50 हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाएं होंगी लाभान्वित
जिले की गर्भवती महिलाओं को अब निजी महिला रोग विशेषज्ञ भी निशुल्क सेवाएं देंगे तो अल्ट्रासाउंड कराने को कूपन भी दिया जाएगा। सरकार की ओर से जच्चा-बच्चा की बेहतर सुरक्षा के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों से अनुबंध भी करेगा। अनुबंध के तहत स्वास्थ्य विभाग अल्ट्रासाउंड केंद्रों को प्रति अल्ट्रासाउंड करने का 350 रुपए शुल्क देगा। सरकार की ओर से जिला स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए स्वीकृति दी जा चुकी है। बता दें कि जिले के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बेहतर नहीं है किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है और ना ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। इसके चलते कई बार गर्भावस्था में आने पर महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि जिला स्तरीय बादशाह खान अस्पताल में से महिला रोग विशेषज्ञ हैं फिर भी अल्ट्रासाउंड
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: जिले की गर्भवती महिलाओं को अब निजी महिला रोग विशेषज्ञ भी नि:शुल्क सेवाएं देंगे, तो अल्ट्रासाउंड कराने को कूपन भी दिया जाएगा। सरकार की ओर से जच्चा-बच्चा की बेहतर सुरक्षा के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों से अनुबंध भी करेगा। अनुबंध के तहत स्वास्थ्य विभाग अल्ट्रासाउंड केंद्रों को प्रति अल्ट्रासाउंड करने का 350 रुपए शुल्क देगा। सरकार की ओर से जिला स्वास्थ्य विभाग को इसके लिए स्वीकृति दी जा चुकी है।
बता दें कि जिले के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बेहतर नहीं है किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है और ना ही अल्ट्रासाउंड की सुविधा है। इसकी वजह से कई बार गर्भावस्था में आने पर महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, जिलास्तरीय बादशाह खान अस्पताल में से महिला रोग विशेषज्ञ हैं फिर भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए महिलाओं को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई महिलाएं मजबूरी में निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों से अल्ट्रासाउंड कराती हैं। इसकी एवज में वहां 700 से 1000 पर शुल्क वसूल किया जाता है। अब स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि हर गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड नि:शुल्क किया जाए। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में हर साल 50 हजार डिलीवरी के मामले आते हैं। इनमें 4 फीसद से ज्यादा महिलाओं की डिलीवरी घरों में ही होती है और सरकारी अस्पतालों से हर महीने करीब 10 फीसद मामला में महिलाओं को रेफर किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हर महीने सरकारी संस्थानों में 15 हजार से ज्यादा डिलीवरी होती है। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि डिलीवरी सिर्फ सरकारी अस्पताल में होनी चाहिए, ताकि जोखिमपूर्ण केस में स्थिति से तुरंत ही निपटा जा सके। स्वास्थ्य विभाग इस बात को लेकर भी गंभीर है कि कई बार समय पर अल्ट्रासाउंड न होने के कारण बाद में जच्चा बच्चा के लिए परेशानी पैदा हो जाती है। अगर समय पर अल्ट्रासाउंड हो जाए तो रिपोर्ट से वास्तविक स्थिति का पता चल जाता है और समय रहते और समय रहते होने वाले जोखिम को टाला जा सकता है।
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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत शहर में पहले से ही हर महीने की 9 तारीख को 20 से ज्यादा महिला रोग विशेषज्ञ नि:शुल्क सेवाएं दे रही हैं। अब हमारा प्रयास इसका विस्तार करने का है हम गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क सेवाएं देंगे।
-डॉ.पुनीता हसीजा, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन फरीदाबाद शहर में 150 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं। अभी तक 8 से 10 अल्ट्रासाउंड केंद्रों ने सहमति जताई है। हम सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं, ताकि हर गर्भवती महिला को अपने आसपास के क्षेत्र में ही आसानी से अल्ट्रासाउंड कराने का मौका मिल सके। उम्मीद है कि 10 से 12 दिन में सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों से अनुबंध कर लिया जाएगा।
-रमेश कुमार, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी