नगर निगम में संशोधित फाइलों में बजट बढ़ाकर हो रहा खेल
अकाउंट तथा इंजीनियरिग शाखा के अधिकारियों कर्मचारियों की रहती है दखल।
अनिल बेताब, फरीदाबाद
नगर निगम में संशोधित फाइलों के नाम पर गड़बड़झाले का मोटा खेल चलता है। इस काम में इंजीनियरिग और अकाउंट शाखा का खास दखल रहता है। मिसाल के तौर पर किसी भी विकास कार्य की पहले फाइल 25 लाख रुपये बजट की बनाई गई है। बाद में मनमानी करके बजट की फाइल संशोधित कर दी जाती है। नियम 20 फीसद तक बजट बढ़ाने का है। काम को देखते हुए कुछ फाइलों में संशोधन जरूरी होता है, मगर कई फाइलों में नियमों को ताख पर रख कर सिर्फ प्राप्ति के लिए खेल किया जाता है। निगम पार्षदों की ओर से पिछले तीन वर्षों में ऐसी 100 से अधिक संशोधित फाइलों में गड़बड़ की आशंका जताई जा रही है। वार्ड छह के पार्षद सुरेंद्र अग्रवाल और वार्ड 37 के पार्षद दीपक चौधरी ने संशोधित फाइलों में गड़बड़ी संबंधी पत्र निगमायुक्त डॉ.यश गर्ग को लिखा है। साथ ही नगर निगम से आरटीआइ के माध्यम से तीन वर्षों में बनाई गई संशोधित फाइलों की संख्या और बजट की पूरी जानकारी मांगी है। यह है नियम
नगर निगम वित्त एवं संविदा समिति को 2.5 करोड़ रुपये तक की फाइलों पर निर्णय लेने का अधिकार है। निगमायुक्त अपने स्तर पर एक करोड़ तक की फाइलें मंजूर कर सकते हैं। नियमानुसार संशोधित फाइलों में 20 फीसद इजाफा किया जा सकता है। वर्जन..
मैं 1985 से नगर निगम का काम कर रहा हूं। मैंने आज तक किसी भी काम की संशोधित फाइल नहीं बनवाई है। संशोधित फाइल तो अधिकारी ही बनवाते हैं। सही-गलत फाइल के बारे में तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
-गिर्राज सिंह, अध्यक्ष, नगर निगम ठेकेदार एसोसिएशन।
संशोधित फाइल के बजट को अधिकतम 20 फीसद तक बढ़ाया जा सकता है। नियमानुसार ही संशोधित फाइलों का बजट बढ़ाया जाता है। अगर नई फाइल बनाने से निगम पर आर्थिक बोझ पड़ता है, तो ही पुरानी फाइल को संशोधित किया जाता है।
- डॉ. यश गर्ग, निगमायुक्त।
अकाउंट शाखा में गड़बड़ी के खेल तो चलते ही हैं। संशोधित फाइलों में इंजीनियरिग शाखा का भी दखल रहता है। इसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए।
-मुकेश शर्मा, पूर्व वरिष्ठ उप महापौर।