सदियों से योग विद्या भारत की धरोहर : योगाचार्य
सिद्ध पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में योग साधना सुबह 500 बजे से 700 बजे तक जागरण संवाददाता भिव
जागरण संवाददाता, भिवानी: सदियों से योग विद्या भारत की अमूल्य धरोहर रही है। मन, मस्तिष्क और चित्त के प्रति जागृत रहकर योग साधना से भाव, इच्छा, कर्म और विचार को संयमित किया जा सकता है। इसके लिए यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार ये पांच योग को प्राथमिक रूप से किया जाता है। उक्त पांच में अभ्यस्त होने के बाद धारणा और ध्यान स्वत: ही घटित होने लगते हैं।
सोमवार को हालवास गेट पर स्थित सिद्ध पीठ बाबा जहर गिरी आश्रम में कार्यक्रम को योगाचार्य मनोज कुमार संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसकी प्रासंगिकता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि समस्त विश्व योग दिवस को स्वीकार कर चुका है। वस्तुत: योग एक संयमपूर्वक की जाने वाली साधना है जो स्वचेतना को परम चेतना से मिलाती है। योग चित्त की वृत्तियों को हम जितना अंतर्मुखी करते हैं, उतना ही सत्य का प्रकाश हमारे जीवन में बढ़ता है।
हालवास गेट पर स्थित सिद्ध पीठ बाबा जहर गिरी आश्रम में सुबह 5:00 से 7:00 तक योग साधना योग साधना करवाई जाती है।
योगाचार्य मनोज कुमार की ओर से शिवशक्ति जन कल्याण सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में योग साधना कराई जा रही है। योगाचार्य ने कहा कि योग साधना सभी साधनाओं में श्रेष्ठ मानी गई है। यह शुद्ध, सात्विक और प्रायोगिक है। समस्त विषय-वासनाओं का विनाश करने के लिए यौगिक क्रियाओं से बढ़कर कुछ भी श्रेष्ठ नहीं है। मानव जीवन के समग्र विकास के लिए योग संजीवनी है। यदि हम सचेत नहीं हुए तो विषय-वासनाओं के कीचड़ में फंसकर बार-बार चौरासी लाख योनियों में भटकते रहेंगे। संकल्प लें कि हमें आज ही योग को माध्यम बनाकर जीवन को सफल बनाना है। तन और मन को विकृत होने से बचाएं। यदि अंत:करण पवित्र हुआ तो मन में किसी के प्रति द्वेष और वैमनस्य का भाव नहीं रहता है। महाराज ने आगे बताया कि अगर उस स्वस्थ रहना है और लंबा जीना है तो योग करना अति अनिवार्य है।