घरेलू सहायकों के पंजीकरण की अलग से व्यवस्था नहीं
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 फीसद घरेलू सहायकों का पंजीकरण हर महीने करने का आदेश दिया है। जिले में घरेलू सहायकों के पंजीकरण की अलग से व्यवस्था नहीं है। सत्यापन के दौरान ही पुलिस आयुक्त कार्यालय उनका रिकॉर्ड बनाता है। इस रिकॉर्ड का तब तक कोई औचित्य नहीं, जब तक कि किसी स्वतंत्र एजेंसी को इसका कार्यभार ना सौंपा जाए। एक अनुमान के अनुसार जिले में करीब 10 हजार घरेलू सहायक या सहायिकाएं हैं। पंजीकरण की व्यवस्था ना होने से ये असंगठित रहते है। सामाजिक सुरक्षा कवर नहीं मिल पाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इन्हें फायदा मिलेगा। इसके साथ ही जिला प्रशासन के पास भी घरेलू सहायकों का पूरा आंकड़ा मौजूद होगा। इनके लिए कोई योजना बनाते समय इस आंकड़े को ध्यान में रखा जाएगा। एक अनुमान के अनुसार जिले में हर महीने 500 से अधिक घरेलू सहायकों का सत्यापन होता है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 फीसद घरेलू सहायकों का पंजीकरण हर महीने करने का आदेश दिया है। जिले में घरेलू सहायकों के पंजीकरण की अलग से व्यवस्था नहीं है। सत्यापन के दौरान ही पुलिस आयुक्त कार्यालय उनका रिकॉर्ड बनाता है। इस रिकॉर्ड का तब तक कोई औचित्य नहीं, जब तक कि किसी स्वतंत्र एजेंसी को इसका कार्यभार न सौंपा जाए। एक अनुमान के अनुसार, जिले में करीब 10 हजार घरेलू सहायक या सहायिकाएं हैं। पंजीकरण की व्यवस्था न होने से ये असंगठित रहते है। सामाजिक सुरक्षा कवर नहीं मिल पाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इन्हें फायदा मिलेगा। इसके साथ ही जिला प्रशासन के पास भी घरेलू सहायकों का पूरा आंकड़ा मौजूद होगा। इनके लिए कोई योजना बनाते समय इस आंकड़े को ध्यान में रखा जाएगा। एक अनुमान के अनुसार, जिले में हर महीने 500 से अधिक घरेलू सहायकों का सत्यापन होता है। मजदूरों के लिए काम करने वाले मायाराम सूर्यवंशी ने बताया कि जिले में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें घरेलू सहायकों को अमानवीय परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा था। कई ऐसे मामले भी सामने आए थे, जिनमें दूसरे राज्यों से नाबालिग किशोर या किशोरियों को लाकर यहां काम कराया जा रहा था। इसके अलावा कमीशन एजेंट भी सक्रिय हैं। ये घरेलू सहायक उपलब्ध कराते हैं, मगर मिलने वाले वेतन का बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में खुद रख लेते हैं। पंजीकरण की व्यवस्था लागू होने से इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। उन्हें सुविधाएं मिलेंगी, साथ ही घरेलू सहायकों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा।