आक्सीजन न मिलना बन रहा मौत का सबब, अस्पतालों में बढ़ रही ब्राड डेड आने वाले मामलों की संख्या
कोरोना संकट के दौर में अस्पतालों में आइसीयू और बेड को लेकर लोग पहले से परेशान हैं। कई जगह आक्सीजन की कमी मौत का सबब बन रही है। अब कई दिनों से अस्पतालों में ब्राड डेड(मृत अवस्था में)आने वालों की संख्या में इजाफा हो है।
फरीदाबाद, [अनिल बेताब]। कोरोना संकट के दौर में अस्पतालों में आइसीयू और बेड को लेकर लोग पहले से परेशान हैं। कई जगह आक्सीजन की कमी मौत का सबब बन रही है। अब कई दिनों से अस्पतालों में ब्राड डेड(मृत अवस्था में)आने वालों की संख्या में इजाफा हो है। स्वजन तो अपने परिवार के सदस्य को बीमारी होने पर इलाज के लिए अस्पताल के द्वार तक ला रहे हैं। यहां आ कर पता चलता है कि मरीज तो ब्राड डेड है।
जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में रोजाना ऐसे पांच से सात तो ईएसआइ मेडिकल कालेज अस्पताल में हफ्ते भर में चार-पांच मामले आ रहे हैं। मौके पर डाक्टर इतना ही कह पाते हैं कि मरीज की तो पहले ही मौत हो चुकी है यानि वह ब्राड डेड है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इन दिनों मौतों के अधिकांश मामलों का कारण कोरोना, हृदय गति रुकना, सांस की तकलीफ या अन्य संक्रमण हो सकता है। मरीज को सांस की तकलीफ हो और आक्सीजन उपलब्ध न हो, ऐसे मामलों में चिकित्सीय अभाव में मरीज की मौत हो जाती है। सोमवार को बड़खल निवासी उजमा परवीन को परिवार वाले तीन नंबर ईएसआइ मेडिकल कालेज अस्पताल में सुबह 11:30 बजे लाए थे। दोपहर 12:30 बजे डाक्टरों ने जांच की और ब्राड डेड घोषित कर दिया।
आजकल लोगों में बहुत ज्यादा भय है। घर में अंतिम समय तक इंतजार करते हैं कि अब निकलते हैं, अब निकलते हैं। लोगों में आक्सीजन स्तर कम हो जाता है। हालात ऐसे हैं, अभी कोई भी अस्पताल नहीं जाना चाहता है। इस बार बेड की समस्या भी बनी हुई है और मरीज अस्पताल जाने से भी कतरा रहे हैं। जब मरीज की हालत अधिक गंभीर हो जाती है, तो परिवार वाले अस्पताल की ओर जाने लगते हैं।
-डा.महेंद्र सिंह तंवर, चिकित्सा अधीक्षक, क्यूआरजी हेल्थ सिटी अस्पताल।
हमारे पास हफ्ते भर में चार-पांच ब्राड डेड मामलू आए हैं। ऐसी स्थिति में यह पता नहीं चल पाता किि आखिर मौत का कारण क्या है। बीमारी के मामले में लोग लापरवाही बरतते हैं। बाद में हालत अधिक बिगड़ती है, तो ही अस्पताल की ओर रुख करते हैं। हालांकि यह ठीक है कि आजकल अस्पतालों में बेड की कमी है, फिर भी अगर किसी को कोई छोटी सी बीमारी है, तो शुरू से ही इलाज पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बीमारी बढ़ने पर जब ध्यान देते हैं, तब तक जोखिम बन जाता है।
-डा. असीम दास, डीन, ईएसआइ मेडिकल कालेज व कोविड अस्पताल।