¨जदल की कोठियों के लिए नहीं मिल रहे खरीदार
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: रियल एस्टेट, जूलरी, खनन सहित कई कारोबार से जुड़ी एसआरएस कंपनी के चेयरमैन अनिल ¨जदल की कोठियों के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। करीब 65 करोड़ रुपये के लोन की रिकवरी के लिए बैंक की ऑथोराइज्ड रिकवरी एजेंसी की टेक्नोक्राफ्ट फाइनेंशियल सर्विस ने ¨जदल की आठ कोठियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की। मगर बोली लगाने कोई सामने नहीं आया, इसके चलते बैंक को नीलामी फिलहाल रद करनी पड़ी। अब नीलामी प्रकिया जनवरी में नए सिरे से शुरू होगी। जिन आठ कोठियों की नीलामी होनी है वे सेक्टर-14 में तीन, सेक्टर-11 में एक और सेक्टर-नौ में हैं। खरीदार सामने ना आने की मुख्य वजह कोठियों की कीमत बाजार भाव से काफी ऊंची रखना बताया जा रहा है। दरअसल, बैंक लोन के 65 करोड़ रुपये की ज्यादा से ज्यादा रिकवरी इन कोठियों से करना चाहता है। इसके चलते इनकी कीमत ऊंची रखी जा रही है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : रियल एस्टेट, जूलरी, खनन सहित कई कारोबार से जुड़ी एसआरएस कंपनी के चेयरमैन अनिल ¨जदल की कोठियों के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। करीब 65 करोड़ रुपये के लोन की रिकवरी के लिए बैंक की ऑथोराइज्ड रिकवरी एजेंसी की टेक्नोक्राफ्ट फाइनेंशियल सर्विस ने ¨जदल की आठ कोठियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की। मगर बोली लगाने कोई सामने नहीं आया, इसके चलते बैंक को नीलामी फिलहाल रद करनी पड़ी। अब नीलामी प्रकिया जनवरी में नए सिरे से शुरू होगी।
गौरतलब है कि जिन आठ कोठियों की नीलामी होनी है वे सेक्टर-14 में तीन, सेक्टर-11 में एक और सेक्टर-नौ में हैं। खरीदार सामने ना आने की मुख्य वजह कोठियों की कीमत बाजार भाव से काफी ऊंची रखना बताया जा रहा है। दरअसल, बैंक लोन के 65 करोड़ रुपये की ज्यादा से ज्यादा रिकवरी इन कोठियों से करना चाहता है। इसके चलते इनकी कीमत ऊंची रखी जा रही है।
खरीदार सामने ना आने की दूसरी वजह लोगों की शंका भी है। खरीदारों को लग रहा है कि भले ही बैंक कोठियों को नीलाम कर रहा है, मगर ये विवादित ही मानी जाएंगी। करोड़ों रुपये खर्च करके वे किसी पचड़े में नहीं फंसना चाहते, इसलिए इन कोठियों पर निवेश करने से झिझक रहे हैं। इसके अलावा एक वजह इन कोठियों के साथ अनिल ¨जदल का नाम जुड़ा होना भी माना जा रहा है। एक समय में अनिल ¨जदल शहर के प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल रहा है। ऐसे में उसकी कोठियां ¨जदल की कोठी के नाम से मशहूर रही हैं। अब चाहे कोई भी इन्हें खरीद ले लेकिन ये मशहूर इन्हीं नाम से रहेंगी।