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'किस्सा किस्सा लखनउवा' बयां करती है आम आदमी की दास्तां

एहसास विमन फरीदाबाद और प्रभा खेतान फाउंडेशन के कार्यक्रम कलम के तहत लखनऊ के मशहूर दास्तान गोई हिमांशु बाजपेयी द्वारा लिखित किस्सा किस्सा लखनउवा का विमोचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:12 AM (IST)
'किस्सा किस्सा लखनउवा' बयां करती है आम आदमी की दास्तां

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : बृहस्पतिवार को प्रभा खेतान फाउंडेशन के कार्यक्रम कलम श्रृंखला के तहत लखनऊ के मशहूर दास्तानगोई हिमांशु बाजपेयी द्वारा लिखित पुस्तक 'किस्सा किस्सा लखनउवा' पर संवाद का आयोजन किया गया। श्री सीमेंट, दैनिक जागरण, अहसास वुमन ऑफ फरीदाबाद और बुक्स एंड बियांड के सहयोग से एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक के रचयिता हिमांशु बाजपेयी ने प्रिया वशिष्ठ के साथ वार्तालाप में पुस्तक लेखन सहित नवाबों व तहजीब अदब की नगरी की पहचान वाले लखनऊ के किस्सों पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन अहसास वुमन ऑफ फरीदाबाद की श्वेता अग्रवाल ने किया।

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लेखक हिमांशु ने पुस्तक के जुड़े विभिन्न पहलुओं को श्रोताओं के साथ सांझा किया। उन्होंने कहा कि दास्तान गोई 1883 से 1910 के बीच काफी प्रसिद्ध रही है। इसके बाद इसके कद्रदानों की कमी आने लगी और 1928 तक समाप्त हो गई। इसके बाद राजकमल प्रकाशन लिमिटेड ने दास्तान को पुस्तक का रूप दिया। इसके 46 प्रकाशन तैयार किए गए।

प्रिया वशिष्ठ के साथ वार्तालाप में लेखक ने कहा कि इसके लिए उन्हें अंकित चड्ढा ने प्रेरित किया था। नवल किशोर प्रेस से पीएचडी करने के बाद काफी समय तक एक समाचार में साप्ताहिक कॉलम लखनउवा में लिखा करते थे। इसके बाद पत्रकारिता का छात्र होने के चलते कई समाचार पत्रों एवं समाचार चैनलों में काम भी किया। इस दौरान अहसास हुआ है वह जिस कार्य के लिए पत्रकारिता के पेशे में आए थे, वह कई पीछे छूट गया है और पत्रकारिता छोड़कर दास्तान गोई बन गए।

लखनऊ के आम नागरिक पर आधारित है किताब

हिमांशु बाजपेयी ने बताया कि यह किताब लखनऊ के नवाब की बजाय आम नागरिक पर आधारित है। इसमें सब्जी वाला, प्रेस वाला, म्यूजिशियन, कुम्हार सहित कई चरित्रों पर आधारित हैं। यह असंगठित क्षेत्र है और इनके संघर्ष के बारे में कोई लिखता या बताता नहीं है। इस किताब के जरिए उन्होंने लखनऊ को अपनी नजर से दिखाने की कोशिश की है और लखनउवा किस्से सुनाने की कोशिश की है। किताब 95 फीसद सत्यतता पर आधारित है। हिदी के अलावा जल्द ही उर्दू और अंग्रेजी में भी आने वाली है।

इस मौके पर अहसास वुमन आफ फरीदाबाद की श्वेता अग्रवाल ने कहा कि किताबें एक व्यक्ति की सच्ची साथी होती है और ज्ञान में वर्धन करती हैं। डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य अनीता गौतम व सीए तरुण गुप्ता ने कहा कि अहसास वुमन फरीदाबाद और प्रभा खेतान फाउंडेशन लोगों में रुचि को बढ़ाने का कार्य कर रही है। इस तरह के कार्यक्रम से पुस्तकों की ओर लोग आकर्षित होते हैं।

युवा पीढ़ी को जोड़ना है मुख्य मकसद

एक प्रश्न के जवाब में लेखक ने कहा कि बचपन में नानी दादी कहानियां सुनाया करती थी। दरअसल वह दास्तान गोई थी, लेकिन अब वह आधुनिकता की चकाचौंध में धूमिल हो चुकी हैं। युवाओं को इसके बारे में जानना आवश्यकता है। जानने के बाद ही युवाओं का इस तरफ रुझान बढ़ेगा। इसके अलावा यूट्यूब पर भी कभी-कभी अपने दास्तान गोई को अपलोड करते हैं।

इस तरह के कार्यक्रम से हिदी का महत्व बढ़ता है। इसके अलावा लोगों में किताबें पढ़ने की रुचि जाग्रत होती है। ऐसे कार्यक्रम में यु़वाओं को भी हिस्सा लेना चाहिए।

-अनन्या

प्रभा खेतान फाउंडेशन का धन्यवाद करना चाहूंगी कि उन्होंने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया है। प्रत्येक कार्यक्रम कुछ न कुछ नया सिखाता है। यहां पर आकर किताबों के मूल्यों के बारे में पता चला।

-रीना सिंह

कार्यक्रम में हिस्सा लेकर काफी अच्छा लगा। इसके अलावा मशहूर दास्तान गोई हिमांशु बाजपेयी से भी मिलने का मौका मिला। शहर में ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होने चाहिए।

-सुधीर जैनी

प्रत्येक पुस्तक में कुछ न कुछ नया होता है और नया सीखना बहुत पसंद है। दास्तान गोई इतनी रुचिकर हो सकती है। इसका अंदाजा नहीं था। कार्यक्रम बहुत ही अच्छा था।

-गीतिका


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