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प्रेम पर खुले मन से करो बात, झिझको मत

प्रभा खेतान फाउंडेशन दैनिक जागरण हुमेन फाउंडेशन अहसास वुमन आफ फरीदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबीनार में लंदन से प्रसिद्ध लेखिका सीमा आनंद जुड़ीं

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 07:55 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 07:55 PM (IST)
प्रेम पर खुले मन से करो बात, झिझको मत
प्रेम पर खुले मन से करो बात, झिझको मत

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : प्रभा खेतान फाउंडेशन, दैनिक जागरण, हुमेन फाउंडेशन, अहसास वुमन आफ फरीदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबीनार में लंदन से प्रसिद्ध लेखिका सीमा आनंद जुड़ीं। उन्होंने द राइट सर्कल के तहत महिला-पुरुष के संबंधों व कामसूत्र महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ पर विस्तृत चर्चा की। उनके साथ बेंगलुरू से श्रुति मित्तल ने संवाद किया। हुमेन फाउंडेशन और बुक्स एंड बियांड की संस्थापिका श्वेता अग्रवाल के संयोजन में हुए कार्यक्रम में मेरठ से अंशु मेहरा, रोटरी क्लब के पूर्व प्रधान हरेंद्र सिंह, दीपा मिश्रा, मंजुलिका, अंजना, गुंजन, जेके भल्ला तथा मनस्कृति विद्यालय से ज्योति भल्ला सहित 60 से अधिक लोग वेबीनार से जुड़े।

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लेखिका सीमा आनंद ने कहा कि पूरी दुनिया में जिस तरह से वात्स्यायन ने प्रेम को परिभाषित करते हुए लिखा है। वैसा कहीं और नहीं है। उनकी पुस्तक में जिस तरह से स्त्री के अंगों को लेकर शब्द दिए गए हैं, हर शब्द गरिमापूर्ण है। लेकिन भारत जैसे देश में बड़ी संख्या में आम जनमानस उनकी पुस्तक को गलत नजरिये से देखता व सोचता है। कई लोग प्रेम पर खुलकर चर्चा करने से झिझकते हैं, जबकि जीवन में इसका महत्व किसी भी तरह से कम नहीं हैं। सीमा आनंद ने अपनी पुस्तक द आ‌र्ट्स आफ सिडक्शन पर खुल कर चर्चा की।

लेखिका के अनुसार उन्होंने वात्स्यायन के कामसूत्र को गहराई से पढ़ा। पुस्तक में प्रेम के शब्दों को लिखने की चुनौती थी, इसलिए इसे पूरा करने में नौ साल लग गए। पुस्तक में लव बाइट्स, लवर्स क्वेरीज के विषय में खुलकर बात की गई है। सीमा आनंद ने कहा कि भारतीय समाज में कामशास्त्र पर खुलकर चर्चा भले न हो, लेकिन बहुत से लोग इस विषय पर गालियां, अश्लील बात करते हैं। नई पीढ़ी को वात्स्यायन की कामसूत्र, नल दमयंती जैसे श्रृंगार और सौंदर्य के साहित्य को भी जानना चाहिए। आर्ट आफ लव मेकिग और सीक्रेट लैंग्वेज आफ लव पर उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में महिलाएं अपना संदेश इत्र की सुगंध से पहुंचाती थीं। उन्होंने अपनी पुस्तक में महिलाओं के श्रृंगार का क्या महत्व है, पैरों को रंगने के लिए आलता का प्रेम संवाद में कितना महत्व है, उसके विषय में भी बताया। वेबीनार में जुड़े साहित्य प्रेमियों ने सीमा आनंद से प्रश्न भी किए। लेखिका ने उनकी शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की। यह कार्यक्रम बेहद गरिमापूर्ण रहा और बहुत कुछ जानने और समझने को मिला। लेखिका ने अपनी पुस्तक के जरिए कई तरह की शंकाओं का समाधान करने और स्त्री के प्रेम को इस पुस्तक के माध्यम से सामने लाने की कोशिश की गई है।

-श्वेता अग्रवाल, संस्थापक बुक्स एंड बियांड


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