विधायकों और अधिकारियों की फर्जी मुहर से बना रहे थे दस्तावेज
भतौला में तिगांव रोड पर करण देव काम्प्लेक्स में चल रहे सीएससी पर सीएम फ्लाइंग ने छापा मारा।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : भतौला में तिगांव रोड पर करण देव काम्प्लेक्स में चल रहे सीएससी (कामन सर्विस सेंटर) में विधायकों, पार्षद व अधिकारियों की फर्जी मुहर से लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड व श्रम कार्ड जैसे दस्तावेज तैयार किए जा रहे थे। सीएम फ्लाइंग ने छापेमारी कर इस गडबड़झाले का पर्दाफाश किया है। मौके से दो विधायक, एक पार्षद व तीन अधिकारियों की फर्जी मुहर बरामद की गई हैं। सीएम फ्लाइंग ने सीएससी में काम कर रहे तुषार नाम के युवक को हिरासत में लेकर स्थानीय पुलिस को सौंप दिया है। स्थानीय पुलिस ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस मामले में देखा जा रहा है कि सरकारी महकमों की भी मिलीभगत तो नहीं है।
सीएम फ्लाइंग के डीएसपी राजेश कुमार चेची ने बताया को सूचना मिली थी कि राजा गार्डन ओल्ड फरीदाबाद निवासी गुलाब सिंह भतौला-तिगांव रोड पर करणदेव काम्प्लेक्स में सीएससी चलाता है। उसके द्वारा विधायकों, पार्षद व अधिकारियों की फर्जी मुहर तैयार कर लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड व श्रम कार्ड तैयार किए जाते हैं। सूचना पर सीएम फ्लाइंग टीम ने सीएससी में छापेमारी की। इस दौरान सेंटर संचालक मौके से फरार हो गया। एक कर्मी को सीएम फ्लाइंग ने हिरासत में लिया। जांच में पता चलेगा कि आरोपितों ने अब तक कितने लोगों के फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। गड़बड़झाले का केंद्र बन गए हैं सेंटर
जिले में जगह-जगह चल रहे सीएसएसी गड़बड़झाले का केंद्र बन गए हैं। कई ऐसे सेंटर हैं, जहां फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। फर्जी तरीके से पेंशन बनवा दी जाती हैं। इसके कई मामले आ चुके हैं। अब सीएम फ्लाइंग की रडार पर ऐसे कई और सेंटर हैं। पहले भी आ चुका है मामला
जून 2019 में तिगांव विधानसभा के कांग्रेस के पूर्व विधायक ललित नागर की फर्जी लेटर हेड से आधार कार्ड में पता बदलवाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ था। गिरोह को पूर्व विधायक के भाई मनोज नागर ने स्टिंग कर पकड़ा था। उन्होंने फर्जी ग्राहक बनाकर लघु सचिवालय के आधार केंद्र पर भेजा था और पांच युवकों को दबोच लिया। युवकों के पास फर्जी लेटर हेड, लैपटाप बरामद किए गए थे। फर्जी मुहर से ऐसे करते हैं गड़बड़ी
यदि किसी को अपने आधार कार्ड में पता बदलवाना है तो उसके पास इसका सबूत होना चाहिए। सबूत न होने की स्थिति में पीड़ित किसी जनप्रतिनिधि या राजपत्रित अधिकारी की लेटर हेड पर यह लिखवा कर ले आए कि मैं इसे जानता हूं और यह इसी पते पर रहता है। इसके बाद आधार कार्ड में लिखा हुआ पता बदल जाता है। बाकी काम भी हो जाते हैं।