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डॉक्टरों की लापरवाही ले रही प्रसूताओं की जान

जच्चा-बच्चा के साथ हो रही ज्यादती, अल्ट्रासाउंड को लेकर कोई गंभीर नहीं -बादशाह खान अस्पताल में आ रहे लगातार लापरवाही के मामले -सहायता कक्ष भी बना सिर्फ दिखावा

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 08:17 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 08:17 PM (IST)
डॉक्टरों की लापरवाही ले रही प्रसूताओं की जान
डॉक्टरों की लापरवाही ले रही प्रसूताओं की जान

अनिल बेताब, फरीदाबाद : औद्योगिक नगरी में स्थापित राजकीय बादशाह खान अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जान चली जाने की खबरें अक्सर आती रहती हैं। यहां चिकित्सीय स्टाफ की लापरवाही, प्रसूताओं के प्रति अनदेखी, संवेदनहीनता की स्थिति की ओर न तो जनप्रतिनिधियों का कोई ध्यान है, न स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का।

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रविवार को बादशाह खान अस्पताल में भीम बस्ती, ओल्ड फरीदाबाद निवासी सतीश की पत्नी सुचित्रा की बच्ची को जन्म देने के बाद हुई महिला की मौत का दर्द उसके घर वाले ही समझ सकते हैं। कुछ भी हो यूं आधुनिक तकनीक के जमाने में और सरकार की ओर से तमाम सुविधाएं, संसाधन मुहैया कराने के बावजूद अगर महिला पहले या दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद ही अकाल मौत का शिकार सिर्फ डॉक्टरों की अनदेखी का शिकार हो जाए, तो इससे संवेदनहीनता ही कहेंगे। यह बेहद शर्मनाक स्थिति भी है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सीय अधिकारी भी जांच कराने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अस्पताल में सात महिला रोग विशेषज्ञ हैं। इनमें डॉ.पूनम, डॉ.प्रोणिता, डॉ.अरुणा गोयल, डॉ.मंजरी, डॉ.रजनी, डॉ.अर्पणा और डॉ.नीतू कार्यरत हैं। डॉ.अरुणा और डॉ.मंजरी छुट्टी पर चल रही हैं, लेकिन पांच डॉक्टर कम तो नहीं हैं। बाक्स..

बीके अस्पताल में कार्यरत महिला रोग विशेषज्ञ, आज की ड्यूटी

-सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक: डॉ. पूनम

-दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक, डॉ. नीतू

-रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक, डॉ. रजनी। लापरवाही के आए लापरवाही के मामलों का ब्यौरा

-6 जून को गर्भवती इमराना भी कई घंटे अस्पताल में भटकती रहीं। देवर मौसम ने इस मामले में बीके अस्पताल प्रबंधन को लिखित शिकायत भी दी।

-5 जुलाई को सेहतपुर निवासी अंकेश अपनी गर्भवती पत्नी सीमा को पल्ला के स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे। यहां से सीमा की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखे बिना बादशाह खान अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां आए तो कहा गया कि पल्ला स्वास्थ्य केंद्र में ही डिलीवरी करा लो। इस तरह कई घंटे परिजनों को भटकना पड़ा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीके राजौरा ने मामले की जांच भी कराई थी।

-16 सितंबर को भीम बस्ती ओल्ड फरीदाबाद निवासी सतीश की पत्नी सुचित्रा की मौत के मामले में परिजनों ने लिखित में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायत दी है। सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को बेहतर सेवाएं दी जा रही हैं। सभी टेस्ट नि:शुल्क किए जाते हैं। कई बार गंभीर स्थिति में जब महिला को अस्पताल लाया जाता है, तो स्थितियों को देखते हुए रेफर किया जाता है। फिर भी मैं गर्भवती महिलाओं का ब्यौरा अस्पताल प्रबंधन से ब्यौरा लूंगी। कहीं कोई कमी पाई गई तो उसकी समीक्षा की जाएगी और ऐसा न हो, इस बाबत कड़े और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

-सीमा त्रिखा, विधायक, बड़खल। एक तरफ तो सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। सरकारी अस्पताल में आए दिन डॉक्टरों की लापरवाही के मामले आते हैं। अनदेखी के कारण गर्भवती महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जमीनी स्तर पर कुछ नहीं है। सरकार का बेटा बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान भी सिर्फ दिखावा ही है। अस्पताल में प्रसूता सहायता कक्ष भी बना दिया, लेकिन प्रसूता के साथ हो रही ज्यादती की किसी को परवाह नहीं है।

-शारदा राठौर, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव। हम पूरा प्रयास करते हैं कि जिले में जच्चा-बच्चा को बेहतर सेवाएं मिलें। एंबुलेंस की उपलब्धता को सुनिश्चित कराने के लिए एंबुलेंस सेवा के प्रबंधक से बात की जाएगी। कहीं कोई लापरवाही मिली तो कार्रवाई होगी।

-डॉ.बीके राजौरा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी। गर्भावस्था से लेकर नवजात के जन्म तक महिला का आमतौर पर पांच बार अल्ट्रासाउंड किया जाना अनिवार्य होता है। गर्भावस्था के डेढ़ से दो महीने के भीतर बच्चे की धड़कन देखने को पहला अल्ट्रासाउंड, गर्भावस्था के तीसरे महीने में दूसरा, पांचवें महीने की शुरूआत में तीसरा, साढ़े सात से आठवें महीने में चौथा और गर्भावस्था के आखिरी महीने में पांचवां अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अल्ट्रासाउंड से ही बच्चे के अंगों के बारे में पता चल पाता है। बच्चे के हृदय, मस्तिष्क का पता चल पाता है। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए पांच अल्ट्रासाउंड जरूरी हैं। बाकी कई बार महिला की स्थिति को देखते हुए ज्यादा बार भी अल्ट्रासाउंड कराया जाता है।

-डॉ.दीप्ति गोयल, महिला रोग विभाग प्रमुख, सर्वोदय अस्पताल। अस्पताल में डिलीवरी के मामलों का ब्यौरा

माह, नार्मल, सिजेरियन

जनवरी-401-129

फरवरी-342-130

मार्च-316-141

अप्रैल-221-117

मई-283-133

जून-325-126

जुलाई-372-173

अगस्त-466-158


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