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निगम की डायरी

नगर निगम में जो ठेकेदार अधिकारियों को खुश रखते हैं उनका भुगतान जल्द हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 06:28 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:28 PM (IST)
निगम की डायरी

भुगतान चाहिए, तो अफसर को खुश रखो

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नगर निगम में जो ठेकेदार अफसरों को खुश रखते हैं, उनका जल्दी भुगतान हो जाता है। कई ठेकेदार तो बिना काम कराए ही भुगतान करा लेते हैं। जानकारों का कहना है कि इस खेल में एक अधिकारी नहीं, बल्कि कई अधिकारियों की दखल होती है। जेई, एसडीओ, कार्यकारी अभियंता, अकाउंट शाखा तथा ऑडिट वाले भी पूरा स्वाद लेते हैं, तब जाकर बिल का भुगतान किया जाता है। ऐसा एक मामला सामने आया है, जिसमें यह बात आई है कि अफसरों ने बिना काम के कंपनियों का मोटा भुगतान कर दिया। इससे वे ठेकेदार बड़े आहत हैं, जो बेचारे वर्षों से भुगतान के लिए निगम में चक्कर लगा रहे हैं। देखना है कि अपने डॉक्टर साहब यानि निगमायुक्त डॉ.यश गर्ग इस बीमारी (भ्रष्टाचार) का कैसे इलाज करते हैं। डॉक्टर साहब स्पष्ट करते हैं कि बिना काम के किए गए भुगतान वाला मसला उस समय का है, जब वे यहां निगमायुक्त नहीं थे।

पी गए थे दो करोड़ का पानी

इन दिनों नगर निगम में ठेकेदारों का बिना काम कराए 40 करोड़ रुपये के भुगतान का मामला खास चर्चा में है। इस मामले के सामने आते ही अब पुराने मामले भी चर्चा में आने लगे हैं। जिन दिनों मोहम्मद शाइन निगमायुक्त थे, तो उन्होंने जाते-जाते निगम के कई अधिकारियों के खेलों (भ्रष्टाचार) का जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि निगम में कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जो दो करोड़ रुपये से ज्यादा का पानी फाइलों में ही पी गए। यह तो थी पुरानी बात, मगर आज देखें कि पता चलता है कि लोग आज भी प्यासे हैं और कल भी प्यासे थे। पहले दो करोड़ की बात सामने आई थी और अब 40 करोड़ की। निगम का खजाना भले ही खाली होता जा रहा हो, मगर गड़बड़ी करने वालों का पेट मोटा होता जा रहा है। जाने कब शहरवासियों को ऐसा नगर निगम मिलेगा, जिसके अधिकारी, कर्मचारी सिर्फ और सिर्फ देश हित की सोचेंगे।

सहयोग की भावना भी चाहिए

नगर निगम की इंजीनियरिग शाखा की सही प्लानिग न होने के कारण ही बारिश होने पर सारा फार्मूला फेल नजर आता है। जलभराव होता है, तो लोग रोष जताने लगते हैं कि अगर इंजीनियरिग शाखा की प्लानिग सही होती, तो यह हाल नहीं होता। यह बात जायज भी है। दिक्कत तो लोगों को ही होती है। जब बारिश आती है, तो नालों का पानी सड़कों पर बहने लगता है। यह अलग बात है कि हर वर्ष मानसून के दौरान निगम करीब ढाई करोड़ रुपये नालों की सफाई पर खर्च करता है। नगर निगम में इंजीनियरिग शाखा की कमियों की बात आई, तो कार्यकारी अभियंता मदन लाल शर्मा ने अपनी बात रखी। बोले-कोई भी काम टीम वर्क से सही नतीजे देता है। यहां तो एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना वैसी नहीं है, जैसी होनी चाहिए। इंजीनियरिग शाखा को जब तक माहौल सही नहीं मिलेगा, बेहतर काम आसानी से नहीं हो पाएगा।

बाबा ही करेंगे बेड़ा पार

पार्षद दीपक चौधरी, दीपक यादव, महेंद्र सिंह और सुरेंद्र अग्रवाल निगम में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने के मूड में हैं। इन चारों ने तय कर लिया है कि व्यवस्था में सुधार के लिए प्रदेश के मुखिया यानि मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ ही बाबा यानि स्थानीय नगर निकाय मंत्री अनिल विज को भी हालात से अवगत कराएंगे। खासकर अकाउंट शाखा और ऑडिट विभाग के खेल से। इन शाखाओं ने हद कर दी है। पार्षदों को अब उम्मीद है कि बाबा ही कुछ भला कर सकते हैं। बाबा कभी यहां नगर निगम मुख्यालय आ जाएं या फिर भुगतान संबंधी फाइलों पर ²ष्टि डाल लें, तो इससे नगर निगम खजाना लुटने से बच जाएगा और शहर की संगत निहाल हो जाएगी। अब देखना है कि कब बाबा की नजर से नगर निगम मालामाल होता है। उम्मीद है बाबा ही करेंगे बेड़ा पार।


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