संस्कारविहीन होने के चलते स्कूलों में बढ़ रही है घटनाएं
सोनीपत में छात्राओं के साथ हुई घटना से गुरु-शिष्य के रिश्ते एक बार फिर तार-तार कर दिया है। इस घटना की जिले में शिक्षा, समाज और काननू से जुडे़ लोग ¨नदा कर रहे हैं। इनका कहना है कि आधुनिकता ने लोगों को मानसिकता को दूषित कर दिया है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सोनीपत में छात्राओं के साथ हुई घटना से गुरु-शिष्य के रिश्ते एक बार फिर तार-तार कर दिया है। इस घटना की जिले का प्रबुद्ध वर्ग ¨नदा कर रहा है। इनका कहना है कि आधुनिकता ने लोगों को मानसिकता को दूषित कर दिया है। विशेषज्ञ के अनुसार स्कूलों में समय-समय पर बच्चों और अध्यापकों की काउंस¨लग होनी चाहिए, ताकि अध्यापक मानसिक गतिविधियों और बच्चों की उत्सुकता के बारे जानकारी जुटाई और उसे शांत किया जा सकें। इसके अलावा पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल होना बहुत ही आवश्यक है। अभिभावक विश्वास से बच्चों को स्कूलों में भेजते हैं कि उनका बच्चा वहां सुरक्षित है। ऐसी घटनाओं से अभिभावकों का गुरु पर विश्वास समाप्त होता जा रहा है और आधुनिकता इसकी प्रमुख जिम्मेदार है। इससे मानसिकता दूषित और नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ। इसके चलते बालिकाओं के साथ आए दिन घटनाएं हो रही है।
-मदन गोपाल शर्मा, पूर्व उपमंडल शिक्षा अधिकारी स्कूलों में अनुभवी मनोरोग विशेषज्ञ नहीं है, जो समय-समय पर छात्रों एवं अध्यापकों की काउंस¨लग कर सकें। इसके अलावा भौतिकवाद भी इन घटनाओं का प्रमुख कारण है। बच्चे पहले की अपेक्षा अधिक कुशल है। इसके चलते उनमें जानने की उत्सुकता अधिक है। उनकी उत्सुकता को शांत करना बहुत आवश्यक है।
-डॉ.अजय भार्गव, मनोरोग चिकित्सक यह संस्कारों की कमी का नतीजा है। अध्यापक व छात्र दोनों अपने उद्देश्य से भटक गए है। 2013 के बाद कानून सख्त हो गए हैं। इसके बावजूद इस तरह की घटनाएं बढ़ना एक ¨चतनीय विषय है।
-केएल मक्कड़, पूर्व प्रधानाचार्य इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है और इसकी जांच होनी चाहिए। यदि अध्यापक दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और यदि निर्दोष है, तो आरोप लगाने वाले के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने अध्यापकों की छवि को धूमिल करने की कोशिश की है।
-डॉ.आलोकदीप, पूर्व संयोजक, सर्व शिक्षा अभियान