पेशे की यही रीत है, डर के आगे जीत है..
वर्ष 2012 में फतेहपुर बिल्लौच में मलेरिया की रोकथाम करने वाले तकनीकी अधिकारी (टेक्नीकल ऑफिसर) सतपाल तीन महीनों से नागरिक अस्पताल की आइडीएसपी लैब में कोरोना संदिग्धों के सैंपल ले रहे हैं।
अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद
कुछ पेशे ऐसे होते हैं, जिनमें डर के आगे ही जीत होती है। इसमें चिकित्सक, नर्स आदि के साथ ही कोरोना का सैंपल लेने वाले भी एक योद्धा के भांति जुटे हैं। अब वर्ष 2012 में फतेहपुर बिल्लौच में मलेरिया की रोकथाम करने वाले तकनीकी अधिकारी (टेक्नीकल ऑफिसर) सतपाल को ही ले लीजिए। वे बीते तीन महीनों से नागरिक अस्पताल की आइडीएसपी लैब में कोरोना संदिग्धों के सैंपल ले रहे हैं। वे सुबह नौ बजे से ही पीपीई किट पहनकर संदिग्धों के सैंपल लेने में जुट जाते हैं। उन्हें उमस भरी गर्मी एवं कोरोना संक्रमण का डर सताता है, लेकिन कर्तव्य पथ पर कभी इनके इरादों को ये डर कमजोर नहीं कर सका है।
पीपीई किट पहनने के बाद गर्मी की वजह से घबराहट कई बार घबराहट हुई है, लेकिन कभी किसी को जाहिर नहीं होने दिया। सतपाल ने वर्ष 2012 में मलेरिया की सबसे अधिक 800 स्लाइड तैयार कर चंडीगढ़ तक के अधिकारियों की वाहवाही ली थी। सतपाल को तीन महीने पहले डेपुटेशन पर नागरिक अस्पताल बुलाया गया था। इसके बाद से ही कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। अब तक वह साढ़े तीन हजार से अधिक सैंपल ले चुके हैं। इनमें से कई सैंपलों की रिपोर्ट पॉजिटिव भी निकली है, लेकिन कभी भी कोरोना का संक्रमण का डर उन पर हावी नहीं हो पाया। बकौल सतपाल, अप्रैल में नागरिक अस्पताल में सैंपलिग शुरू हुई थी। उस समय कोरोना के संक्रमण का भय लगता था, लेकिन अब वह भी समाप्त हो चुका है।
बच्चों को भेजा दूर
सतपाल बताते हैं कि वह अलावलपुर से प्रतिदिन आ रहे थे, लेकिन अब कोरोना संक्रमण बढ़ गया है। इसके चलते बच्चों को ननिहाल भेज दिया है। खुद सूरजकुंड स्थित होटल में बने क्वारंटाइन सेंटर में रहते हैं। कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में आने के बाद भी दोबारा से अलावलपुर से आना-जाना शुरू करेंगे। घर वापस जाने से बच्चों एवं अन्य स्वजनों में कोरोना संक्रमण का खतरा रहता है। बच्चों से पूरे दिन में शाम के समय फोन पर वीडियो कॉल से बात होती है। स्वास्थ्य विभाग का करें सहयोग
बकौल सतपाल, स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। लोग संयम बरतकर स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें। सैंपल देने के लिए आने वाले लोग संयम रखे। जल्द सैंपलिग के चक्कर में कई बार परेशानियां खड़ी हो जाती है। पुलिस को बुलाकर सख्ती दिखाना पड़ती है। आइडीएसपी लैब में आने वाले व्यक्ति को बिना सैंपल के वापस नहीं जाने दिया जाएगा।