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रोजाना सप्लाई किए जा रहे 350 वाटर टैंकर भी नहीं बुझा पा रहे शहरवासियों की प्यास

अशोक ढिकाव,भिवानी : समय रहते जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की आंखें खुल जाती तो शायद आज शहर मे

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jun 2018 06:41 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 06:41 PM (IST)
रोजाना सप्लाई किए जा रहे 350 वाटर टैंकर भी नहीं बुझा पा रहे शहरवासियों की प्यास
रोजाना सप्लाई किए जा रहे 350 वाटर टैंकर भी नहीं बुझा पा रहे शहरवासियों की प्यास

अशोक ढिकाव,भिवानी :

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समय रहते जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की आंखें खुल जाती तो शायद आज शहर में पेयजल किल्लत की नौबत नहीं आती, लेकिन अधिकारी खुद ही राजनीति में उलझे रहे। स्थिति अब यह है कि जलघर सूखे चुके है तो शहर में सप्लाई हो रहे 350 वाटर टैंकर भी लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रहे है। इसके बावजूद विभाग ने अब तक यमुना मंडल को नहर में पानी छोड़ने के लिए रिमाइंड तक नहीं भेजा है। जन स्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन की यह लापरवाही ही लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। जिले को रोजाना शहरी व ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर 130 एमएलडी पानी की जरूरत है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 130 तो दूर की बात रोजाना शहर को 30 एमएलडी पानी भी नहीं मिल पा रहा है। पेयजल सप्लाई के लिए वाटर टैंक कंपनी को टेंडर दिया हुआ है। अकेले शहर के 8 टैंकों की क्षमता 70 एमएलडी पेयजल स्टोरेज की है। नहर में पानी न आने के कारण ये जलघर पूरी तरह से सूखने के कगार पर है। महज दो या तीन तीन का पानी शेष बचा है। महिलाएं आए दिन नारेबाजी कर रही तो मटका फोड़ प्रदर्शन पेयजल व्यवस्था की पोल खोल रहे है।

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जन स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संस्थाएं सप्लाई कर रही रोजाना 350 टैंकर

जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा वाटर टैंक सप्लाई करने के लिए एक कंपनी को टेंडर दिया हुआ है। ये कंपनी रोजाना 50 से 60 वाटर टैंकर शहर में सप्लाई कर रही है, लेकिन इससे लोगों की कतई प्यास नहीं बुझ रही है। अब जिले की करीब दस ऐसी संस्थाएं है जो अपने खर्च पर वाटर टैंकर सप्लाई करने में लगी है। संस्थाओं व जन स्वास्थ्य विभाग को मिलाकर रोजाना 350 वाटर टैंकर सप्लाई हो रहे है।

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जलघर सूखते रहे और अधिकारी सोते रहे

दो माह पहले ही ¨सचाई विभाग द्वारा दो माह ही जन स्वास्थ्य विभाग को नहरों का शेड्यूल चार्ट जारी कर दिया गया था, लेकिन जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद का शेड्यूल तक नहीं बना पाए। जिससे पेयजल संकट की यह नौबत आई।

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बोरवेल के लिए लगाए गए 35 ट्यूबवेल से नहीं निकाला पानी

चौंकाने वाली बात यह है कि पेयजल संकट होने पर गर्मी के दिनों में शहर के जलघरों पर बारेवेल लगाए हुए है, ताकि जमीनी पानी की स्टोरेज कर उसे वाटर फिल्टर किया जाता है, लेकिन यह बोरवेल पूरी तरह से बंद रहे और जलघर सूखने पर अभी अधिकारियों की नींद नहीं टूट रही है।

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जलघर और वाटर स्टोरेज की क्षमता

स्थान - जलघर संख्या-- वाटर क्षमता

महम रोड - 01 --- 21 एमएलडी

तोशाम बाइपास-02 --- 28 एमएलडी

रोहतक रोड निनान-03-- 20एमएलडी

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कहां कितने लगे है ट्यूबवेल

जलघर-- कुल ट्यूबवेल-- चालू

महम रोड जलघर -- 27 ट्यूबवेल---- 15

तोशाम बाइपास -- 09 ट्यूबवेल --- 05

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पानी के टैंकर तक की नहीं व्यवस्था

पेयजल संकट से परेशान स्थानीय लोग अनेक बार विभाग से टैंक भेजने की मांग करते है, लेकिन पानी के टैंकर तक भी नहीं भेजे जाते।

रेखा रानी, निवासी हालू बाजार।

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- जन स्वास्थ्य विभाग वाले एक नहीं सुनते। पास में ही एक हैंडपंप था अब वह भी सुख चुका है। कुछ लोगों ने अपने घर पर जमीन के पानी के लिए मोटर लगाई है उनके घर भी बिजली संकट के कारण पानी नहीं रहता है।

ममता रानी।

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जन स्वास्थ्य विभाग के जेई या एसडीओ के पास टैंकर मंगवाने या फिर पानी सप्लाई के लिए फोन करते है तो वह फोन तक नहीं उठाते है।

नेहा।

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विभाग ने जल्द ही पेयजल सप्लाई दुरुस्त नहीं की तो क्षेत्र की महिलाएं जन स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों का घेराव करेंगी और मटका फोड़ प्रदर्शन करेगी।

अन्नू, रानी।

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उम्मीद थी कि जून से पहले ही पहाड़ों पर बर्फ पिघल जाएगी और नहर आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब विभाग ने यमुना मंडल को पत्र भेजकर नहर 5 जून को पानी छोड़ने की मांग की है। यदि नहर आ जाती है तो समस्या जल्द दूर हो जाएगी।

सुभाष यादव, कार्यकारी अधीक्षक अभियंता, जन स्वास्थ्य विभाग भिवानी।


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