'आर-पार' के खेल से सरकार का करोड़ों का बंटाधार
नई टेक्नोलाजी और शातिर दिमाग से बदमाश पुलिस और सरकारी अधिकारियों को उल्लू बनाने वाले गिरोह के मास्टर माइंड को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : नई टेक्नोलाजी और शातिर दिमाग से बदमाश पुलिस और सरकारी अधिकारियों को अक्सर गच्चा दे देते हैं। किसी तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी से पाला पड़ता है तो इन पर नकेल भी कसी जाती है। आरटीए और खनन अधिकारियों की 24 घंटे निगरानी कर सरकार को रोजाना लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगाने वाले गिरोह का क्राइम ब्रांच सेक्टर-65 प्रभारी ब्रह्मप्रकाश की टीम ने पर्दाफाश किया है। गिरोह के मास्टरमाइंड गांव पाली निवासी श्यामवीर को गिरफ्तार कर पांच दिन की रिमांड पर लिया है। गिरोह के बाकी सदस्य फरार हैं, उन्हें भी जल्द पकड़ा जाएगा। गिरोह का नाम आर-पार रखा था। ओवरलोड और अवैध खनन करने वाले ट्रांसपोर्टरों के लिए रास्ता बनाता था गिरोह
महज आठवीं पास श्यामवीर ने यह गिरोह बनाया था। इसी नाम से अलग-अलग वाट्स-एप ग्रुप भी बनाए हुए हैं। ओवरलोड और अवैध खनन सामग्री लेकर चलने वाले ट्रांसपोर्टरों को ग्रुप से जोड़ा गया था। गिरोह के करीब 15 सदस्य आरटीए और खनन अधिकारियों की मूवमेंट पर 24 घंटे नजर रखते थे। उनकी मूवमेंट की जानकारी वाट्स-एप ग्रुप पर वायस मैसेज के जरिये डाली जाती थी। इससे ट्रांसपोर्टरों को पता होता था कि आरटीए और खनन विभाग की टीमें कहां हैं, वे ओवरलोड और अवैध खनन सामग्री से भरे ट्रक चालान से बचाकर निकाल ले जाते थे। पाली क्रशर जोन में गुरुग्राम, पलवल, नूंह, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से ट्रक आते-जाते हैं। यह गिरोह इनके लिए मार्गदर्शक का काम कर रहा था। बिना किसी कार्रवाई के ट्रक को शहर से बाहर निकालने के लिए एक ट्रांसपोर्टर से 20 से 30 हजार रुपये तक वसूले जाते थे। आरटीओ के घर के बाहर डाल दिया था तख्त
ओवरलोड और अवैध खनन सामग्री से भरे ट्रकों की वजह से सरकार को राजस्व का चूना लगता है। इन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी आरटीए और खनन विभाग की है। पकड़े जाने पर एक ट्रक पर दो से ढाई लाख रुपये तक का जुर्माना होता है। इस गिरोह की वजह से विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे। क्राइम ब्रांच का कहना है कि गिरोह के सदस्यों ने आरटीओ के घर से थोड़ी दूरी पर तख्त डाल दिया था। तीन-चार लड़के हर समय आरटीओ की निगरानी करते थे। ये आरटीओ के घर पहुंचने और निकलने की जानकारी भी ग्रुप में देते थे। जैसे ही आरटीओ घर या कार्यालय से निकलता था, उनके मूवमेंट की जानकारी शेयर की जाती थी। आरटीओ ने उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराया। तब मामला सरकार के संज्ञान में आया और पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने इसकी जांच क्राइम ब्रांच सेक्टर-65 प्रभारी ब्रह्मप्रकाश को सौंपी। उन्होंने करीब 15 दिन तक टीम के साथ इस गिरोह की गतिविधियों पर नजर रखी और सबूत एकत्र किए। शुक्रवार रात गिरोह के मास्टरमाइंड को दबोच लिया। विभागों के कर्मचारी व अधिकारी भी हो सकते हैं शामिल
इस गिरोह में आरटीए व खनन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के शामिल होने की भी आशंका है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि जो ट्रांसपोर्टर इस गिरोह से मिलकर नहीं चलता था, उसके ट्रक पकड़े जाते थे। गिरोह का मास्टरमाइंड ट्रांसपोर्टरों को कहता था कि उसकी विभागों में सेंटिग हैं और वह अधिकारी व कर्मचारियों को मंथली देता है। क्राइम ब्रांच ने आरोपित के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम, अवैध वसूली सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। एसीपी सुरेंद्र श्योराण इस मामले की जांच कर रहे हैं।