फरीदाबाद दंपती सुसाइड: ऐसा क्या हुआ उस रात जो सुनील-ज्योति ने चुनी मौत, कहीं राज न रह जाए
सुनील वाधवा और उसकी पत्नी ज्योति वाधवा की गेस्ट हाउस में आत्महत्या के मामले ने पुलिस के साथ परिजनों और शहर के लोगों के भी होश उड़ा दिए हैं।
फरीदाबाद [प्रवीन कौशिक]। दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में उम्रकैद की सजा काट रहे सुनील वाधवा और उसकी पत्नी ज्योति वाधवा की गेस्ट हाउस में आत्महत्या के मामले ने पुलिस के साथ परिजनों और शहर के लोगों के भी होश उड़ा दिए हैं। पुलिस के आलाधिकारी भी बिना खुद का नाम जाहिर किए कह रहे हैं कि आत्महत्या की वजह का खुलासा होना असंभव भी हो सकता है, क्योंकि सुनील और ज्योति ने कोई सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ा है। ऐसे में बृहस्पतिवार की रात को दोनों के बीच क्या हुआ? इसका पता भी कभी नहीं चल पाएगा? केस की जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों के आत्महत्या करने के पीछे खास वजह रही होगी? क्या दोनों घर से ही आत्महत्या करने का इरादा करके गेस्ट हाउस में गए थे? या फिर अचानक आत्महत्या की योजना बनाई? ये सभी सवाल पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
आत्महत्या से कुछ घंटे पहले बेहद खुश था दंपती
बृहस्पतिवार रात को सुनील के घर में श्री कृष्ण जी की छटी मनाई गई थी। इसके लिए कीर्तन किया और बाद में भंडारा हुआ। इसमें सुनील व उसकी पत्नी ज्योति ने हंसी-खुशी भाग लिया था। सुनील की भाभी शशि ने रोते हुए बताया कि ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि दोनों इस तरह का कदम उठा लेंगे। सुनील ने जब उन्हें बताया कि वह शनिवार को पैराेल के बाद शनिवार को जेल जाएगा, इसलिए एक रात पत्नी के साथ कहीं बाहर बिताना चाहता है। उन्होंने सोचा कि यह दोनों की खुशी है, इसलिए उन्होंने इस पर शक जाहिर नहीं किया। दोनों ने शुक्रवार तड़के 5 बजे तक वापस आने के लिए कहा था।
बच्चों से करती भी बहुत प्यार
शशि ने बताया कि ज्योति दोनों बेटों संभव (15) अंशु (8) से बहुत प्यार करती थी। एक दिन भी बेटों के बगैर नहीं रह पाती थी। ऐसे में ज्योति का भी इस तरह कदम उठाना समझ से परे है। शशि ने बताया कि आयोे रूम के कर्मचारियों ने उन्हें काफी देर तक सुनील के कमरे के अंदर नहीं जाने दिया, हो सकता था कि ज्योति को बचा लिया जाता।
दोनों बेटे गए हुए थे स्कूल
शुक्रवार को राेज की तरह दोनों बेटे संभव और अंशु स्कूल गए हुए थे। जैसे ही वापस आए तो घटना का पता लगा। यह सुनकर दोनों के होश उड़ गए। बिलखते हुए रोने लगे। पड़ाेसियों ने सहारा दिया और गले से लगा लिया।
यहां पर बता दें कि एनआइटी में शुक्रवार दोपहर बाद उस समय सनसनी फैल गई जब 5 नंबर ई ब्लॉक में स्थित गेस्ट हाउस में किराए पर लिए कमरे में पति-पत्नी मृत मिले। एनआइटी दो नंबर डी ब्लॉक शिवाला खोखा कॉलोनी निवासी सुनील वाधवा(39) छत के पंखे से लटके हुए थे और उनकी पत्नी ज्योति वाधवा (37) बेड पर मृत पड़ी थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कमरे के अंदर क्या हुआ, पर पुलिस के अनुसार ज्योति वाधवा के गले पर निशान को देखकर लग रहा है कि पहले ज्योति ने फांसी लगाकर आत्महत्या की। क्योंकि गले पर निशान थोड़ा लंबाई में है। पुलिस ने आशंका जताई है कि सुनील वाधवा ने पत्नी को फंदे से नीचे उतारकर खुद उसी फंदे से फांसी लगाकर आत्महत्या की है। यदि ज्योति वाधवा का गला घोंटा गया होता तो निशान गोलाई में होता, जो उसके शव को देखकर ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। पुलिस ने दोनों के शव बीके अस्पताल के शवगृह में रखवा दिए हैं।
हत्या के मामले में सजा काट रहा था सुनील
करीब 39 वर्षीय सुनील वाधवा 10 साल पहले हुई हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था। फिलहाल वह एक महीने से पैरोल पर घर आया हुआ था। शनिवार को उसकी पैरोल अवधि खत्म हो रही थी, इसलिए उसे वापस जेल जाना था। सुनील बृहस्पतिवार रात पत्नी ज्योति संग अपने परिजनों को यह कहकर निकले थे क्योंकि उसे एक दिन बाद जेल जाना है, इसलिए वह आज की रात अपनी पत्नी संग घर से बाहर अकेले बिताना चाहते हैं। दाेनों ने यह भी बताया था कि वह कहां, किस जगह कमरे में रात को ठहरेंगे। उन्होंने शुक्रवार तड़के 5 बजे तक घर लौट आने की बात भी कही थी। शुक्रवार तड़के 5 बजे तक न लौटने पर सुनील के बड़े भाई अनिल ने 6 बजे से फोन करने शुरू कर दिए, पर फोन पिक नहीं हो सका। शक होने पर सुबह 10.45 बजे अनिल अपनी पत्नी शशि को लेकर 5ई ब्लॉक में स्थित गेस्ट हाउस (जहां उनका भाई और भाभी ठहरे हुए थे) पहुंच गए। शशि का कहना है कि काफी देर तक उन्हें कमरे में नहीं जाने दिया गया। काफी जिद व कहासुनी करने के बाद उन्हाेंने चौथी मंजिल पर कमरा नंबर 406 का दरवाजा खोला तो होश उड़ गए। अंदर ज्योति बेड पर पड़ी थी और सुनील पंखे से फंदा बनाकर लटका हुआ था। इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी। मौके पर एनआइटी थाना पुलिस आ गई और कमरे की तलाश ली। अंदर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। बेड के पास टेबल पर दोनों के आधार कार्ड, मोबाइल फोन रखा हुआ था।
संदीप (जांच अधिकारी, एनआइटी थाना) का कहना है कि जब गला घोंटा जाता है तो निशान गोलाई में आता है, पर ज्योति के गले पर जो निशान था, वह ऐसा लग रहा है जैसे पहले उसने फांसी लगाई थी। इसके बाद उसे
फंदे से नीचे उतारा गया और फिर सुनील वाधवा ने फांसी लगाई। पोस्टमार्टम के बाद कुछ चीजें स्पष्ट हो सकेंगी।