तकनीक का इस्तेमाल कर अनंगपाल हो रहे मालामाल
किसानों के पास आंदोलन के लिए समय कहां होता है उन्हें तो अपने खेतों में होना चाहिए।
सुभाष डागर, बल्लभगढ़: किसानों के पास आंदोलन के लिए समय कहां होता है, उन्हें तो अपने खेतों में फसल की देखरेख करने से ही फुर्सत नहीं है। हमारी समझ से परे की बात है कि दिल्ली के आसपास जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, उसमें सारे किसान होंगे। ये कहना है गांव बहादुरपुर के प्रगतिशील किसान अनंगपाल सिंह का। अनंगपाल अपनी सब्जियों की फसल के साथ-साथ रबी की फसल गेहूं की भी देख-रेख कर रहे हैं। गेहूं में खाद यूरिया, कीटनाशक, खरपतवार नाशक के छिड़काव करने में व्यस्त हैं।
अनंगपाल बताते हैं कि उन्होंने अब एक एकड़ में बैगन लगाया है। बैगन के उतरने की शुरुआत हो चुकी है। एक-एकड़ में बैगन लगाने में करीब पांच हजार रुपये की लागत आई है। अभी तक शुरुआत है। पहली बार में 13 पालीथिन बैग बैगन उतरा है। बैगन मार्च तक उतरेगा। करीब 25 से 30 हजार रुपये की फसल का उत्पादन होने की उम्मीद है।
इसी तरह से उन्होंने तीन बीघा में सेंटा फूल गोभी लगाई है। फसल लगाने पर 1500 रुपये खर्च हुए हैं। अब पौध तैयार करके लगाई है और ये मार्च में बिकेगी। उम्मीद है कि इससे करीब 25 हजार रुपये की बचत हो जाएगी। दो बीघा में टमाटर लगाया है। फिलहाल टमाटर कम उतर रहा है। सर्दी ज्यादा होने के कारण कुछ टमाटर खराब हो जाता है और पकाव भी कम हो रहा है। 20 रुपये प्रति किलोग्राम टमाटर मंडी में खरीद रहे हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही फसल का उत्पादन बढ़ जाएगा और दोनों एकड़ में एक लाख रुपये तक मुनाफा होने की उम्मीद है।
अनंगपाल ने दोहरा मुनाफा कमाने के लिए अमरूद, नींबू के पौधे लगाए हैं। इस वर्ष अमरूद और नींबू में फल लगने की उम्मीद है। फिर इस जमीन में सब्जी और फल दोनों का उत्पादन शुरू हो जाएगा। थोड़ा-थोड़ा फसलों का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं। फसल नकद बिक जाती है, इसलिए किसी भी तरह के एमएसपी की जरूरत नहीं पड़ती। नकद रुपये मिलने से घर चलाना भी आसान होता है। आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। यदि कोई किसान उनसे इस बारे में जानकारी लेने के लिए आता है, तो वे उस किसान की पूरी मदद करते हैं।