ठंड की दस्तक के साथ ही रजाई कारोबार हुआ गुलजार
चरखी दादरी बीते एक सप्ताह के दौरान क्षेत्र में कहीं हल्की व कहीं तेज
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
बीते एक सप्ताह के दौरान क्षेत्र में कहीं हल्की व कहीं तेज बारिश हुई है। बारिश के प्रभाव से पारा नीचे गिरना शुरु हो गया। जिसके कारण नवंबर के दूसरे सप्ताह में सर्दी जोर पकड़ने लगी है। जिससे बचने के लिए लोगों ने इंतजाम करना शुरू कर दिए हैं। सर्दी का मौसम शुरू होते ही रजाई बाजार पूरे चरम पर पहुंच गया है। इस बार रजाई में रूई भरने व रूई की पिनाई की कीमतों में बढ़ोतरी भी देखने को मिल रही है। सर्दी की दस्तक के साथ ही रूई की दुकानों पर रजाई, गद्दों की भराई का काम शुरू हो गया है। बीते दो-तीन दिनों से रुई भराई की दुकानों पर कार्य में तेजी आई है। मौसम में लगातार बढ़ रही ठंड के साथ ही रजाईयों का व्यापार भी बढ़ने लगा है। हालांकि आधुनिकता की दौड़ में कुछ लोग रजाईयों को दरकिनार कर मखमली कंबलों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। फिर भी अच्छी खासी मात्रा में लोगों का रूझान रजाईयों की तरफ भी देखने को मिल रहा है। दादरी शहर में सर्दी की शुरूआत में बढ़ रही रजाईयों की मांग के चलते कारीगरों की संख्या में भी इजाफा हो गया है, तो वहीं कारीगर भी ग्राहकों को समय पर रजाई उपलब्ध करवाने के लिए दिन-रात मेहनत में जुट गए हैं। इस बार बाजार में रूई की कीमत 140 रुपये से लेकर 160 रुपये प्रति किलो तक है। बाजार में कई किस्म की रूई उपलब्ध है, जिसमें फाइबर, देसी, रेक्लोन, फलेट तथा केशमिलोन मुख्य है, जबकि सबसे ज्यादा बिक्री फाईबर व देसी रूई की हो रही है।
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प्रति रजाई एक हजार से अधिक का खर्चा
रजाई बनाने वाले कारीगरों ने बताया कि सामान्यत: एक रजाई में चार से लेकर पांच किलोग्राम तक रूई भरी जाती है। जिसमें 25 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रूई पिनाई की कीमत हैं। इसके अलावा 80 से 100 रुपये कीमत रजाई की भराई के लिए तय की गई है। रजाई के कवर व कपड़े को मिलाकर एक रजाई तैयार करने में एक हजार से लेकर 12 सौ रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। रजाईयों की मांग को देखते हुए एक कारीगर द्वारा एक दिन में लगभग दस रजाई तक तैयार की जा रही है। जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।