गीले कचरे से फिर से बनने लगी गैस
इंडियन आयल में फिर से गैस बनने लगी है। ईकोग्रीन ने गीला कचरा पहुंचाना शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : इकोग्रीन की ओर से अब फिर से इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आइओसी)में रोजाना करीब 2.5 टन गीला कचरा पहुंचाया जाने लगा है। आइओसी में गले-सड़े फल व सब्जियों से वहां बायोमिथेन गैस बनाई जा रही है। लॉकडाउन के चलते पहले गीला कचरा भेजने का सिलसिला बंद कर दिया गया था।
बता दें कि इकोग्रीन नगर निगम क्षेत्र में रोजाना गीला व सूखा कचरा एकत्र करती है। पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए नगर निगम की ओर से सभी वार्डों में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने के आदेश हैं। मगर अधिकांश वार्डों में कचरा अलग-अलग एकत्र नहीं हो पा रहा है।
आइओसी और ऐसी कई संस्थाएं कहीं गैस बनाने, तो कहीं खाद बनाने का काम कर रही हैं। लॉकडाउन के चलते कई जगह कार्य प्रभावित हुआ था, जो अब फिर से गति पकड़ने लगा है। आइओसी के मुख्य महाप्रबंधक उमेश श्रीवास्तव ने बताया कि रोजाना 5 टन कचरा चाहिए, लेकिन इकोग्रीन की ओर से कम मात्रा में कचरा मिल रहा है, जिससे गैस बनाने का काम चल रहा है। इकोग्रीन के प्रभारी (जागरूकता कार्यक्रम) विनोद देवधर कहते हैं कि लोगों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र करने को जागरूक किया जा रहा है। सभी लोग अपने घर में दो-दो डस्टबिन, एक नीला व एक हरा डस्टबिन रखें। नीले डस्टबिन में सूखा कचरा और हरे डस्टबिन में गीला कचरा डालें। जो भी कचरा रसोई घर से निकले, जैसे फलों, सब्जियों के छिलके, बचे हुए दाल चावल गीले कचरे की श्रेणी में आते हैं।