जीवों का कल्याण करने इस जगत में आते हैं संत
जिस दिन संत सतगुरु महात्मा इस धरा पर आए थे तो तीन ताप से दुखी रहे ज
जागरण संवाददाता, भिवानी : जिस दिन संत सतगुरु महात्मा इस धरा पर आए थे तो तीन ताप से दुखी रहे जीवों को बड़ी शांति मिली थी। इन्ही संत महापुरुषों में एक थे, संत शिरोमणि रविदास, जिनका आज संसार अवतरण दिवस मना रहा है। संत रविदास ऐसे समय में इस धरा पर अवतरित हुए, जिस समय जाति-पाति का बोलबाला था। संत रविदास का बहुत विरोध हुआ कि आप नीची जाति में पैदा होकर परमात्मा की भक्ति नहीं कर सकते। लेकिन संत रविदास ने अपनी लगन और धुन से तप और त्याग का वो नमूना प्रस्तुत किया कि इस जगत ने माना कि भक्ति तो चौगान की गेंद की भांति है इसे कोई भी अपनी काबिलियत से ले जा सकता है। संत महात्मा किसी जाति विशेष के नहीं होते वो तो जीवों का कल्याण करने इस जगत में आते हैं। यह प्रवचन राधा स्वामी दिनोद के परमसंत सतगुरु हुजूर कंवर साहेब महाराज ने जिले के कस्बा सिवानी के राधा स्वामी आश्रम में फरमाया कि जाति पाति का मोल नही है, ज्ञान का मोल है। जैसे म्यान में पड़ी तलवार का मोल होता है, म्यान का नहीं।
गुरु महाराज ने कहा कि जैसे बिना हथियार के सूरमा नहीं लड़ सकता, वैसे ही बिना ईष्ट के व बिना गुरु के भक्ति नहीं की जा सकती। गुरु महाराज ने फरमाया कि रविदास ने इस मिथक को भी तोड़ा कि पूजा पाठ करना,दान दक्षिणा लेना केवल ब्राह्मण का काम है।