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लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रमुख कड़ी की चूक से ज्यादा खफा है निर्वाचन आयोग

लोकसभा क्षेत्र के गांव असावटी के बूथ पर बेइमानीकी शिकायत को लेकर चुनाव आयोग ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रमुख कड़ी से ज्यादा नाराज हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 08:04 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 08:04 PM (IST)
लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रमुख कड़ी की 
चूक से ज्यादा खफा है निर्वाचन आयोग
लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रमुख कड़ी की चूक से ज्यादा खफा है निर्वाचन आयोग

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद : लोकसभा क्षेत्र के गांव असावटी के बूथ नंबर-88 पर 12 मई को मतदान के दौरान तीन महिलाओं की जगह ईवीएम पर बटन एक पार्टी के एजेंट ने दबाया था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने कड़ी कार्रवाई करके लोकतांत्रिक मर्यादाओं को बरकरार रखने का साफ संदेश दिया है। असल में चुनाव आयोग निर्वाचन के लिए नीचे से ऊपर तक की बनी सभी व्यवस्थाओं की प्रमुख कड़ी जिला निर्वाचन अधिकारी की चूक और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से बेहद खफा है। यही कारण रहा कि आयोग ने फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी और जिला उपायुक्त अतुल कुमार द्विवेदी को चुनावी प्रक्रिया खत्म होने से पहले ही तत्काल प्रभाव से हटाने का फरमान सुनाया। अब द्विवेदी की जगह अशोक कुमार गर्ग ने नए निर्वाचन अधिकारी का कार्यभार सौंपा गया है। केंद्रीय पर्यवेक्षक ने लिया कड़ा निर्णय

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वीडियो वायरल होने के बाद 12 मई को रात्रि नौ बजे पलवल जिला के सदर पुलिस स्टेशन में बूथ नंबर-88 के पीठासीन अधिकारी अमित अत्री द्वारा उपलब्ध वीडियो की सीडी सहित एक लिखित शिकायत पर महिलाओं के मत के बटन ईवीएम पर दबाने वाले मतदान एजेंट गिर्राज सिंह के खिलाफ रात्रि नौ बजे एफआइआर भी दर्ज हो गई थी। इसके बाद 13 मई को पृथला विस के सहायक निर्वाचन अधिकारी भारत भूषण गोगिया ने भी पलवल पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखकर पीठासीन अधिकारी अमित अत्री के खिलाफ शिकायत दी। इसके आधार पर अत्री के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज हुई। गिर्राज और अमित दोनों अब जमानत पर हैं। मगर इस पूरे मामले की जानकारी निर्वाचन आयोग को केंद्रीय पर्यवेक्षक संजय कुमार ने दी। जबकि यह जानकारी फरीदाबाद निर्वाचन अधिकारी अतुल कुमार की तरफ से जानी चाहिए थी। माइक्रो पर्यवेक्षक पर हुई है कार्रवाई

इस मामले में असावटी के बूथ पर तैनात माइक्रो पर्यवेक्षक सोनल गुलाटी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई है। गुलाटी अब तीन साल तक निर्वाचन की किसी प्रक्रिया में नहीं लगाई जाएंगी। सोनल पर आरोप है कि उन्होंने इस पूरे मामले की जानकारी केंद्रीय पर्यवेक्षक को नहीं दी। कांग्रेस विधायक ने उठाया निजी संस्थानों के कर्मियों को पीठासीन बनाने का मामला

पलवल से कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर यह मामला भी उठाया है कि इस चुनाव में निजी संस्थानों के कर्मियों को पीठासीन अधिकारी बनाने से ही ऐसी घटनाएं हुईं। दलाल का कहना है कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी गलत काम करने से इसलिए भी डरता है कि उसकी नौकरी पर बात आएगी मगर निजी संस्थानों के कर्मियों को न तो चुनाव कराने का अनुभव था और न ही उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर था।

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