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Tokyo Paralympics: शूटर सिंहराज के घर हुआ 'मंगल', सफल हुई दो महीने से पत्नी कविता की पूजा

Tokyo Paralympics बजरंगबली की अनन्य भक्त कविता प्रतिदिन सुबह मंदिर में जा कर पूजा अर्चना के बाद ही नाश्ता करती थी और सोमवार को जन्माष्टमी वाले दिन भगवान श्री कृष्ण से भी अपने पतिदेव के अच्छे प्रदर्शन कामना की।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 02:21 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 02:21 PM (IST)
Tokyo Paralympics: शूटर सिंहराज के घर हुआ 'मंगल', सफल हुई दो महीने से पत्नी कविता की पूजा
सिंहराज की जीत पर खुशी मनाते परिवार के सदस्य। जागरण

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। टोक्यो पैरालिंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले सिंहराज अधाना के अच्छे प्रदर्शन की कामना के लिए उनकी धर्मपत्नी कविता 2 महीने से लगातार पूजा कर रही थी। बजरंगबली की अनन्य भक्त कविता प्रतिदिन सुबह मंदिर में जा कर पूजा अर्चना के बाद ही नाश्ता करती थी और सोमवार को जन्माष्टमी वाले दिन भगवान श्री कृष्ण से भी अपने पतिदेव के अच्छे प्रदर्शन कामना की। मंगलवार हनुमान जी का दिन बल्लभगढ़ में ऊंचा गांव स्थित अधाना परिवार के लिए मंगल समाचार लेकर आया और जब टोक्यो पैरालिंपिक में सिंहराज ने अपने मुकाबले में शुरुआत में ही बढ़त बना ली, तो यह उम्मीदें बंध गई कि अब पदक निश्चित ही आएगा।

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शुरुआत मेें सिंहराज स्वर्ण पदक की दौड़ तक में बने हुए थे, पर अंतत: उनके हिस्से कांस्य पदक आया और इसी के साथ अधाना परिवार में खुशियां छा गई। शुरू हुआ बधाईयों और एक-दूसरे का मुंह मीठा करने का दौर। 

बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा तो मुकाबला शुरू के साथ ही सिंहराज के घर पहुंच गई थी। विधायक सीमा त्रिखा का आज जन्मदिन भी हैं, उन्होंने पदक जीतने पर सिंहराज के माता-पिता प्रेम सिंह और वेदवती को बधाई दी भी और उन्हें प्रणाम कर जन्मदिन की बधाईयां स्वीकार भी की। वहीं, हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने निशानेबाज सिंह राज को दी बधाई है।

अधाना परिवार की मंझली बहू कविता ने बताया कि उनके पति सिंहराज 2 जुलाई से ही अपने लक्ष्य हासिल करने की साधना के तहत यानी अभ्यास के लिए घर से बाहर थे। उसके बाद से उनकी मुलाकात नहीं हुई है। कविता के अनुसार टाेक्यो पैरालिंपिक के लिए उनका चयन पहले से ही पक्का था। ऐसे में अब उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए नजदीक के हनुमान मंदिर प्रतिदिन सुबह जाना और पूजा अर्चना के बाद ही नाश्ता करना उनकी दिनचर्या बन गई थी। कविता राज बजरंगबली और शनिदेव की भक्त हैं। संयोग से सिंहराज का मुकाबला भी मंगलवार के दिन हुआ और हनुमान जी ने उनकी कामना स्वीकार करते हुए सिंहराज को सटीक निशाने साधने की कृपा बरसाई और सब मंगल हो गया।

जब एक साल के थे तब पैरों में हो गया था पोलियो

सिंहराज की पिता प्रेम सिंह के अनुसार जब उनका बेटा एक साल का था, तब बुखार हुआ था। तब सिंहराज को डाक्टर ने जो इंजेक्शन लगाया था, वो रिएक्ट कर गया। इससे सिंहराज के दोनों पैर पोलियोग्रस्त हो गए। तब आज की तरह दो बूंद जिंदगी की यानी पोलियो की दवा बच्चों को नहीं दी जाती थी। खैर इसे कुदरत की नियति मानते हुए सिंहराज का लालन-पालन हुआ। सिंहराज के बड़े भाई सुनील व छोटे भाई उधम सिंह हैं। सिंहराज सैनिक पब्लिक स्कूल के नाम से स्कूल का भी संचालन करते हैं और इस स्कूल के चेयरमैन हैं।

बच्चों को ले जाते थे तैराकी के लिए, तो खुद की भी बढ़ी रुचि

सिंहराज अपने बच्चों नैतिक व सौरभ को तैराकी के लिए राज्य खेल परिसर सेक्टर-12 लेकर जाते थे। इस दौरान उन्होंने खुद भी तैराकी करनी शुरू कर दी, पर कोच ने उन्हें निशानेबाजी में हाथ आजमाने को कहा।

इसके बाद 2017 में उन्होंने निशानेबाजी में अभ्यास शुरू किया और आज परिणाम सबके सामने है। चूंकि निशानेबाजी महंगा खेल और कोरोना काल में आर्थिक तंगी भी आई, तो अच्छे अभ्यास के लिए कविता राज को अपने गहने भी बेचने पड़े, ताकि अभ्यास के लिए जरूरी संसाधनों में कोई कमी न आए।


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