पुलिस को मेट्रो स्टेशन पर बेचने पड़े पान व पानी की बोतलें
पिता से रुपये लेने के लिए अपने ही अपहरण का ड्रामा रचने वाले नवयुवक ने पूरी योजना को बेहद शातिर तरीके से अंजाम दिया। पुलिस को भी यह जानने में काफी समय लगा कि यह ड्रामा है। शुरू में तो पुलिस इसे पूरी तरह वास्तविक अपहरण मानकर चल रही थी। पुलिस को साइबर अपराध शाखा से पता चला कि फिरौती के लिए जिस नंबर से कॉल आ रही है, वह तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन के आसपास है। ऐसे में इंस्पेक्टर विमल और जितेंद्र तुरंत तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन पर पहुंचे। वहां उनकी टीम ने गले में पेटी लगाकर पान व पानी की बोतलें बेचना शुरू कर दिया। वहां कॉल करने वाले को तलाशने लगे। हालांकि तब उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई।
हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : पिता से रुपये लेने के लिए अपने ही अपहरण का ड्रामा रचने वाले नवयुवक ने पूरी योजना को बेहद शातिर तरीके से अंजाम दिया। पुलिस को भी यह जानने में काफी समय लगा कि यह ड्रामा है। शुरू में तो पुलिस इसे पूरी तरह वास्तविक अपहरण मानकर चल रही थी। पुलिस को साइबर अपराध शाखा से पता चला कि फिरौती के लिए जिस नंबर से कॉल आ रही है, वह तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन के आसपास है। ऐसे में इंस्पेक्टर विमल और जितेंद्र तुरंत तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन पर पहुंचे। वहां उनकी टीम ने गले में पेटी लगाकर पान व पानी की बोतलें बेचना शुरू कर दिया। वहां कॉल करने वाले को तलाशने लगे। प्रोफेशनल की तरह पुलिस को चकमा देते रहे लड़के
नवयुवक और उसके साथी किसी प्रोफेशनल अपराधी की तरह पुलिस को चकमा देते रहे। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए वे ऐप बेस्ड टैक्सी का इस्तेमाल कर रहे थे। उन्होंने अपने मोबाइल एयरोप्लेन मोड पर लगाकर मेट्रो स्टेशन के फ्री वाई-फाई से कनेक्ट किया और फिरौती मांगने के लिए वॉट्स-एप कॉ¨लग का इस्तेमाल किया ताकि पुलिस को उनकी लोकेशन ना मिले। लड़कों ने नवयुवक के पिता को विश्वास दिलाने के लिए एक बार वीडियो कॉ¨लग की, जिसमें वह फर्श पर हाथ पैर बांधकर गिरा हुआ दिखाई दिया। अपहरण के ड्रामे से दो दिन पहले लड़कों ने डबुआ कॉलोनी में एक कमरा किराए पर लिया। उनकी योजना पुलिस को चमका देकर उस कमरे में रुकने की थी। नवयुवक ने बताया कि उसे मालूम था कि घर में प्लॉट के रुपये रखे हैं, इसलिए उसे विश्वास था कि अपहरण के ड्रामे से रुपये मिल जाएंगे। लड़कों ने अपराध पर आधारित टीवी धारावाहिक देखकर पूरी योजना तैयार की। यह मामला थोड़ा अलग था। शुरू में हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यह ड्रामा हो सकता है, इसलिए इस मामले में बेहद गोपनीयता बरतनी पड़ी। जांच के दौरान समझ में आ गया कि नवयुवक ने खुद यह ड्रामा रचा है। तब भी पकड़े जाने के भय से उसके या उसके साथियों द्वारा कोई गलत कदम उठाए जाने की आशंका बराबर बनी हुई थी। सभी लड़कों के हाथ आने के बाद ही हमने राहत की सांस ली। दो दिन से हमारी टीम सोई नहीं।
-इंस्पेक्टर विमल कुमार