1969 में इंडो-जर्मन परियोजना के तहत शुरू हुए वाईएमसीए इंजीनिय¨रग संस्थान शुरू किया गया था। संस्थान की स्थापना का उद्देश्य जर्मनी की तर्ज पर भारत को औद्योगिक रूप से सक्षम बनाने के लिए तकनीकी शिक्षा का प्रसार करना था। वर्ष 1996 तक यह संस्थान भारत में यंगमैन क्रिश्चन एसोसिएशन (वाईएमसीए) के राष्ट्रीय परिषद् तथा हरियाणा सरकार द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाता था। वर्ष 1997 में संस्थान डिप्लोमा से डिग्री कॉलेज के रूप में अपग्रेड हुआ और 2002 में पीजी पाठ्यक्रम शुरू किए हुए। वहीं वर्ष 2007 में इस संस्थान को स्वायत्ता हासिल हुई। 72 से 3500 विद्यार्थियों का किया लंबा सफर
वाईएमसीए संस्थान की शुरूआत मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल विषयों में विभिन्न डिप्लोमा पाठ्यक्रमों से हुई थी, जिसमें 72 सीटें थी। हालांकि बाद में डिप्लोमा सीटों की संख्या बढ़ती गई। अब विश्वविद्यालय में 13 अंडर-ग्रेजुएट व 16 पोस्ट ग्रेजुएट विषयों में लगभग 3500 विद्यार्थी पढ़ रहे है और अगले दो वर्षाें में यह संख्या 5 हजार तक होना अपेक्षित है। यह काफी हर्ष का विषय है कि वाईएमसीए अब भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस के नाम से जानी जाएगी। इस महान वैज्ञानिक ने विज्ञान के क्षेत्र में कई अविष्कार किए है। उनका नाम विद्यार्थियों को उनके जैसा बनने के लिए प्रेरित करेगा।
-प्रो.दिनेश कुमार, कुलपति, यूनिवर्सिटी