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अरावली यात्रा : प्रकृति की अनुपम छटा देख प्रफुल्लित हुआ हर मन

कोहरे की चादर में लिपटा पहाड़ ठंडी हवा चारों ओर पक्षियों के चहचहाहट। शांति इतनी की झील में पानी की भी आवाज सुनाई दे रही है। झील पर जब सूर्य की पहली किरण पड़ी तो सोने जैसी चमक थी। प्रकृति के इस अनुपम ²श्य को देखकर कर किसी का मन चाहेगा कि अधिक समय गुजारा जाए। कुछ इसी तरह का नजारा था अरावली पहाड़ी के अंदर से कोट झील किनारे का।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 06:20 PM (IST)
अरावली यात्रा : प्रकृति की अनुपम छटा देख प्रफुल्लित हुआ हर मन

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद

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कोहरे की चादर में लिपटा पहाड़, ठंडी हवा, चारों ओर पक्षियों की चहचहाहट। शांति इतनी कि झील में पानी की भी आवाज सुनाई दे रही थी। झील पर जब सूर्य की पहली किरण पड़ी तो सोने जैसी चमक थी। प्रकृति के इस अनुपम दृश्य को देखकर कर किसी का मन चाहेगा कि अधिक समय गुजारा जाए। कुछ इसी तरह का नजारा था अरावली पहाड़ी के अंदर से कोट झील किनारे का। दरअसल सेव अरावली संस्था की ओर से रविवार सुबह साढ़े 6 बजे अरावली संरक्षण के लिए यात्रा का आयोजन किया। करीब सात बजे सभी लोग कोट गांव की झील किनारे पहुंचे गए। इसमें कई सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग यात्रा में शामिल हुए। यहां का नजारा देखने लायक था। प्रदूषण मुक्त और पूरी तरह से शांति वाले इलाके में कई अंजान लोगों को यहां आकर सुखद अहसास हो रहा था। मौके पर केवल फरीदाबाद ही नहीं बल्कि एनसीआर से लगभग 200 से ज्यादा अधिक लोग जमा हुए। इस यात्रा का मूल संदेश था कि अरावली को बचाना क्यों जरूरी है। संस्था की ओर से झील पर सफाई अभियान भी चलाया। यहां झील पर चारों ओर फैले कचरे को उठाया गया। इससे पहले भी संस्था की ओर से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। हजारों वर्षों का इतिहास संजोए है अरावली :

सेव अरावली के संस्थापक जितेंद्र भडाना के अनुसार अरावली केवल भूजल व पर्यावरण बचाने का ही केंद्र नहीं है बल्कि अपने अंदर हजारों वर्ष पुराने पेड़ों का इतिहास संजोए हुए है। ऐसी रोचक जानकारी देने के लिए अरावली में जल्द नेचर वॉक की गई। मतलब इस वॉक के दौरान अरावली की खूबसूरत वादियों से आमजन को रूबरू कराया गया ताकि पता लग सके कि यहां कैसा-कैसा प्राकृतिक खजाना है। इसका मकसद यह भी है कि शासन-प्रशासन की योजनाएं लागू हुई तो हम यहां क्या-क्या खो देंगे। इसका अहसास कराना है। दरअसल पीएलपीए एक्ट में संशोधन को यदि लागू कर दिया गया तो यहां निर्माण होना शुरू हो जाएंगे। उधर नगर निगम भी यहां खानों में कचरा घर बनाना चाहता है। जिससे अरावली का मूल रूप नष्ट हो जाएगा। इस दौरान सेव अरावली की तरफ से संजय राव बागुल, योगेश शर्मा, संदीप शर्मा, शुचिता खन्ना, विकास थरेजा, रूपा सोमसुंदरम, सुनील बिधूड़ी, दीपक शर्मा, दिनेश बरेजा, राजेंद्र, सुशील भडाना, पवन सोलंकी, संजय मावी, राहुल पंडित आदि ने लोगों को अरावली की महिमा के बारे में बताया। प्राचीनतम पर्वत श्रृंखला हैं अरावली में

अरावली पहाड़ी दुनिया की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखलाएं हैं। लगभग 800 किलोमीटर के दायरे में फैली ये पहाड़ियां गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा होते हुए दिल्ली तक पसरी हैं। इन पहाड़ियों के मानव समुदाय के लिए कुदरती महत्व हैं। इन्हीं पहाड़ियों की ओट पश्चिमी रेगिस्तान को फैलने से रोके हुए हैं। अंदर दुर्लभ वनस्पतियों व जैव विविधता के अनुपम उदाहरण हैं। अरावली एनसीआर के लिए बहुत जरूरी है। पता नहीं यह बात शासन-प्रशासन को क्यों समझ नहीं आती। आमजन आज अरावली बचाने को संघर्ष कर रहे हैं और अधिकारी यहां तरह-तरह की योजनाएं लाकर इसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। अरावली के महत्व को सभी को समझना होगा।

- शुचिता खन्ना, मानव संसाधन शाखा हेड, सेव अरावली अरावली जैसे प्राकृतिक खजाने को समाप्त किया जा रहा है। इसी कारण आमजन को इसे बचाने के लिए आगे आना पड़ा। सेव अरावली लंबे समय से संघर्ष कर अरावली के स्वरूप को बचा रही है। इसलिए ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए।

- अरुण गुप्ता, कचरा निस्तारण शाखा हेड, सेव अरावली


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