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पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक कर रहे नए अनुसंधान: गुर्जर

इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र में विश्व जैव ईंधन दिवस पर दो नई तकनीक अनावरण कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ करते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, साथ में उद्योग मंत्री विपुल गोयल, इंडियन ऑयल केंद्र के निदेशक डा.एसएसवी रामाकुमार व जेनिफर होल्मग्रैन। जागरण

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 09:52 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 09:52 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक 
कर रहे नए अनुसंधान: गुर्जर
पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक कर रहे नए अनुसंधान: गुर्जर

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए देश के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक निरंतर परिश्रम कर नई तकनीक खोज रहे हैं जो सार्थक साबित होंगी। कृष्णपाल गुर्जर यहां सेक्टर-13 में इंडियन ऑयल के अनुसंधान केंद्र में विश्व जैव ईंधन दिवस समारोह के मौके पर दो नवीन तकनीक का अनावरण करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। इन तकनीक का अनुसंधान इंडियन ऑयल के अनुसंधान एवं विकास केंद्र ने किया है।

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समारोह में राज्य के उद्योग, पर्यावरण एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल सहित लांजाटेक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेनिफर होल्मग्रैन व इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव ¨सह, विधायक सीमा त्रिखा, भूमि विकास बैंक के चेयरमैन धनेश अदलखा, अजय गौड़, महापौर सुमन बाला, वरिष्ठ उपमहापौर देवेंद्र चौधरी सहित औद्योगिक नगरी के प्रमुख उद्यमी व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। केंद्रीय राज्य मंत्री ने आईओसी-डीबीटी-लांजाटेक पायलट प्लांट का भी उद्घाटन किया जो इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास केंद्र में कार्बन डायआक्साइड को अत्याधिक महत्व वाले लिपिड में बदलने के लिए लगाया गया पायलट प्रोजेक्ट है। तीसरी पीढ़ी के इस जैव इंधन तकनीक का विकास इंडियन ऑयल आरएंडडी केंद्र में उच्च जैव ऊर्जा तकनीक के विकास के लिए किया गया है। इसमें दो तकनीकों को एकीकृत किया गया है। कार्बन डायऑक्साइड कोएसेटिक में बदलने के लिए लांजा-टेक यूएसए की एनारोबिक गैस बनाने की तकनीक तथा अत्याधिक कीमती ओमेगा 3 फैटी एसिड सहित एसेटिक एसिड को लिपिड (एल्गल ऑयल) में बदलने के लिए एरोबिक किण्वन तकनीक। इससे ओमेग-3 फैटी एसिड में से एस्टर्स को अलग किया जाता है। बचने वाले लिपिड एस्टर्स को जैव ईंधन और ओमेगा-3 फैटी एसिड को बाल कुपोषण से लड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा केंद्रीय राज्यमंत्री  ने 5 मीट्रिक टन प्रति दिन उत्पादन करने वाले बायोमेथेनेशन प्लांट की नींव रखी। इसमें रसोई कचरे से कीमती ईंधन बनाया जाएगा। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड को मीथेन गैस में बदलने का काम होगा। मीथेन गैस का इस्तेमाल फरीदाबाद में मिड-डे मील के तहत बनाए जाने वाले खाना पकाने के लिए किया जाएगा। इससे 60 हजार बच्चों का खाना तैयार होगा। यह प्लांट मार्च 2019 में बनकर तैयार होगा। गैस के अलावा खाद को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के पार्कों में निश्शुल्क दिया जाएगा।


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