पदक विजेताओं पर धनवर्षा सही, नौकरी की शर्त उचित नहीं
एशियाई खेलों में धूम मचाने वाले हरियाणा के धुरंधरों के लिए होने लगी घोषणाएं एशियाई खेलों में धूम मचाने वाले हरियाणा के धुरंधरों के लिए होने लगी घोषणाएं
सुशील भाटिया, फरीदाबाद
इंडोनेशिया के जकार्ता में जारी एशियाई खेलों में हरियाणा के धुरंधरों का कमाल शुरू हो चुका है। रविवार को बजरंग पूनिया ने कुश्ती में स्वर्ण पदक दिलाया, तो सोमवार को महिला पहलवान विनेश फौगाट ने प्रतिद्वंद्वी को चित कर स्वर्णिम गाथा लिखी, साथ ही जींद के मूल निवासी निशानेबाज लक्ष्य श्योराण ने ट्रैप स्पर्धा में रजत पदक जीता। अब इन खिलाड़ियों के लिए हरियाणा सरकार ने खेल नीति के तहत ही स्वर्ण पदक जीतने वालों के लिए तीन करोड़ रुपये का इनाम और एचसीएस या एचपीएस में नौकरी देने और रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को डेढ़ करोड़ व ए क्लास की नौकरी देने की घोषणा की है। सोमवार को खेल मंत्री अनिल विज ने ही ट्वीट कर इस बाबत जानकारी दी। हालांकि पूर्व में एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले और अन्य खेलों के खिलाड़ियों ने नौकरी देने के मामले में टेस्ट व उच्च शिक्षा की शर्त को उचित नहीं बताया है।
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पुरस्कार के मामले में सरकार की खेल नीति का हम स्वागत करते हैं, पर जैसा कि पूर्व में यह विवाद उठ चुका है कि पुलिस में सीधे डीएसपी की भर्ती नहीं हो सकती या वहां पोस्ट ही नहीं बची, तो ऐसे में घोषणाएं सिर्फ कोरी ही न रह जाए और पदक विजेता खिलाड़ी चक्कर न लगाते रहें। इसलिए सरकार को चाहिए कि पुलिस या प्रशासन की बजाय अन्य विभागों में उचित पद पर उनकी नियुक्ति की जाए।
-भीम ¨सह, अर्जुन अवार्डी, स्वर्ण पदक विजेता बैंकाक एशियाई खेल, 1966
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खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतकर देश-प्रदेश का गौरव बढ़ाते हैं। इसके लिए वो पूरे वर्ष कड़ी मेहनत करते हैं और अपना सबकुछ दाव पर लगा देते हैं। सरकार ने उनके लिए करोड़ों रुपये के पुरस्कार की घोषणा की है, पर नौकरी के लिए टेस्ट देने की शर्त उचित नहीं है। खिलाड़ी अगर पढ़ता ही रहे, तो फिर मैदान पर अभ्यास के लिए घंटों मेहनत कैसे करेगा। सरकार इस शर्त को हटाए।
-भूपेंद्र ¨सह, ध्यानचंद अवार्डी, रजत पदक विजेता, वर्ष 2002 व 2006 एशियाई खेल
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सरकार ने खेल नीति के अनुरूप ही घोषणाएं की है। अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का मान-सम्मान हरियाणा में खूब हो रहा है, अच्छी बात है। उन्हें करोड़ों के इनाम देने का भी हम स्वागत करते हैं, पर खिलाड़ी नौकरी पाने के लिए टेस्ट क्यों दें। अगर उन्हें एचसीएस अधिकारी या डीएसपी ही बनना है, तो फिर पढ़ाई कर लें, खेलें क्यों। सरकार को यह शर्त हटानी चाहिए।
-संजय भाटिया, सदस्य, हरियाणा रणजी ट्राफी विजेता टीम, 1992
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सरकार ने अपनी खेल नीति के अनुरूप ही घोषणाएं की हैं। जितना नकद पुरस्कार हरियाणा सरकार द्वारा दिया जा रहा है, उतना किसी और राज्य की सरकार नहीं देती। यही वजह है कि आज अन्य प्रदेशों के खिलाड़ी भी हरियाणा की ओर से खेलने को इच्छुक होते हैं। नौकरी के लिए संबंधित विभागों में तीन फीसद खिलाड़ियों के लिए आरक्षण है। उन्हें वरीयता भी दी जाती है। टेस्ट व पढ़ाई की शर्त इसलिए है, क्योंकि उन्हें कई सालों तक नौकरी करनी है, इस दौरान उन्हें उचित पदोन्नति भी मिल सके।
-दीप भाटिया, कार्यकारी उपाध्यक्ष, खेल परिषद हरियाणा