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दिनभर छाया स्माग, प्रदूषण से दादरी जिले में बिगड़े हालात, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : धूल, धुएं और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के चलते बुधवार को भी

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Nov 2017 03:02 AM (IST)Updated: Thu, 09 Nov 2017 03:02 AM (IST)
दिनभर छाया स्माग, प्रदूषण से दादरी जिले में बिगड़े हालात, अस्पतालों में बढ़ी भीड़
दिनभर छाया स्माग, प्रदूषण से दादरी जिले में बिगड़े हालात, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

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धूल, धुएं और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के चलते बुधवार को भी दिन भर जिला दादरी में हालात बेहद विकट बने रहे। स्मॉग ने गहरी धुंध का रूप ले लिया तथा पूरे दिन सूर्य भी दिखाई नहीं दिया। इसके साथ ही खुले स्थानों, सार्वजनिक स्थलों पर सांस लेना भी दुश्वार होता जा रहा है। स्थिति की गंभीरता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे जिले में तेजी के साथ एलर्जी, आंखों की बीमारियां, श्वास, दमा, अस्थमा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों रोगों से प्रभावित मरीजों की भीड़ यहां के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में देखी जा सकती है। चिकित्सकों के अनुसार इससे शरीर के नर्वस सिस्टम के प्रभावित होने से कोई भी अंग काम करना छोड़ सकता है। बुधवार सुबह को धुंध इतनी गहरी थी कि ²श्यता लगभग शून्य हो गई थी। इस वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दादरी जिले के मुख्य मार्गो पर रही। रोड पर धुंध की सफेद चादर की वजह से वाहन चालकों को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था।दादरी जिले में छाई ये धुंध सर्दियों के कोहरे जैसी नहीं है, असल में ये वो खतरनाक कोहरा है जो आपको सांस और फेफड़ों से संबंधित कई गहरी बीमारियां दे सकता है।

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300 माइक्रोग्राम प्रति घन तक पहुंचा प्रदूषण : डा. यादव

दादरी नगर के जनता पीजी कालेज के प्राचार्य व पर्यावरणविद डा. आरएन यादव के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार 40 से 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का पर्यावरण प्रदूषण का मानक कहा जा सकता है। बुधवार को यहां 300 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर तक प्रदूषण पहुंच गया है। यह स्थिति स्वास्थ्य, जीवन के लिए अत्यंत घातक मानी जा सकती है। इससे न केवल मनुष्य बल्कि तमाम जीव जंतुओं, वनस्पति, जल, जमीन, वातावरण का प्रभावित होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ खेतों में फसलों के अवशेष जलाने, बड़ी तादाद में वाहनों, उद्योगों के धुएं व अनावश्यक तौर पर प्रदूषण फैलाने से स्थिति काफी गंभीर बन गई है। स्माग ने गहरी धुंध का रूप ले लिया है जो तापमान गिरने के साथ वातावरण में व्याप्त है।

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क्या है स्मॉग

सामान्य भाषा में समझा जाए तो ये प्रदूषित हवा का एक प्रकार ही है। स्मॉग शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। आम तौर पर जब ठंडी हवा किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचती है तब स्मॉग बनता है। ठंडी हवा भारी होती है इसलिए वह रिहायशी इलाके की गर्म हवा के नीचे एक परत बना लेती है। गर्म हवा हमेशा ऊपर की ओर उठने की कोशिश करती है लेकिन ऐसा नहीं कर पाती और एक ढक्कन की तरह व्यवहार करने लगती है। कुछ ही व़क्त में हवा की इन दोनों परतों के बीच हरकतें रुक जाती हैं। इसी खास उलट पुलट के कारण स्मॉग बनता है। स्माग में सूक्ष्म पर्टिकुलेट कण, ओजोन, नाइट्रोजन मोनोआक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड मौजूद होते हैं जो लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।

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फेफड़ों के लिए घातक है स्माग

स्मॉग सबसे ज्यादा अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए मुसीबत बनकर आता है। बढ़ते प्रदूषण के कारण ठंड के मौसम में स्मॉग हावी हो जाता है इससे दमा और सांस के मरीजों को सांस लेना दूभर हो जाता है। स्मॉग में छिपे केमिकल के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। स्मॉग से फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली ट्यूब में रुकावट, सूजन, रूखापन या कफ आदि के कारण भी समस्या होती है।

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ये सावधानियां जरूरी

1. अस्थमा के रोगियों को स्मॉग से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे जिस जगह पर रहते हैं वहां की हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी रखें। अगर आपके इलाके की हवा अधिक प्रदूषित है तो घर के अंदर ही रहने की कोशिश करें और अगर बाहर जाना जरूरी है तो पूरी सतर्कता का पालन करें। आम लोग भी इन नियमों का पालन करेंगे तो ये उन्हें सांस और फेफड़े संबंधी बीमारियों से बचाए रखेगा।

2. सर्दियों के मौसम में दिन छोटा होता है, ऐसे में अगर आप बाहर व्यायाम के लिए जाना चाहते हैं तो कोशिश करें कि सुबह जल्दी व्यायाम कर लें। क्योंकि सूर्य की किरणों के साथ स्मॉग और भी खतरनाक हो जाता है। ऐसे में घर के अंदर ही व्यायाम करें। घर के बाहर पार्क में जाकर व्यायाम करने से बचें। इसके अलावा जितना हो सके घर के अंदर ही रहें।

3. अस्थमा के रोगियों को खासकर बच्चों को स्मॉग से बचने के लिए मॉस्क पहनायें। अगर वे घर से बाहर जा रहे हैं तो बिना मॉस्क के न जायें। जो बच्चे अस्थमा से पीड़ित हैं उनके लिए यह मौसम अधिक खतरनाक होता है। इसलिए बच्चों को अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क पहनायें।

4. ठंड के मौसम में अस्थमा के रोगियों के लिए घर के बाहर की ही नहीं बल्कि घर के अंदर की हवा भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में घर के अंदर की हवा साफ करने के लिए एअर फ्रेशनर घर पर लगायें। जब भी खिड़की या दरवाजे खोलें पहले बाहर की हवा की गुणवत्ता जांच लें। अगर जरूरी न हो तो दरवाजे और खिड़की बंद रखें। अगर समस्या अधिक हो रही हो तो चिकित्सक से जरूर संपर्क कर लीजिए।

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तेज हवाओं, वर्षा से ही राहत: संजय

पर्यावरण संरक्षण मुहिम से जुड़े संजय रामफल ने बताया की फाग या स्माग की कंडीशन जो डेवलप होती है, इसके कई कारण होते हैं। पिछले तीन चार दिनों से जो मौसम है उसका कारण यह है कि एक एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन निचले स्तर पर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब कोई एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन निचले स्तर पर होता है तो ऊपर से नीचे हवा बैठती है। इससे निचले स्तर का प्रदूषण बिखर नहीं पाता। तेज हवाओं के चलने अथवा वर्षा होने से ही स्माग से निजात मिल सकेगी।


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