धूल कणों से अटक रही शहरवासियों की सांसें
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : मौसम में आए बदलाव और धूल कणों के उड़ने से लोगों को सांस ल
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : मौसम में आए बदलाव और धूल कणों के उड़ने से लोगों को सांस लेने में परेशानी आ रही है। शहर में चल रहे विकास कार्यों के चलते कई जगह मिट्टी के ढेर लगे हैं। किसी भी विकास कार्य के दौरान जब मिट्टी उड़ती है तो नगर निगम की ओर से पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है।
इन्हीं कारणों के चलते लोगों को प्रमुख चौक, चौराहों से मुंह ढक कर चलना पड़ रहा है। नगर निगम की लापावाही के चलते शहरवासियों को सांसें अटक रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि धूल के कणों के शरीर में जाने से सांस की नली सिकुड़ जाती है। बच्चों तथा बुजुर्गों में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऐसे में इन लोगों को ज्यादा दिक्कत होती है।
बता दें कि नीलम बाटा मार्ग का सड़क का अधिकांश निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन जगह-जगह धूल के कण उड़ रहे हैं। ऐसे ही कई जगह सड़क जर्जर हैं। व्हर्लपूल चौक से आयशर चौक पर सीवर का काम चल रहा है। प्याली चौक पर सीवर लाइन का कार्य किए जाने से लघु उद्यान पार्कि के आगे मिट्टी के ढेर जमा हैं। इस रास्ते से निकलने के लिए लोगों को मुंह पर रुमाल रखना पड़ता है। लगभग ऐसी ही स्थिति पांच नंबर रेलवे रोड की है। नीलम चौक से आइटीआइ चौक तक भी दिन भर मिट्टी के कण उड़ रहे हैं। नगर निगम की ओर से कहीं पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सांस की नली में अलग-अलग स्थानों पर विशेष स्तर के सुरक्षा प्रबंध होते हैं। जैसे जब एक इंसान सांस लेता है, तो सबसे पहले नाक द्वारा धूल के कणों के लिए अवरुद्धता बनाई जाती है, जिससे वह फेफड़ों तक न पहुंच सकें। यदि ये धूल के कण सांस की नली में दाखिल हो जाते हैं तो सांस की नली में अवरुद्धता, सूजन और अधिक बढ़ जाने पर ब्रोंकाइटिस की भी समस्या हो सकती है। साथ ही फेफड़े के अंदरूनी हिस्से और उसकी कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे वातावरण में सांस के पुराने मरीजों की समस्या बढ़ जाती है। नीलम बाटा रोड के साथ-साथ और कई जगह धूल उड़ रही है। शहर में सांस लेना भी मुश्किल सा हो गया है। नगर निगम को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
-छत्रपाल, निवासी डबुआ कॉलोनी शहर में कहीं भी बिना मॉस्क लगाए नहीं निकल सकते। नगर निगम का योजना के अनुरूप तो कोई काम होता ही नहीं। जिधर देखो उधर ही मिट्टी और निर्माण सामग्री के कण उड़ते नजर आते हैं।
-बृजेश, निवासी एनआइटी नंबर पांच हम प्रयास करते हैं कि जहां भी नगर निगम के विकार्स कार्य चल रहे हैं, वहां अगर खोदाई होती है तो पानी का छिड़काव भी किया जाता है। फिर भी जायजा लेकर स्थिति बेहतर कराई जाएगी। अगर हीं मिट्टी जमा है तो उठवाई ली जाएगी, ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो।
-रमेश बंसल, अधीक्षण अभियंता, नगर निगम। -मॉस्क का उपयोग और धूल भरे वातावरण से बचाव ही लाभदायक होगा।
-खतरनाक उत्सर्जित पदार्थो का सही निपटान करना चाहिए उन्हें खुले में न छोड़े।
-घर या संस्थान में झाड़ू के स्थान पर वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करना चाहिए, जिससे धूल के कण
वातावरण में न फैंले।
-सांस रोग से पीड़ित मरीजों को समय पर दवा लेनी चाहिए और घर के अंदर ही रहना चाहिए।
-सांस रोगी दूषित वातावरण में जाने से परहजे करें।
-डॉ.मनीषा मेहंदीरत्ता, श्वास रोग विशेषज्ञ।